नई दिल्ली: अगर आप फिल्म देखने के शौकीन हैं और थिएटर में फिल्म देखने के साथ-साथ पॉपकॉर्न का मजा लेते हैं, तो अब आपका मजा किरकिरा हो सकता है. इसकी वजह पॉपकॉर्न का बेस्वाद होना नहीं, बल्कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली 55वीं जीएसटी परिषद द्वारा लागू किए गए नए जीएसटी नियमों हो सकते हैं.
दरअसल, 21 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल ने पॉपकॉर्न के लिए अलग-अलग टैक्स दरें पेश कीं, जिससे मूवी देखने वालों और स्वस्थ नाश्ते के शौकीनों के सिर चकरा गए. नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, पहले से पैक किए गए और नमक और मसालों के साथ मिक्स रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर 12 प्रतिशत टैक्स लगेगा, जबकि कैरमल पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी टैक्स लगेगा. वहीं, मौजूदा समय में 'रेडी-टू-ईट' पॉपकॉर्न पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है.
कैरमेलाइज्ड पॉपकॉर्न पर व्यापक चर्चा
सीतारमण ने बताया कि एक बार जब पॉपकॉर्न को चीनी के साथ कोट करके कैरमल पॉपकॉर्न बनाया जाता है तो इसकी नेचर चीनी कन्फेक्शनरी में बदल जाती है. इसलिए इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है. सीतारमण ने कहा, "हमने कैरमेलाइज्ड पॉपकॉर्न पर व्यापक चर्चा की, सभी राज्य इस बात पर सहमत हुए कि चीनी मिलाए गए सभी आइटम को एक अलग टैक्स ब्रैकेट के तहत माना जाए."
सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़
लेकिन नेटिजन्स ने इससे आश्वस्त नहीं है, जिससे विषय-वस्तु से संबंधित मीम्स की बाढ़ आ गई है. एक शख्स ने लिखा "मैं 18 फीसदी जीएसटी पर पॉपकॉर्न खरीदता हूं!!. मैं 80 रुपये प्रति लीटर पर ईंधन खरीदता हूं. मैं अपनी लाइफ टैक्स का भुगतान करने में बिताता हूं. इनकम पर, बचत पर, निवेश पर. फिर भी मेरे पास कोई जॉब सिक्योरिटी नहीं है, कोई स्वास्थ्य सुरक्षा नहीं है, कोई रिटायरमेंट सिक्योरिटी नहीं है! क्या मैं मूर्ख हूं या देशभक्त?"