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बजट 2025 में होगा बड़ा ऐलान! वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से ये हैं 5 सबसे बड़ी उम्मीदें - BUDGET 2025

1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2025 को पेश करेंगी.

Budget 2025
बजट 2025 (Getty Image)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 4, 2025, 2:04 PM IST

नई दिल्ली: भारत के लिए 2025 के केंद्रीय बजट का बेसब्री से इंतजार है, जिसके बाद से ही इस साल के बजट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. यह बजट आने वाले वर्षों में देश के विकास का ब्लूप्रिंट पेश करेगा. आगामी बजट का बहुत महत्व है, क्योंकि यह ऐसे समय में आ रहा है, जब देश अपनी खपत को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है. क्योंकि पिछली तिमाही में विकास दर औसत से कम रही थी और अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए कुछ साहसिक कदम उठाने की जरूरत है.

दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि अप्रत्याशित रूप से धीमी होकर 5.4 फीसदी पर आ गई, जिसका मुख्य कारण कमजोर पूंजी निर्माण और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और बाधित आपूर्ति श्रृंखलाओं के बीच निर्यात प्रदर्शन में कमी है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा मुद्रास्फीति अस्थिर बनी हुई है. दो महीनों को छोड़कर मुद्रास्फीति पूरे साल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 4 फीसदी की लक्ष्य दर से ऊपर रही है. अक्टूबर 2024 में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) RBI की 6 फीसदी की ऊपरी सीमा को पार कर 6.21 फीसदी पर पहुंच गया.

फरवरी 2023 से आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने के बावजूद महंगाई एक सतत चुनौती बनी हुई है, जिसमें बीच-बीच में केवल थोड़े समय के लिए राहत मिलती है.

बजट 2025 से 5 बड़ी उम्मीदें

  1. व्यक्तियों के लिए टैक्स से राहत- कई उद्योग जगत के नेताओं ने 20 लाख रुपये प्रति वर्ष तक आयकर में राहत की मांग की है. इससे डिस्पोजेबल आय बढ़ेगी और बदले में खपत बढ़ेगी.
  2. फ्यूल पर एक्साइज ड्यूटी को कम करना- एक अन्य प्रमुख उम्मीद पेट्रोल और डीजल पर अत्यधिक उत्पाद शुल्क में कमी है. उद्योग जगत ने बताया है कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में 40 फीसदी की कमी के बावजूद, उत्पाद शुल्क में भारी वृद्धि के कारण फ्यूल की कीमतें कम नहीं हुई हैं. उत्पाद शुल्क में कटौती से महंगाई पर अंकुश लगाने और विशेष रूप से निम्न आय वाले परिवारों में उपभोग को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है.
  3. रोजगार-प्रधान क्षेत्रों को बढ़ावा देना- उद्योग जगत ने रोजगार-प्रधान क्षेत्रों जैसे कि वस्त्र, जूते, पर्यटन, फर्नीचर और एमएसएमई को प्रोत्साहित करने के लिए लक्षित उपायों का प्रस्ताव दिया है. इन पहलों का उद्देश्य रोजगार पैदा करना और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत को अधिक प्रभावी ढंग से स्थापित करना है.
  4. ग्रामीण उपभोग और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना- ग्रामीण उपभोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिसने हाल की तिमाहियों में सुधार के संकेत दिखाए हैं.
  5. चीन द्वारा डंपिंग से निपटना- उद्योग के बीच एक प्रमुख चिंता वैश्विक बाजारों में चीन द्वारा अतिरिक्त स्टॉक डंप करना है, जिसने भारतीय उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है.

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नई दिल्ली: भारत के लिए 2025 के केंद्रीय बजट का बेसब्री से इंतजार है, जिसके बाद से ही इस साल के बजट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. यह बजट आने वाले वर्षों में देश के विकास का ब्लूप्रिंट पेश करेगा. आगामी बजट का बहुत महत्व है, क्योंकि यह ऐसे समय में आ रहा है, जब देश अपनी खपत को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है. क्योंकि पिछली तिमाही में विकास दर औसत से कम रही थी और अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए कुछ साहसिक कदम उठाने की जरूरत है.

दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि अप्रत्याशित रूप से धीमी होकर 5.4 फीसदी पर आ गई, जिसका मुख्य कारण कमजोर पूंजी निर्माण और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और बाधित आपूर्ति श्रृंखलाओं के बीच निर्यात प्रदर्शन में कमी है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा मुद्रास्फीति अस्थिर बनी हुई है. दो महीनों को छोड़कर मुद्रास्फीति पूरे साल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 4 फीसदी की लक्ष्य दर से ऊपर रही है. अक्टूबर 2024 में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) RBI की 6 फीसदी की ऊपरी सीमा को पार कर 6.21 फीसदी पर पहुंच गया.

फरवरी 2023 से आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने के बावजूद महंगाई एक सतत चुनौती बनी हुई है, जिसमें बीच-बीच में केवल थोड़े समय के लिए राहत मिलती है.

बजट 2025 से 5 बड़ी उम्मीदें

  1. व्यक्तियों के लिए टैक्स से राहत- कई उद्योग जगत के नेताओं ने 20 लाख रुपये प्रति वर्ष तक आयकर में राहत की मांग की है. इससे डिस्पोजेबल आय बढ़ेगी और बदले में खपत बढ़ेगी.
  2. फ्यूल पर एक्साइज ड्यूटी को कम करना- एक अन्य प्रमुख उम्मीद पेट्रोल और डीजल पर अत्यधिक उत्पाद शुल्क में कमी है. उद्योग जगत ने बताया है कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में 40 फीसदी की कमी के बावजूद, उत्पाद शुल्क में भारी वृद्धि के कारण फ्यूल की कीमतें कम नहीं हुई हैं. उत्पाद शुल्क में कटौती से महंगाई पर अंकुश लगाने और विशेष रूप से निम्न आय वाले परिवारों में उपभोग को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है.
  3. रोजगार-प्रधान क्षेत्रों को बढ़ावा देना- उद्योग जगत ने रोजगार-प्रधान क्षेत्रों जैसे कि वस्त्र, जूते, पर्यटन, फर्नीचर और एमएसएमई को प्रोत्साहित करने के लिए लक्षित उपायों का प्रस्ताव दिया है. इन पहलों का उद्देश्य रोजगार पैदा करना और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत को अधिक प्रभावी ढंग से स्थापित करना है.
  4. ग्रामीण उपभोग और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना- ग्रामीण उपभोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिसने हाल की तिमाहियों में सुधार के संकेत दिखाए हैं.
  5. चीन द्वारा डंपिंग से निपटना- उद्योग के बीच एक प्रमुख चिंता वैश्विक बाजारों में चीन द्वारा अतिरिक्त स्टॉक डंप करना है, जिसने भारतीय उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है.

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