देहरादून (उत्तराखंड):प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर तेजी काम हो रहा है. बीते कई सालों से उत्तराखंड वासी से लेकर अन्य राज्यों से इस रेल मार्ग को एक सपना ही समझते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे यह सपना पूरा होने जा रहा है. ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक रेल मार्ग का काम तेजी से किया जा रहा है. जिससे उम्मीद है कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे मार्ग आगामी 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा. जिसके बाद कई ट्रायल होंगे, फिर इस रूट पर ट्रेन का आवागमन शुरू हो जाएगा.
जल्द पूरा होगा सपना: उत्तराखंड चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू हो चुकी है, चारों धामों तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को काफी वक्त लगता है. ऋषिकेश से बदरीनाथ पहुंचने में भक्तों को करीब 12 घंटे का समय लगता है. जबकि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ पहुंचने में भी भक्तों को कई-कई घंटे लगते हैं. ऐसे में साल 2025 में चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रेल मार्ग एक बड़ा विकल्प हो जाएगा.
पटरी बिछाने का चल रहा काम:इस परियोजना के तहत देवप्रयाग के पास मलेथा में एक बड़े ग्राउंड में रेलवे स्टेशन का काम तेजी से चल रहा है. श्रीनगर और कर्णप्रयाग में भी स्टेशन बनाने और स्टेशन तक रेल लाइन पहुंचाने का काम करीब 70 फीसदी पूरा हो गया है. रेलवे सबसे पहले ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल की पटरी बिछाने का काम कर रहा है. जबकि, रेलवे स्टेशन बनाने का काम दूसरे चरण में किया जाएगा.
प्रोजेक्ट का करीब 70 फीसदी पूरा हुआ काम:पहले इस काम को साल 2024 तक पूरा किया जाना था, लेकिन किन्हीं कारण से अब यह प्रोजेक्ट साल 2025 के अक्टूबर महीने तक पूरा होगा. करीब 125 किलोमीटर लंबे इस रेलमार्ग के काम को करीबन 70 फीसदी पूरा कर लिया गया है. रेलमार्ग में तमाम टनल को एक से दूसरे टनल से मिलाने का काम भी करीबन पूरा हो गया है. अब इस मार्ग पर रेलवे पुल बनाने का काम शुरू हुआ है. इस मार्ग पर करीब 16 रेल पुल बन रहे हैं, जिसमें 4 छोटे पुल बनकर तैयार हो गए हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी:रेल विकास निगम लिमिटेड (ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना) के उप महाप्रबंधक ओम प्रकाश मालगुडी का कहना है कि साल 2025 तक उत्तराखंड में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जिसके तहत सभी कामों को पूरी सावधानी के साथ किया जा रहा है. सबसे प्रमुख काम ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक सुरंग के माध्यम से रेल पटरी बिछाने का है. एक-एक टनल को सुरक्षा मानकों के अनुसार बनाकर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आने वाले प्रोजेक्ट में किसी तरह की कोई दिक्कत ना आए.
99 साल के लिए बनाया जा रहा डिजाइन:बता दें कि 99 साल के लिए डिजाइन बनाकर इस प्रोजेक्ट को तैयार किया जा रहा है. ताकि, आने वाले 99 साल तक कोई काम इस प्रोजेक्ट पर न करना पड़े. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक भीड़भाड़ वाले दिनों यानी सीजन के समय में यह ट्रेन चार चक्कर लगाएगी. जबकि, सामान्य दिनों में यह ट्रेन दो बार आना-जाना करेगी.