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‘नेमप्लेट पर फंसी भाजपा? कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, कहा, हार को पचा नहीं पा रही BJP - SC order against nameplate - SC ORDER AGAINST NAMEPLATE

SC order against nameplate: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान उजागर करने की कोई जरूरत नहीं है. वहीं, कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई डेट दी है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी की है. कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है.

ANI
फोटो (ANI)

By Amit Agnihotri

Published : Jul 22, 2024, 5:57 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम बताने पर अंतरिम रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान उजागर करने की कोई जरूरत नहीं है. कांग्रेस ने शीर्ष न्यायालय के इस आदेश का स्वागत किया है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा यूपी में लोकसभा चुनाव में अपनी हार को पचा नहीं पाई है और इसलिए अपनी विभाजनकारी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए विवादास्पद नेमप्लेट आदेश लेकर आई है.

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया
बता दें कि, कांग्रेस ने धार्मिक कांवर यात्रा मार्ग पर खाद्य विक्रेताओं को नेमप्लेट लगाने के लिए कहने के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में भाजपा सरकारों की आलोचना की थी. सोमवार को विवादास्पद निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उन्होंने स्वागत किया. कांग्रेस ने तीन राज्य सरकारों के विवादास्पद कदम को असंवैधानिक और विभाजनकारी करार दिया. कांग्रेस ने उम्मीद जताई कि, पीएम मोदी अब अपने मुख्यमंत्रियों से अपने 'राजधर्म' का पालन करने के लिए कहेंगे, जिसे उन्होंने दशकों पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नजरअंदाज कर दिया था.

असंवैधानिक और विभाजनकारी निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट
यूपी के प्रभारी एआईसीसी सचिव प्रदीप नरवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि,'मैं इस असंवैधानिक और विभाजनकारी अजीब निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता हूं. राज्य सरकारों के निर्देश पर प्रतिबंध लगाने वाले शीर्ष अदालत के आदेश ने न केवल एक गलत प्रशासनिक निर्णय को सही किया है, बल्कि इसने देश में लोकतंत्र और समन्वित सामाजिक ताने-बाने की भी रक्षा की है. प्रदीप नरवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि, सरकारी आदेश का उद्देश्य स्पष्ट रूप से मुसलमानों और दलितों को निशाना बनाना था, जो गलत था.


उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि पीएम मोदी को अब अपने मुख्यमंत्रियों को अपने 'राजधर्म' का पालन करने के लिए कहना चाहिए, एक सलाह जो उन्हें 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिली थी और उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया था. पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के साथ हमारे राजनीतिक और वैचारिक मतभेद थे लेकिन वह एक अलग तरह के राजनेता थे. मुझे बहुत कम उम्मीद है कि पीएम मोदी ऐसा कुछ करेंगे.' एआईसीसी पदाधिकारी के मुताबिक, बीजेपी यूपी में लोकसभा चुनाव में अपनी हार को पचा नहीं पाई थी और इसलिए अपनी विभाजनकारी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए विवादास्पद नेमप्लेट ऑर्डर लेकर आई थी.

उन्होंने आगे कहा कि, यूपी भाजपा के लिए एक राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रयोगशाला थी. वे कांग्रेस-सपा गठबंधन के हाथों हुई हार को पचा नहीं पा रहे हैं, जिसने 80 लोकसभा सीटों में से 43 सीटें जीतकर भगवा पार्टी (बीजेपी) को 33 पर पहुंचा दिया. उन्होंने (बीजेपी) हार से कोई सबक नहीं सीखा और अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि, नेमप्लेट आदेश के माध्यम से बीजेपी विभाजनकारी राजनीति कर रही है.

विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा...
एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी सचिव और उत्तराखंड विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के विवादास्पद आदेश को तुरंत रद्द कर दिया क्योंकि इसका कोई कानूनी आधार नहीं था. उन्होंने कहा, 'अधिकारियों को राजनीतिक नेतृत्व द्वारा असंवैधानिक आदेश तैयार करने के लिए मजबूर किया गया था। भाजपा अभी भी अलग तरीके से सोच रही है जो जमीनी हकीकत के विपरीत है. 2024 के लोकसभा नतीजों के बाद हकीकत बदल गई है और यहां तक ​कि आरएलडी, जेडी-यू और एलजेपी जैसे उनके सहयोगियों ने भी नेमप्लेट आदेश के खिलाफ बात की थी. BJP को अब कुछ सबक लेना चाहिए.' उन्होंने आगे कहा कि, 'सही काम करने के लिए शीर्ष अदालत की सराहना की जानी चाहिए. आखिरकार संवैधानिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए यह लोगों के लिए अंतिम उपाय है.'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलेश्वर पटेल ने कहा..
कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता कमलेश्वर पटेल ने कहा कि, 'शीर्ष अदालत का आदेश भाजपा के चेहरे पर तमाचा है. उन्होंने कहा कि, यह भाजपा के चेहरे पर एक तमाचा है जो केवल अपने फायदे के लिए लोगों को बांटना जानती है. यह निर्देश स्पष्ट रूप से एक विशेष समुदाय के लिए और धार्मिक यात्रा के दौरान सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने के उद्देश्य से था, जो लंबे समय से एक वार्षिक मामला रहा है. मुझे उम्मीद है कि एनडीए के भीतर से आए विवादास्पद आदेश के खिलाफ आवाजों को देखते हुए भाजपा अब अपने काम करने के तरीके को बदल देगी.'

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