मुंबई: महाराष्ट्र के कोल्हापुर में अपने मालिक को देखते ही वाइल्ड और चीते की तरह दौड़ने वाला 'बाल्या' नाम का कुत्ता, जिसका बिना कर्नाटक और महाराष्ट्र की कोई भी रेस पूरी नहीं होती. वह अब इस दुनिया में नहीं रहा. पिछले दस सालों से डॉग रेस में अपना दबदबा बनाए रखने वाले बाल्या का कुछ दिन पहले निधन हो गया था. अपने प्यारे कुत्ते की मौत से दुखी परिवार ने उसका अंतिम संस्कार परिवार के सदस्य की तरह किया.
दो दिन पहले ही उसका श्राद्ध किया गया और उसकी याद में 400 लोगों को भोज दिया गया. पालतू जानवर के प्रति व्यक्त की गई इन भावनाओं से कई कोल्हापुरवासी भावुक हो गए. 2011 में कोल्हापुर शहर से थोड़ी दूरी पर स्थित पचगांव में रहने वाले दीपक वर्गे इस छोटे से कुत्ते के बच्चे को घर लाए थे. बाल्या बचपन से ही दौड़ने में कुशल था. इस वजह से वह कोल्हापुर शहर के आस-पास के गांवों में होने वाली कुत्तों की प्रतियोगिता में भाग लेता था. कुछ ही समय में बाला की लोकप्रियता काफी बढ़ गई.
10 साल जीत रहा रेस
पिछले दस सालों में उसने सभी डॉग रेस में जीत हासिल की थी. महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य में आयोजित डॉग प्रतियोगिताओं में उसने कई पुरस्कार जीते और अपने मालिक दीपक वर्गे के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य में एक अलग पहचान बनाई. लगातार छह चैंपियनशिप जीतने के कारण कोल्हापुर समेत सीमावर्ती इलाकों में उसे 'हिंदकेसरी बाल्या' के नाम से भी जाना जाता था. परिवार के सदस्य की तरह रहने वाले इस कुत्ते की बीते 4 अगस्त को मौत हो गई थी. उसकी मौत के बाद तीन दिन का शोक भी रखा गया था.