दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज की युद्ध रणनीति आज भी कई देशों के लिए है प्रेरणास्रोत - Chhatrapati Shivaji Maharaj

CHHATRAPATI SHIVAJI MAHARAJ : मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की आज 394वीं पुण्यतिथि है. वह न सिर्फ युद्ध के मैदान में अपनी वीरता के लिए जाने जाते थे, बल्कि उनकी युद्ध रणनीति आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक बनी हुई है. आज भी यह रणनीति लोगों को प्रेरित करती है. पढ़ें पूरी खबर..

Remembering The Maratha King
Remembering The Maratha King

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 3, 2024, 1:19 PM IST

हैदराबाद : छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन 3 अप्रैल 1680 को हुआ था. उनकी बहादुरी की याद में हर साल 3 अप्रैल को उनकी पुण्य तिथि मनाई जाती है. वे अपनी युद्ध रणनीतियों, प्रशासनिक कौशल और वीरता कौशल के लिए प्रसिद्ध थे. उनका जन्म 19 फरवरी 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र में भोंसले मराठा वंश में हुआ था. इतिहासकारों के अनुसार, शिवाजी एक सच्चे और दयालु नेता थे जो अपने लोगों और मातृभूमि के लिए महसूस करते थे.

मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व नेतृत्व, सैन्य प्रतिभा, प्रशासनिक कौशल, भक्ति, धार्मिक सहिष्णुता, सामाजिक कल्याण, नैतिक मूल्यों, सांस्कृतिक संरक्षण और रणनीतिक दृष्टि का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण था. सत्यनिष्ठा, करुणा और न्याय के प्रति निरंतर प्रयास की विशेषता वाला उनका बहुमुखी व्यक्तित्व पीढ़ियों को प्रेरित करता रहता है. शिवाजी महाराज की विरासत भारतीयों के दिलों में गहराई से बसी हुई है.

मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज

वियतनाम के आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज: वियतनाम जैसा दक्षिण-पूर्व का एक छोटा-सा देश अमेरिका जैसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के खिलाफ कई वर्षों से लड़ रहा था, जिसके पास परमाणु हथियार भी थे. इसके बावजूद छत्रपति की प्रेरणा से उसने युद्ध जीता. छत्रपति ने इसी छापामार रणनीति से मुगलों को हराया था. वियतनामी सैनिकों ने भी यही रास्ता अपनाया था. वियतनाम के राष्ट्रपति ने युद्ध जीतने के बाद कहा था कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की रणनीति का पालन किया था और इसलिए वे शक्तिशाली अमेरिका को हरा सके.

छत्रपति शिवाजी महाराज

भारतीय नौसेना के जनक: भारत का समुद्री इतिहास समृद्ध और विविध है, लेकिन नौसेना युद्ध और रणनीति में उनके अद्वितीय योगदान के लिए एक शख्स सबसे आगे है. छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्हें भारतीय नौसेना के जनक के रूप में स्वीकार किया जाता है. 17वीं शताब्दी में जन्मे, शिवाजी महाराज एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने भारतीय शासकों के बीच एक आम समझ बनने से बहुत पहले ही एक मजबूत नौसैनिक बल के रणनीतिक महत्व को पहचान लिया था. ऐसे समय में जब उपमहाद्वीप विभिन्न राज्यों में विभाजित था और विदेशी आक्रमणों के बढ़ते खतरे के तहत, शिवाजी महाराज ने एक नौसैनिक बल की नींव रखी जो न केवल समुद्र तट की रक्षा करेगी बल्कि शक्ति और प्रभाव भी प्रदर्शित करेगी.

छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज के कुछ प्रमुख गुण

  1. छत्रपति शिवाजी महाराज को 17वीं सदी के भारत में समुद्री युद्ध और रणनीति में उनके दूरदर्शी योगदान के कारण भारतीय नौसेना के जनक के रूप में जाना जाता है.
  2. उन्होंने मराठा नौसैनिक बल की स्थापना की, गढ़वाले नौसैनिक अड्डों का निर्माण किया और नवीन नौसैनिक रणनीति पेश की.
  3. उनके द्वारा गढ़वाले नौसैनिक अड्डों की स्थापना, विभिन्न प्रकार के जहाजों वाले बेड़े का विकास और समुद्र में गुरिल्ला युद्ध जैसी नवीन नौसैनिक रणनीति की शुरूआत अभूतपूर्व थी. ये योगदान अलग-अलग उपलब्धि नहीं थे बल्कि एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य के व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा थे.
  4. उनके नौसैनिक प्रयासों ने भारत में भविष्य के समुद्री अभियानों के लिए आधार तैयार किया और यह अध्ययन और प्रशंसा का विषय बना हुआ है.

हर महिला का सम्मान करने वाले राजा: शिवाजी ने अपने शासनकाल के दौरान कई क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया. उनके शत्रु कब्जा की गई भूमि की महिलाओं के साथ जो करते थे. उसके विपरीत, शिवाजी ने अपने जीते हुए किलों में रहने वाली किसी भी महिला को कभी कैद नहीं किया. उनके समय में बलात्कारियों को कड़ी सजा दी जाती थी और उन्होंने अपनी सेना को आदेश दिया कि वे हर महिला का हमेशा सम्मान करें चाहे वह किसी भी धर्म या वंश की हो.

महिलाओं का सशक्तिकरण: शिवाजी महाराज ने महिलाओं को सशक्त बनाकर और उन्हें अधिकारपूर्ण पद देकर एक प्रगतिशील दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया. उन्होंने उनकी शिक्षा, प्रशिक्षण और शासन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया. एक महिला सैन्य कमांडर, जीजाबाई की नियुक्ति और महिला सैन्य इकाइयों (दुर्गा पथक) की स्थापना उल्लेखनीय पहल थी जिसने पारंपरिक लिंग मानदंडों को चुनौती दी और लैंगिक समानता का मार्ग प्रशस्त किया.

सामाजिक सुधार और कल्याण: शिवाजी महाराज न केवल एक विजेता थे बल्कि एक उदार शासक भी थे जिन्होंने अपनी प्रजा के कल्याण को प्राथमिकता दी. उन्होंने अपने लोगों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से कई सामाजिक सुधार पेश किए. शिवाजी महाराज ने अनुचित करों को समाप्त किया, व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा दिया और महिलाओं और हाशिये पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने वाली नीतियों को लागू किया. उन्होंने न्याय की एक मजबूत प्रणाली स्थापित की, जिसमें उनकी सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी के लिए समान व्यवहार सुनिश्चित किया गया.

दूसरों के धर्म का सम्मान: अन्य धर्मों के अनुयायियों के साथ उनका व्यवहार बहुत निष्पक्ष था. यहां तक कि खफी खान जैसे शिवाजी के महान आलोचक ने भी उनके बारे में कहा था कि उन्होंने यह नियम बना दिया था कि जब भी उनके अनुयायी लूटपाट करें, तो उन्हें मस्जिदों, ईश्वर की किताब (कुरान) या किसी की महिलाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए.

गुरिल्ला युद्ध के स्वामी:शिवाजी उन क्षेत्रों के हर महत्वपूर्ण भौगोलिक लाभ और हानि को जानते थे जिनकी उन्होंने रक्षा की थी. छोटे समूहों में हमला करना और दुश्मनों को चकमा देना ऐसे गुण थे जिन्हें उन्होंने कड़ी मेहनत और समर्पण से हासिल किया था.

उन्होंने अपराधियों को कड़ी सजा दी:शिवाजी बहुत दयालु थे लेकिन केवल उन लोगों के प्रति जो इसके योग्य थे. उनके शासनकाल के दौरान सभी बलात्कारियों और हत्यारों को कड़ी सजा दी गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को कानूनी व्यवस्था में विश्वास हो और आपराधिक मानसिकता वाले लोग अपने कार्यों के परिणामों से भयभीत हों.

एक प्रभावी संगठनकर्ता: शिवाजी को इतिहास में सबसे महान आयोजकों में से एक के रूप में जाना जाता है. अपनी उल्लेखनीय शक्तियों के बल पर उन्होंने बिखरे हुए मराठों को एकत्रित किया और उन्हें एक संगठित दुर्जेय शक्ति में बदल दिया.

एक कुशल कूटनीतिज्ञ: उन्होंने अपने दुश्मनों को कभी भी अपने विरुद्ध एकजुट नहीं होने दिया. उन्होंने अपनी कूटनीति के बल पर अपने पिता को बीजापुर के सुल्तान से मुक्त कराया. आगरा में औरंगजेब की नजरबंदी से उनकी मुक्ति उनकी कूटनीति के बारे में बहुत कुछ कहती है.

प्रशासनिक कौशल: शिवाजी महान योग्यता और व्यावहारिक दूरदर्शिता वाले प्रशासक थे. वे व्यक्तिगत रूप से विभिन्न विभागों का कामकाज देखते थे. वह उन अधिकारियों के प्रति क्रूर थे जो भ्रष्टाचार और उत्पीड़न में लिप्त थे.

ये भी पढ़ें

महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में LOC के निकट छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण किया

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर हर्षोल्लास, CM शिंदे ने प्रतिमा पर किया माल्यार्पण

ABOUT THE AUTHOR

...view details