नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को यहां एक पुस्तक विमोचन के मौके पर कहा कि भारत आज स्वयं को 'विश्व मित्र' के रूप में स्थापित कर रहा है. हम अधिक से अधिक लोगों के साथ मित्रता करना चाहते हैं जिससे भारत के प्रति सद्भावना और सकारात्मकता पैदा होती है.
अपने संबोधन में जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि मित्र को समझना हमेशा आसान नहीं होता है न ही मित्रता का विकास सपाट होता है. मंत्री ने यह भी कहा कि 'कभी-कभी, दोस्तों के अन्य मित्र भी होते हैं जो जरूरी नहीं कि हमारे ही हों. केंद्रीय मंत्री ने रूस और फ्रांस के साथ भारत के संबंधों को बहुध्रुवीयता का प्रतीक बताया. उन्होंने उल्लेख किया कि इसमें सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारक भी शामिल हैं. इसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हम एक रूढ़िवादी सभ्यता नहीं हैं.
सच तो यह है कि रिश्ते तब बनते हैं जब हित एक दूसरे से जुड़ते हैं. निस्संदेह, भावनाएं और मूल्य एक भूमिका निभाते हैं, लेकिन हितों से अलग होने पर नहीं. उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश के लिए मित्रता विकसित करना कभी आसान नहीं होता. उन्होंने कहा कि भावनात्मक पहलू साझा अनुभवों से आता है और वैश्विक दक्षिण के संबंध में इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.