श्रीनगर: पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हजरतबल दरगाह के बाहर एक स्ट्रीट वेंडर द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले खाना पकाने के तेल के डिब्बे में मरा हुआ चूहा तैरता हुआ दिखाई दिया था. यह चौंकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद कश्मीर में खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उस वेंडर को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन इस घटना ने पूरे क्षेत्र में खाद्य पदार्थों को लेकर आशंकाओं को बढ़ा दिया है.
कश्मीर में स्ट्रीट फूड मुख्य व्यंजन है, जिसमें कुरकुरे नदरू मोंजे (nadru monje) से लेकर चटपटे बारबेक्यू तक सब कुछ मिलता है. लेकिन ये झटपट बनने वाले, किफायती भोजन भले ही लुभावने हों, लेकिन इनमें अक्सर स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी होते हैं. खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि खराब स्वच्छता और लापरवाही इसके लिए जिम्मेदार हैं.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर औषधि एवं खाद्य नियंत्रण संगठन के तहत घाटी में 14,000 से अधिक पंजीकृत खाद्य प्रतिष्ठान हैं. इसमें स्ट्रीट वेंडर भी शामिल हैं, जो आधार कार्ड, एक फोटो और एक ऑनलाइन आवेदन जैसी न्यूनतम औपचारिकताओं के साथ भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं.
बढ़ती बेरोजगारी के बीच इन विक्रेताओं की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन खाद्य सुरक्षा नियम कमजोर बने हुए हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रथाओं को पनपने की अनुमति दे रहे हैं. दरगाह हजरतबल में कई स्टॉल अस्वास्थ्यकर हालात में संचालित होते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है.
खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन विक्रेताओं को स्टॉल लगाने की अनुमति देने के लिए जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड ने उनसे परामर्श नहीं किया था.
गैस्ट्रोएंटेराइटिस और अन्य संक्रमणों के केस में वृद्धि