कोलकाता: लोकसभा चुनाव के बीच प्रख्यात राजनीतिक अर्थशास्त्री डॉ. परकला प्रभाकर का मानना है कि भाजपा राज्यों या केंद्र में सरकार बनाने के लिए मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर नहीं है. उनके मुताबिक, पार्टी की यही मानसिकता भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्ष छवि के खिलाफ है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ. प्रभाकर ने बताया कि केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी की अल्पसंख्यकों के प्रति मानसिकता भारत के संविधान की भावना के खिलाफ है.
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने हाल ही में जादवपुर विश्वविद्यालय में 'न्यू' इंडिया की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर एक व्याख्यान दिया, जहां उन्होंने वर्तमान भाजपा शासन के वोट बैंक और देश के वोट बैंक पर अल्पसंख्यक समुदायों के प्रभाव के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि वह पहले भी साबित कर चुके हैं कि भाजपा अल्पसंख्यक वोट बैंक के बिना भी राज्यों या केंद्र में सरकार बना सकती है और इस बार भी वे ऐसा कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, मुस्लिम आबादी के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. फिर भी, भाजपा मुस्लिम समुदाय के वोटों के बिना सरकार बनाने की ताकत रखती है. उन्होंने इसे पहले भी साबित किया है और फिर से साबित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने शुरू से ही मुस्लिम समुदाय को नियंत्रित करने के लिए तीन तरह की नीतियां अपनाईं. पुरस्कार, फटकार और सुधार.
उन्होंने कहा कि हालांकि पूर्व में भाजपा नेतृत्व ने मुसलमानों को पुरस्कार देने का विरोध किया, लेकिन वे उनके लिए सुधारों के पक्ष में थे. मगर वर्तमान भाजपा नेतृत्व केवल अल्पसंख्यकों को अपमानित करने में विश्वास रखता है. इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि वर्तमान भाजपा नेतृत्व राज्य या केंद्र सरकार में मुस्लिम वोट बैंक पर ज्यादा ध्यान नहीं देता है. उन्होंने यह साबित कर दिया और उनकी मानसिकता भारत के संविधान के खिलाफ है.
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