नई दिल्ली: दिल्ली में एक दशक में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ तीसरी बार दिल्ली की सत्ता में काबिज नहीं हो सकी. अब 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में राज करेगी. विधानसभा चुनाव की गहमगामी शुरू होने से पहले दिल्ली के सियासी गलियारे में जिस तरह आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा चल रही थी, अगर गठबंधन होता तो शायद परिणाम कुछ और होते.
दरअसल चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार बहुमत हासिल करने वाली भाजपा चुनाव परिणामों में पहले नंबर पर है. भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर 45.66 फीसदी हैं. वहीं दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 43.55 फीसदी हैं. आप और भाजपा के बीच वोट शेयर का अंतर सिर्फ 2 फीसदी के करीब है. जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 6.35 फीसदी हैं.
इस बार के वोट शेयर को देख कर कहा जा सकता है कि अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिल कर चुनाव लड़ते तो भाजपा को हार का सामना करना पड़ता. इसका एक और सटीक उदाहरण नई दिल्ली विधानसभा सीट पर देखने को मिला है. यहां से भाजपा के प्रवेश वर्मा को 30,088 वोट मिले हैं और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को 25,999 वोट मिले. प्रवेश वर्मा को 4089 अधिक वोट से जीत मिली. कांग्रेस के उम्मीदवार संदीप दीक्षित को 4568 वोट मिले. यदि आप और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ती तो केजरीवाल जीत जाते. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और आप ने सबसे पहले कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था.