छिन्दवाड़ा. छिंदवाड़ा में सहज योग की प्रणेता माता निर्मला देवी (Mata Niramala Devi) का 101वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया. निर्मला देवी का जन्मदिन मनाने 40 देशों से लोग छिंदवाड़ा पहुंचे. बता दें कि निर्मला देवी ने योग का एक ऐसा तरीका लोगों को बताया था जिससे सिर्फ व्यक्ति निरोगी रहने के साथ-साथ अपनी इंद्रियों को भी बस में कर सुकून की जिंदगी बिता सकता है. आज ये सहजयोग 181 देश में फैला हुआ है, जिसके करोड़ों साधक हैं. बता दें कि निर्मला देवी के पति पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रमुख सचिव थे.
छिन्दवाड़ा में जन्मी, गुजरात से योग की शुरुआत
छिंदवाड़ा में 21 मार्च 1923 को माता निर्मला देवी का जन्म साल्वे परिवार में हुआ था. इनके पिता पेशे से वकील थे, बाद में इनका पूरा परिवार नागपुर जाकर बस गया. इस दौरान निर्मला देवी का विवाह सीपी श्रीवास्तव से हुआ. सीपी श्रीवास्तव भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के प्रमुख सचिव रह चुके हैं, जो ताशकंद समझौते के दौरान लाल बहादुर शास्त्री के साथ ही थे. 5 मई 1970 को माता निर्मला देवी को गुजरात के नारगोलिक में एक धार्मिक कार्यक्रम में बुलाया गया था. यहां पर उन्हें लगा कि लोगों को धर्म के नाम पर अलग-अलग तरीके से भ्रमित किया जाता है. इसलिए उन्होंने समुद्र किनारे बैठ कर ध्यान शुरू किया और एक साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को योग के माध्यम से परमात्मा से मिलाने की क्रिया शुरू की.
विश्व के ज्यादातर देशों में फैला सहजयोग
सहजयोग विश्व के करीब 181 देशों में फैला हुआ है, जिसमें करोड़ों साधक इस योग को करते हैं. निर्मला देवी के जन्म दिवस 21 मार्च के दिन विभिन्न देशों से लोग आते हैं और छिंदवाड़ा में जन्मदिन का कार्यक्रम धूमधाम से मनाया जाता है. छिंदवाड़ा में निर्मला देवी के जन्म स्थान वाला घर किसी दूसरे व्यक्ति को बेच दिया गया था, जिसके बाद 2005 में ट्रस्ट ने फिर से जन्म स्थली वाले मकान को खरीदा और 2008 में खुद निर्मला देवी ने यहां आकर आश्रम की शुरुआत की.
आखिर क्या है सहजयोग?
सहज योग में ध्यान आत्म-साक्षात्कार पर आधारित है, जहां अभ्यासी की कुंडलिनी जागृत होती है, जिससे निर्विचार समाधि की स्थिति प्राप्त होती है. इस अवस्था में मन, विचारों और भावनाओं की अशांत लहरों से पूरी तरह मुक्त हो जाता है और एक शांतिपूर्ण झील की तरह ठहर जाता है. जैसे-जैसे कुंडलिनी जागृत होती अभ्यासी सहजता से अपनी सूक्ष्म प्रणाली की आंतरिक स्थिति के बारे में जागरूक हो जाता है और अपने पूरे शरीर को घेरे हुई ठंडी हवा का अनुभव करता है. केवल कुछ हफ्तों के अभ्यास से व्यक्ति न केवल अपनी सूक्ष्म प्रणाली की जागरुकता में महारत हासिल कर सकता है, बल्कि अपने आसपास की ऊर्जा और यहां तक कि आसपास के लोगों की सूक्ष्म प्रणाली की स्थिति को भी समझने के लिए पर्याप्त संवेदनशीलता विकसित कर सकता है.