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कौन हैं TMC नेता लवली खातून? जिन पर लगा 'बांग्लादेशी घुसपैठिया' का आरोप, चुनाव जीत कर बनीं ग्राम प्रधान - LOVELY KHATUN

चंचल की रहने वाली रेहाना सुल्ताना ने टीएमसी नेता लवली खातून के खिलाफ 'बांग्लादेशी घुसपैठिया' होने का आरोप लगाया है.

Who is Lovely Khatun
कौन हैं TMC नेता लवली खातून? (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 3, 2025, 11:58 AM IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के रशीदाबाद ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून का मामला सुर्खियों में है. उन पर आरोप है कि वह बांग्लादेशी नागरिक हैं और उन्होंने अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया. उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने मामले की जांच शुरू कर दी है, जबकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरोपों पर रिपोर्ट मांगी है.

बता दें कि चंचल की रहने वाली रेहाना सुल्ताना ने कलकत्ता हाई कोर्ट में लवली खातून के खिलाफ आरोप दायर किए थे. चंचल ने 2022 के ग्राम पंचायत चुनावों में खातून के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गईं थीं.लवली खातून के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने अपने पहचान प्रमाण पत्र और ओबीसी जैसे दस्तावेजों में जालसाजी करके चुनाव लड़ने की योग्यता हासिल की.

याचिकाकर्ता का दावा है कि यह साबित करने के लिए सबूत हैं कि खातून ने अपना नाम और आधिकारिक रिकॉर्ड बदलने सहित अपनी पहचान बदली है.यह मामला ऐसे समय में सामना आया है, जब हाल ही में देश में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी नागरिकों के लिए जाली दस्तावेजों के साथ पासपोर्ट बनाने के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया.

लवली खातून कौन हैं?
टीवी9 बांग्ला की एक रिपोर्ट के अनुसार लवली खातून का असली नाम नासिया शेख है. कथित तौर पर वह पासपोर्ट बिना के भारत में प्रवेश कर गईं और अपनी पिछली पहचान मिटा दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लवनी ने भारत में दाखिल होने के बाद अपने पिता का नाम भी बदलकर शेख मुस्तफा रख लिया, जो उनके आधिकारिक दस्तावेजों में भी मौजूद है.लवली ने कथित तौर पर 2015 में भारतीय वोटर आईडी और 2018 में जन्म प्रमाण बनवा लिया.

कांग्रेस-वाम गठबंधन की उम्मीदवार थीं लवली खातून
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रेहाना के वकील अमलान भट्टाचार्य ने दावा किया कि रेहाना ने टीएमसी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन खातून से हार गईं, जो कांग्रेस-वाम गठबंधन की उम्मीदवार थीं. जीतने के एक या दो महीने बाद खातून ने टीएमसी का दामन थाम लिया.

भट्टाचार्य ने कहा कि खातून ने चुनाव के लिए अपनी योग्यता साबित करने के लिए स्थानीय रिकॉर्ड में हेराफेरी की. दावा है कि उन्होंने अपने पिता के तौर पर खुद को पेश करने के लिए पड़ोसी गांव में किसी से संपर्क भी किया था. स्थानीय लोगों को कथित तौर पर पता है कि खातून के असली पिता जमील बिस्वास हैं, न कि शेख मुस्तफा. इसके अलावा,उनका नाम राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) में शेख मुस्तफा के परिवार के तहत नहीं आता है.

यह भी पढ़ें- विद्वान और दलाई लामा के वार्ताकार रहे प्रो. जामयांग ग्यालत्सान का निधन, लद्दाख के लोगों ने दी श्रद्धांजलि

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के रशीदाबाद ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून का मामला सुर्खियों में है. उन पर आरोप है कि वह बांग्लादेशी नागरिक हैं और उन्होंने अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया. उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने मामले की जांच शुरू कर दी है, जबकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरोपों पर रिपोर्ट मांगी है.

बता दें कि चंचल की रहने वाली रेहाना सुल्ताना ने कलकत्ता हाई कोर्ट में लवली खातून के खिलाफ आरोप दायर किए थे. चंचल ने 2022 के ग्राम पंचायत चुनावों में खातून के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गईं थीं.लवली खातून के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने अपने पहचान प्रमाण पत्र और ओबीसी जैसे दस्तावेजों में जालसाजी करके चुनाव लड़ने की योग्यता हासिल की.

याचिकाकर्ता का दावा है कि यह साबित करने के लिए सबूत हैं कि खातून ने अपना नाम और आधिकारिक रिकॉर्ड बदलने सहित अपनी पहचान बदली है.यह मामला ऐसे समय में सामना आया है, जब हाल ही में देश में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी नागरिकों के लिए जाली दस्तावेजों के साथ पासपोर्ट बनाने के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया.

लवली खातून कौन हैं?
टीवी9 बांग्ला की एक रिपोर्ट के अनुसार लवली खातून का असली नाम नासिया शेख है. कथित तौर पर वह पासपोर्ट बिना के भारत में प्रवेश कर गईं और अपनी पिछली पहचान मिटा दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लवनी ने भारत में दाखिल होने के बाद अपने पिता का नाम भी बदलकर शेख मुस्तफा रख लिया, जो उनके आधिकारिक दस्तावेजों में भी मौजूद है.लवली ने कथित तौर पर 2015 में भारतीय वोटर आईडी और 2018 में जन्म प्रमाण बनवा लिया.

कांग्रेस-वाम गठबंधन की उम्मीदवार थीं लवली खातून
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रेहाना के वकील अमलान भट्टाचार्य ने दावा किया कि रेहाना ने टीएमसी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन खातून से हार गईं, जो कांग्रेस-वाम गठबंधन की उम्मीदवार थीं. जीतने के एक या दो महीने बाद खातून ने टीएमसी का दामन थाम लिया.

भट्टाचार्य ने कहा कि खातून ने चुनाव के लिए अपनी योग्यता साबित करने के लिए स्थानीय रिकॉर्ड में हेराफेरी की. दावा है कि उन्होंने अपने पिता के तौर पर खुद को पेश करने के लिए पड़ोसी गांव में किसी से संपर्क भी किया था. स्थानीय लोगों को कथित तौर पर पता है कि खातून के असली पिता जमील बिस्वास हैं, न कि शेख मुस्तफा. इसके अलावा,उनका नाम राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) में शेख मुस्तफा के परिवार के तहत नहीं आता है.

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