नई दिल्ली: चीन ने बुधवार को भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी. चीन का कहना है कि, वह द्विपक्षीय संबंधों के समग्र हितों को ध्यान में रखते हुए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है. चीन ने यह भी कहा है कि, वह भारत के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहता है. बता दें कि, हाल के वर्षों में विभिन्न भूराजनीतिक, सैन्य और आर्थिक कारकों के कारण भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी तनाव आया है. जून 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष में दोनों पक्षों को नुकसान हुआ था, जो चार दशकों में इस क्षेत्र में पहली घातक मुठभेड़ थी. इस घटना को लेकर तनाव काफी बढ़ गया और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य तैनाती बढ़ा दी गई. 2017 में डोकलाम पठार पर 73 दिनों का सैन्य गतिरोध, जहां भारतीय और चीनी सैनिक चीनी सड़क निर्माण को लेकर एक-दूसरे से भिड़े थे, ने चल रहे क्षेत्रीय विवादों और रणनीतिक चिंताओं को उजागर किया.
चीन ने कहा, मिलकर काम करेंगे, पीएम मोदी को दी बधाई
एक्स पर एक पोस्ट में, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को चुनाव में जीत पर बधाई. हम एक स्वस्थ और स्थिर चीन-भारत रिश्ते की आशा करते हैं.'बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि,चीन अपने पड़ोसी के साथ काम करने के लिए तैयार है. मोदी को जीत की बधाई देते हुए माओ निंग ने आगे भारत और चीन संबंधों पर चर्चा करते हुए लिखा, दोनों देशों के बीच स्वस्थ और स्थिर संबंध दोनों के लिए हित में है. इस दौरान उन्होंने चीन और भारत के बीच शांति और विकास को गति देने से देश और दुनिया को फायदा पहुंचेगा. एक्स पर एक पोस्ट में, चीन के विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी को बधाई देते हुए कहा कि, चीन भारत के साथ रिश्ते बेहतर बनाना चाहता है.
चीन भारत संबंध
हाल के वर्षों में भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी तनाव आया है. गलवान घाटी में हुए संघर्ष ने दोनों देशों के बीच खटास पैदा कर दी. इसके अलावा, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) और पाकिस्तान (ग्वादर) और श्रीलंका (हंबनटोटा) जैसे देशों में बंदरगाहों के विकास जैसी पहलों के माध्यम से हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति को भारत संदेह की निगाहों से देखता है. संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड में भारत की भागीदारी को चीन भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव के खिलाफ मानता है. वहीं, भारत और चीन के बीच व्यापार असंतुलन का मामला भी है.