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कुत्ते की मौत पर मालिक ने किया श्राद्ध, 400 लोगों को कराया भोज, परिवार के सदस्य की तरह किया था अंतिम संस्कार - Dog Died In Kolhapur

Dog Owner Given Feast To 400 People: महाराष्ट्र के कोल्हापुर में वर्गे परिवार ने अपने कुत्ते की मौत पर उसका अंतिम संस्कार परिवार के सदस्यों की तरह ही किया. इतना ही नहीं दो दिन पहले ही उसका श्राद्ध किया गया और उसकी याद में 400 लोगों को भोज दिया गया.

कुत्ते की मौत पर मालिक ने किया श्राद्ध
कुत्ते की मौत पर मालिक ने किया श्राद्ध (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 18, 2024, 4:32 PM IST

Updated : Aug 18, 2024, 5:01 PM IST

मुंबई: महाराष्ट्र के कोल्हापुर में अपने मालिक को देखते ही वाइल्ड और चीते की तरह दौड़ने वाला 'बाल्या' नाम का कुत्ता, जिसका बिना कर्नाटक और महाराष्ट्र की कोई भी रेस पूरी नहीं होती. वह अब इस दुनिया में नहीं रहा. पिछले दस सालों से डॉग रेस में अपना दबदबा बनाए रखने वाले बाल्या का कुछ दिन पहले निधन हो गया था. अपने प्यारे कुत्ते की मौत से दुखी परिवार ने उसका अंतिम संस्कार परिवार के सदस्य की तरह किया.

दो दिन पहले ही उसका श्राद्ध किया गया और उसकी याद में 400 लोगों को भोज दिया गया. पालतू जानवर के प्रति व्यक्त की गई इन भावनाओं से कई कोल्हापुरवासी भावुक हो गए. 2011 में कोल्हापुर शहर से थोड़ी दूरी पर स्थित पचगांव में रहने वाले दीपक वर्गे इस छोटे से कुत्ते के बच्चे को घर लाए थे. बाल्या बचपन से ही दौड़ने में कुशल था. इस वजह से वह कोल्हापुर शहर के आस-पास के गांवों में होने वाली कुत्तों की प्रतियोगिता में भाग लेता था. कुछ ही समय में बाला की लोकप्रियता काफी बढ़ गई.

10 साल जीत रहा रेस
पिछले दस सालों में उसने सभी डॉग रेस में जीत हासिल की थी. महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य में आयोजित डॉग प्रतियोगिताओं में उसने कई पुरस्कार जीते और अपने मालिक दीपक वर्गे के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य में एक अलग पहचान बनाई. लगातार छह चैंपियनशिप जीतने के कारण कोल्हापुर समेत सीमावर्ती इलाकों में उसे 'हिंदकेसरी बाल्या' के नाम से भी जाना जाता था. परिवार के सदस्य की तरह रहने वाले इस कुत्ते की बीते 4 अगस्त को मौत हो गई थी. उसकी मौत के बाद तीन दिन का शोक भी रखा गया था.

कुत्ते की मौत पर मालिक ने किया श्राद्ध (ETV Bharat)

बाल्या के कारण बढ़ी पाचगांव की ख्याति
पाचगांव के वरगे परिवार ने 14 साल तक बाल्या का अपने बच्चे की तरह पालन-पोषण किया था. बाल्या द्वारा कर्नाटक और महाराष्ट्र सहित कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल करने के कारण पाचगांव की ख्याति बढ़ गई थी. पूर्व सरपंच संग्राम पाटिल ने कहा कि यह संतोष की बात है कि करवीर तालुका का पाचगांव बाल्या के गांव के रूप में जाना जाता है.

घर में दिन की पहली चाय 'बाल्या' के लिए
वरगे परिवार में पिछले 15 वर्षों से दिन की पहली चाय लाडले बाल्या के लिए होती थी. दीपक वरगे ने कहा कि कुत्ते को दूध, ब्रेड, अंडे, मटन, मेवे, बादाम और पिस्ता जैसे पौष्टिक भोजन दिए जाने से कुत्ते का स्वास्थ्य अच्छा बना हुआ था.

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Last Updated : Aug 18, 2024, 5:01 PM IST

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