रांची: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने 25 सितंबर को असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने झारखंड से असम में चाय बागान जनजातीय समुदाय एसटी का दर्जा देने की मांग की है.
हेमंत सोरेन ने अपने पत्र में लिखा है कि असम के चाय बागान समुदाय में शामिल अधिकांश जनजातियों को झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में एसटी का दर्जा प्राप्त है. वे असम में भी एसटी का दर्जा प्राप्त करने का अर्हता रखते हैं. लेकिन वहां उन्हें ओबीसी का दर्जा दिया गया है. जिसके कारण इन्हें केंद्र सरकार के कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है और उनका विकास नहीं हो पाता.
हेमंत सोरेन ने अपने पत्र में लिखा ' मैं असम के चाय बागान समुदाय की जनजातियों की चुनौतियों से अच्छी तरह से वाकिफ हूं, उनमें जो जनजातियां हैं उनमें से अधिकतर झारखंड की मूल जनजातियां हैं, जिनमें संथाली, कुरुख, मुंडा, उरांव जैसी जनजातियां शामिल हैं. इनके पूर्वज औपनिवेशिक काल में चाय बागान में काम करने के लिए पलायन कर गए थे.'
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री को ये भी लिखा कि 'मैं महसूस करता हूं कि असम में रहने वाले वे जनजातियां असम में भी जनजाति का दर्जा पाने के सभी मानदंडों को पूरा करते हैं. जिनमें उनकी सांस्कृतिक पहचान, पारंपरिक जीवन शैली और शोषण के प्रति संवेदनशीलता शामिल है.
हेमंत सोरेन ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि 'अधिकांश जनजातियों को झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में एसटी का दर्जा प्राप्त है. लेकिन असम में उन्हें ओबीसी का दर्जा दिया गया है 'हेमंत ने आगे लिखा कि असम की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में उनके महत्वपूर्ण योगदान के बाद भी ये समुदाय हाशिए पर हैं. इन लोगों को अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाले लाभ और सुरक्षा से वंचित रखा जा रहा है.'