देहरादून: कालसी क्षेत्र में एक निजी भूमि पर हजारों पेड़ काट दिए गए और वन विभाग को इसकी भनक भी नहीं लगी. यह बात यकीन करने लायक तो नहीं है, लेकिन हजारों पेड़ों को काटे जाने के मामले में जो स्थिति पैदा हुई है, वह कुछ यही बता रही है. मामला साल 2015 से 2022 तक का है, जब कालसी क्षेत्र में एक निजी भूमि पर मौजूद हजारों पेड़ों को धीरे-धीरे काटा जाता रहा. इस प्रकरण पर पीसीसीएफ धनंजय मोहन ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंप दी है. जांच रिपोर्ट में 2015-16 के तत्कालीन डीएफओ मानसिंह को लापरवाह बताकर हजारों पेड़ों को काटे जाने के मामले को शांत कर दिया गया है.
कालसी में 6000 पेड़ काटने का है यह प्रकरण:यह मामला साल 2015 से शुरू होता है, जब कालसी क्षेत्र में मानसिंह डीएफओ के तौर पर काम कर रहे थे. इस दौरान इस क्षेत्र में एक निजी भूमि पर हजारों पेड़ मौजूद थे, जिनमें से पांच पेड़ों को काटने की अनुमति डीएफओ मानसिंह से मांगी गई. डीएफओ स्तर पर पांच पेड़ों को काटने की अनुमति भी दे दी गई. जांच रिपोर्ट कहती है कि इन्हीं पांच पेड़ों की अनुमति के सहारे इस भूमि से धीरे-धीरे हजारों पेड़ काट दिए गए, जबकि मानसिंह कहते हैं कि जिन पेड़ों की अनुमति मांगी गई थी, केवल उन्हीं पांच पेड़ों को काटा गया था. लेकिन कुछ दिन बाद पूर्व मंत्री के रिश्तेदार ने राजनीतिक पैठ का इस्तेमाल करते हुए बाकी पेड़ों को भी अवैध रूप से काटना शुरू कर दिया. मामले में आरोपी मानसिंह चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट के पद से हाल ही में रिटायर हुए हैं और उन्हें इस मामले में साल 2019 में चार्जशीट भी दे दी गई है. उनका कहना है कि प्रभाग में मौजूद स्टाफ ने उन्हें धोखे में रखा और उनकी जानकारी के बिना ही कुछ दिनों बाद पेड़ों को काटा गया. हालांकि प्रकरण जानकारी में आने के बाद उन्होंने अपने अधीनस्थ कई अधिकारी और कर्मचारियों को आरोप पत्र दिए और इन्हें यहां से हटाया भी गया.
सवालों के घेरे में तैनात रहे करीब पांच डीएफओ: यह मामला 2015 से 2022 तक का है, लिहाजा पेड़ कटान की बात केवल मानसिंह के कार्यकाल में ही सामने नहीं आई, बल्कि इसके बाद भी यहां अवैध रूप से पेड़ काटे जाने की बात कही गई है. ऐसे में मानसिंह के यहां से हटाने के बाद भी पेड़ों को काटे जाने का सिलसिला जारी रहा और इस दौरान इस क्षेत्र में डीएफओ रहे तमाम अधिकारी इससे अंजान बने रहे. मानसिंह कहते हैं कि सैटेलाइट इमेज में इस बात की पुष्टि होती है कि उनके जाने के बाद भी कई सालों तक इस जमीन से पेड़ काटे जाते रहे, लेकिन वन विभाग की जांच और तमाम दूसरी कार्रवाई में केवल उन पर ही फोकस किया गया और बाकी अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.
समतलीकरण की परमिशन SDM स्तर पर कैसे हुई बड़ा सवाल: आरोप लगा है कि कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री के रिश्तेदार ने इस जमीन पर बड़ी संख्या में पेड़ कटवाए और मामले में राजनीतिक दबाव के कारण प्रकरण पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. लेकिन बात केवल वन विभाग तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि जिस बेसकीमती जमीन पर यह पेड़ लगे थे, उसको समतलीकरण करने की भी अनुमति दे दी गई, जबकि नियम है कि जिस जमीन पर पेड़ मौजूद हों, उसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. मानसिंह का कहना है कि उनके कार्यकाल के दौरान समतलीकरण की अनुमति दी गई, जिसे बाद में कैंसिल कर दिया गया. इसके बाद 2022 में भी एक बार फिर अनुमति दे दी गई. उन्होंने कहा कि सैटेलाइट इमेज में जमीन पर पेड़ मौजूद होने की बात स्पष्ट थी, इसके बावजूद उनके कार्यकाल में समतलीकरण की अनुमति हुई. हालांकि ये जांच का विषय है.