नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम बताने पर अंतरिम रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान उजागर करने की कोई जरूरत नहीं है. कांग्रेस ने शीर्ष न्यायालय के इस आदेश का स्वागत किया है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा यूपी में लोकसभा चुनाव में अपनी हार को पचा नहीं पाई है और इसलिए अपनी विभाजनकारी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए विवादास्पद नेमप्लेट आदेश लेकर आई है.
कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया
बता दें कि, कांग्रेस ने धार्मिक कांवर यात्रा मार्ग पर खाद्य विक्रेताओं को नेमप्लेट लगाने के लिए कहने के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में भाजपा सरकारों की आलोचना की थी. सोमवार को विवादास्पद निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उन्होंने स्वागत किया. कांग्रेस ने तीन राज्य सरकारों के विवादास्पद कदम को असंवैधानिक और विभाजनकारी करार दिया. कांग्रेस ने उम्मीद जताई कि, पीएम मोदी अब अपने मुख्यमंत्रियों से अपने 'राजधर्म' का पालन करने के लिए कहेंगे, जिसे उन्होंने दशकों पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नजरअंदाज कर दिया था.
असंवैधानिक और विभाजनकारी निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट
यूपी के प्रभारी एआईसीसी सचिव प्रदीप नरवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि,'मैं इस असंवैधानिक और विभाजनकारी अजीब निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता हूं. राज्य सरकारों के निर्देश पर प्रतिबंध लगाने वाले शीर्ष अदालत के आदेश ने न केवल एक गलत प्रशासनिक निर्णय को सही किया है, बल्कि इसने देश में लोकतंत्र और समन्वित सामाजिक ताने-बाने की भी रक्षा की है. प्रदीप नरवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि, सरकारी आदेश का उद्देश्य स्पष्ट रूप से मुसलमानों और दलितों को निशाना बनाना था, जो गलत था.
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि पीएम मोदी को अब अपने मुख्यमंत्रियों को अपने 'राजधर्म' का पालन करने के लिए कहना चाहिए, एक सलाह जो उन्हें 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिली थी और उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया था. पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के साथ हमारे राजनीतिक और वैचारिक मतभेद थे लेकिन वह एक अलग तरह के राजनेता थे. मुझे बहुत कम उम्मीद है कि पीएम मोदी ऐसा कुछ करेंगे.' एआईसीसी पदाधिकारी के मुताबिक, बीजेपी यूपी में लोकसभा चुनाव में अपनी हार को पचा नहीं पाई थी और इसलिए अपनी विभाजनकारी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए विवादास्पद नेमप्लेट ऑर्डर लेकर आई थी.