हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार को सिद्धपीठ और शक्तिपीठ की भूमि भी कहा जाता है. यहां मां दुर्गा के कई मंदिर हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक मां चंडी देवी का मंदिर है. ये हरिद्वार के नील पर्वत पर स्थित है. यहां मां चंडी देवी खंभ (खंब) के रूप में विराजमान हैं. पावन नवरात्रों के दौरान मंदिर की अलग ही छटा देखने को मिल रही है. नील पर्वत पर स्थित चंडी देवी मंदिर का पौराणिक इतिहास रहा है, जिसकी महिमा दूर-दूर तक है.
मां भगवती ने चंडी का रूप धारण कर राक्षसों का किया था वध: मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में शुंभ-निशुंभ और चंड-मुंड जैसे राक्षसों ने तीनों लोकों में प्रलय मचाया हुआ था. तब सिंहासन छिन जाने के बाद इंद्र आदि देवताओं ने मां भगवती का आह्वान किया और मां से सभी राक्षसों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. देवताओं की विनती पर मां भगवती ने चंडी का रूप धरकर सभी राक्षसों का वध कर दिया. देवताओं के आह्वान पर ही मां भगवती हरिद्वार के नील पर्वत पर खंभ के रूप में विराजमान हो गईं और चंडी देवी के रूप में पूजी जाने लगीं.