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'जमानत देने से इनकार करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन', सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की यह टिप्पणी? जानें - Supreme Court On Bail - SUPREME COURT ON BAIL

Supreme Court: जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए जलालुद्दीन खान को जमानत दे दी है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि जमानत के मामले पर विचार करना अदालत का कर्तव्य है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 13, 2024, 6:31 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 'जमानत नियम है, जेल अपवाद है' लीगल प्रिंसिपल है और यह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम जैसे विशेष कानूनों के तहत अपराधों पर भी लागू होता है.

जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कड़े आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत आरोपी जलालुद्दीन खान को जमानत देते हुए कहा कि अगर अदालतें जमानत देने से इनकार करना शुरू कर दें, तो यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.

'जमानत के मामले पर विचार करना अदालत का कर्तव्य'
पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष के आरोप बहुत गंभीर हो सकते हैं, लेकिन कानून के अनुसार जमानत के मामले पर विचार करना अदालत का कर्तव्य है. पीठ ने जोर देकर कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है, यह विशेष कानूनों पर भी लागू होता है. कोर्ट ने कहा, "अगर अदालतें योग्य मामलों में जमानत देने से इनकार करना शुरू कर देती हैं, तो यह अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत अधिकारों का उल्लंघन होगा."

'अदालत को जमानत देने में संकोच नहीं करना चाहिए'
पीठ ने कहा कि जब जमानत देने की बात हो तो अदालत को जमानत देने में संकोच नहीं करना चाहिए. साथ ही, उसने पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ खान की अपील को स्वीकार कर लिया, जिसने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था. याचिकाकर्ता पर प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कथित सदस्यों को अपने घर का एक फ्लोर किराए पर देने के लिए यूएपीए और अब समाप्त हो चुकी आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

हिंसा की साजिश
राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अनुसार आतंक और हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने और आतंक का माहौल बनाने के इरादे से आपराधिक साजिश रची गई थी. आरोपियों ने पटना के फुलवारीशरीफ के अहमद पैलेस में किराए के आवास की व्यवस्था की और परिसर का इस्तेमाल हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने और आपराधिक साजिश की बैठकें आयोजित करने के प्रशिक्षण के लिए किया.

बता दें कि बिहार पुलिस को 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित यात्रा के दौरान अशांति फैलाने की आरोपियों की योजना के बारे में जानकारी मिली थी. जिसके बाद पुलिस ने खान के आवास पर छापा मारा था.

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