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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस तैयार, 8 अगस्त को आयोग से मिलेंगे पार्टी के नेता - Jammu Kashmir Assembly polls

Congress on Jammu Kashmir Assembly polls: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, केंद्र सरकार को सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने हैं. मुख्य चुनाव इसकी तैयारी में जुट गया है. आयोग की फुल बेंच 8-10 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का दौरा कर चुनाव तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करेगी. कांग्रेस का भी कहना है कि वह केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है.

Congress on Jammu Kashmir Assembly polls
प्रतीकात्मक तस्वीर (ANI)

By Amit Agnihotri

Published : Aug 6, 2024, 6:56 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के नेता जल्द चुनाव आयोग से मुलाकात कर सकते हैं. कांग्रेस आयोग को बताएगी कि वह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है. साथ ही जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी हमलों में वृद्धि, अपने वरिष्ठ नेताओं के लिए सुरक्षा कवर की कमी, शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने पर प्रशासन की ओर से प्रतिबंध और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने पर अपनी चिंताओं को भी साझा करेगी.

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार अपने दो चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार और एसएस संधू के साथ चुनाव तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए 8-10 अगस्त को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, केंद्र सरकार को सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने हैं.

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस मामलों के प्रभारी सचिव भरत सिंह सोलंकी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, "हमारा प्रतिनिधिमंडल 8 अगस्त को चुनाव आयोग से मिलेगा. हम निर्वाचन आयोग को बताएंगे कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं. हमारे कार्यकर्ता तैयार हैं. लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव सीमावर्ती क्षेत्र में एक सकारात्मक लोकतांत्रिक कदम होगा. हम अपनी चिंताओं को भी उनके साथ साझा करेंगे."

पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस पिछले कुछ महीनों में जम्मू क्षेत्र में आतंकी हमलों की संख्या में अचानक वृद्धि, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उचित सुरक्षा कवर की कमी और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर प्रशासन के प्रतिबंध को लेकर चिंतित है.

पूर्व विधायक रविंदर शर्मा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, "हम चुनाव आयोग के समक्ष अपने सुझाव रखेंगे. जाहिर है, जम्मू क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी पर चिंता है जो अतीत में शांतिपूर्ण रहा था. इसके अलावा, हमारे वरिष्ठ नेताओं को उचित सुरक्षा कवर की कमी का मुद्दा भी है. पिछले कुछ सालों में रिवाइज्ड थ्रेट की धारणाओं के आधार पर हमारे नेताओं और पूर्व मंत्रियों की सुरक्षा घटा दी गई है. हमें लगता है कि इस तरह के आकलन दोषपूर्ण हैं और उचित मानदंडों की कमी से ग्रस्त हैं. इसके उलट, भाजपा नेताओं के पास बेहतर सुरक्षा कवर है जिसमें वाहन शामिल हैं."

उन्होंने आगे कहा, "हम पर बहुत ज्यादा प्रशासनिक प्रतिबंध हैं. हम कश्मीर घाटी में अपने पार्टी कार्यालय के बाहर कोई प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकते. जम्मू में भी वे हमें पार्टी कार्यालय से 100 गज की दूरी पर भी जाने की अनुमति नहीं देते. प्रतिबंधों के अलावा कई तरह अनुमति लेनी होती है. यह सब हमारे उम्मीदवारों के प्रचार को प्रभावित करेगा.

पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग उठाती रहेगी कांग्रेस...
कांग्रेस इस बात को लेकर भी चिंतित है कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होने की संभावना नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार ने हाल ही में उपराज्यपाल को अधिक अधिकार दिए हैं जिसका मतलब है कि चुनाव के बाद भी जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने रहने की संभावना है. सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग उठाई गई थी. हम इस मुद्दे को आगे भी उठाते रहेंगे.

पार्टी सूत्रों ने कहा कि वे चुनाव आयोग से दूर-दराज के स्थानों के बजाय उपयुक्त स्थानों पर मतदान केंद्र स्थापित करने का आग्रह करेंगे.

2018 के बाद से विधानसभा चुनाव नहीं हुए...
जम्मू-कश्मीर में 2018 के बाद से विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं जब भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. भाजपा-पीडीपी गठबंधन 2016 में बना था. 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया. तब से, जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल का शासन है. केंद्र सरकार ने हाल ही में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन किया है, जिससे उपराज्यपाल को व्यापक शक्तियां मिल गई हैं.

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