देहरादून:उत्तराखंड सचिवालय में धामी मंत्रिमंडल की बैठक हुई. बैठक में सार्वजनिक निजी संपत्ति क्षति वसूली एक्ट को कैबिनेट में मंजूरी दी गई. हाल ही में हल्द्वानी के बनभूलपुरा हिंसा के दौरान सरकार को इस कानून की कमी खली थी. तब से ही उत्तराखंड में इस एक्ट की चर्चाएं तेज हो गई थी. इस तरह का एक्ट उत्तर प्रदेश में पहले ही लागू है. इसके तहत उत्तर प्रदेश में निजी भूमि क्षति वसूली कानून के तहत तमाम अपराधियों पर तत्काल कार्रवाई की गई, जिसे आम जनता ने भी जमकर सराहा.
क्या होता है निजी संपत्ति क्षति वसूली कानून? सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम अधिनियम 1984 के प्रावधानों के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, जिसके बाद वो दोषी साबित होता है तो उसे 5 साल की सजा हो सकती है. इसके अलावा उस पर जुर्माना भी लग सकता है. ऐसे मामलों में दोषी को सजा और जुर्माना दोनों का भी प्रावधान है.
कानून के मुताबिक, सार्वजनिक या सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति को तब तक जमानत नहीं मिलती है, जब तक वो नुकसान की पूरी तरह यानी 100 फीसदी भरपाई नहीं कर देता है. यह भारत सरकार का कानून है, जो कि सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम अधिनियम 1984 के नाम से लागू है. वहीं, इस कानून को अलग-अलग राज्यों ने अपनाया है और इसमें कुछ संशोधन भी किए गए हैं.
इस कानून में संशोधन करते हुए कई राज्यों ने सार्वजनिक और सरकारी भूमि को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति कड़ी कार्रवाई के प्रावधान किए हैं. उत्तर प्रदेश और हरियाणा में इस एक्ट को बेहद सख्त बनाया गया है तो वहीं अब उत्तराखंड में भी इसकी कवायद शुरू की गई जा रही है, जिस पर कैबिनेट ने अप्रूवल भी दे दिया है.
क्या बोले सचिव गृह शैलेश बगोली?उत्तराखंड के सचिव गृह शैलेश बगोली ने बताया कि यदि कोई किसी सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो ऐसे मामलों में FIR तो दर्ज होती ही है, लेकिन नए एक्ट के प्रावधानों के अनुसार लोकल सर्किल ऑफिसर अपनी एक रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजेगा. जिसमें नुकसान की भरपाई को लेकर एक क्लेम ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा. जिसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जज के माध्यम से होगी और इस ट्रिब्यूनल में और भी सदस्य होंगे.
इस तरह के मामले इसी क्लेम ट्रिब्यूनल में जाएंगे, जहां पर क्षति की गई संपत्ति की भरपाई को लेकर कार्रवाई चलेगा. उन्होंने बताया कि क्लेम ट्रिब्यूनल चाहे तो ऐसे मामलों में कमिश्नर कोर्ट का भी गठन कर सकता है. इसमें पूरी कार्रवाई के बाद कोर्ट असेसमेंट करेगा कि कितना और किस तरह का नुकसान किया गया है? जिसके बाद उसकी भरपाई को लेकर वसूली की कार्रवाई की जाएगी.
गौर हो कि सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हड़ताल, बंद, धरना या विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारी या उपद्रवी अगर सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं और इससे सरकारी और निजी संपत्तियों को भी नुकसान होता है तो इसकी क्षतिपूर्ति यानी नुकसान की भरपाई के लिए अब तक उत्तराखंड में कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी. लिहाजा, इस कानून के तहत दंगे करने और अशांति फैलाने वालों पर सरकार अब सख्ती से पेश आएगी.
दरअसल, धामी सरकार ने 'दंगारोधी' यानी दंगे के दौरान होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए देश के सबसे कठोर (अध्यादेश) कानून को मंजूरी दे दी है. इस कानून के तहत अब निजी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दंगाइयों से क्षति की पूरी वसूली की जाएगी. इसके अलावा 8 लाख तक का जुर्माना और दंगा नियंत्रण में सरकारी अमले और अन्य कार्य पर आने वाले खर्चे की भरपाई भी की जाएगी. आज मंत्रिमंडल ने इस कानून को मंजूरी देकर राज्यपाल की स्वीकृति को भेज दिया है.