नई दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने अपने देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधार करने का वादा किया है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि कई कारणों से भारतीय निवेशकों के हिमालयी राष्ट्र में जाने की संभावना नहीं है.
दहल ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की. यह फेडरेशन ऑफ नेपाली चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की 58वीं वार्षिक आम बैठक में भाग लेने के लिए काठमांडू गया था. काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक के दौरान दहल ने कहा कि नेपाल सरकार विदेशी निवेशकों की सुविधा के लिए नीतिगत सुधार करने को इच्छुक है. उन्होंने विदेशी निवेशकों को लॉजिस्टिक समर्थन देने का भी वादा किया और सीआईआई प्रतिनिधिमंडल से नेपाल में निवेश को सुविधाजनक बनाने का आग्रह किया.
प्रतिनिधिमंडल ने नेपाल के वित्त मंत्री वर्षा मान पुन और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री दामोदर भंडारी के साथ भी बैठक की. पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक पुन ने सीआईआई प्रतिनिधिमंडल से कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था नेपाल की अर्थव्यवस्था में एक बड़ी भूमिका निभाती है. साथ ही कहा कि वह नेपाल और भारत के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए अपनी क्षमता के भीतर सब कुछ करेंगे.
भंडारी ने अपनी ओर से कहा कि नेपाल में उद्योग स्थापित करने के लिए विदेशी निवेशकों को सभी आवश्यक सहायता दी जाएगी. देश के विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ के चीन दौरे और हिमालयी राष्ट्र में चीनी निवेश की मांग के कुछ दिनों बाद सीआईआई प्रतिनिधिमंडल नेपाल का दौरा कर रहा है. उन्होंने नेपाल में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रिय बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को लागू करने के लिए एक नवीनीकृत योजना के तहत एक आर्थिक गलियारे के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा. हालांकि, सच तो यह है कि नेपाल को राजनीतिक अस्थिरता और विकास के लिए उचित दृष्टिकोण की कमी सहित कई कारणों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने में कठिनाई हो रही है.
नेपाल के भीतर समस्याएँ:काठमांडू स्थित राजनीतिक विश्लेषक हरि रोका के अनुसार नेपाल के पास उचित बुनियादी ढांचा नहीं है. रोका ने काठमांडू से फोन पर ईटीवी भारत को बताया, 'लेकिन, हमें यह भी पता नहीं चल रहा है कि हमें किस तरह के बुनियादी ढांचे की जरूरत है. हम निश्चित नहीं हैं कि हमें किस उद्देश्य के लिए विदेशी निवेश की आवश्यकता है.'