नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी दस्तावेजों जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक खाते, ड्राइविंग लाइसेंस में रिलीजन के पर्याय के तौर पर 'धर्म' की जगह पंथ या सम्प्रदाय शब्द के इस्तेमाल की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार को प्रतिवेदन की तरह विचार करने का निर्देश दिया. कार्यकारी चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्रीय संस्कृति और शिक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे इस याचिका पर विचार कर कानून के मुताबिक जल्द फैसला करें.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि हम दार्शनिक नहीं है. आप हमें गलत समझ बैठे हैं. आप हमें कभी अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग विनिमय का विशेषज्ञ समझ लेते हैं और कभी दार्शनिक समझ लेते हैं. हमारा इनसे कोई लेना-देना नहीं है. इन सब पर फैसला केंद्र सरकार को ही करना है.
बता दें, 8 नवंबर 2023 को हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका में स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों में धर्म और सम्प्रदाय के अंतर को रेखांकित करने वाला एक अध्याय भी शामिल करने की मांग की गई थी. याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि धार्मिक आधार पर घृणा, हेट स्पीच पर नियंत्रण और आम लोगों को धर्म के बारे में शिक्षित करने के लिए स्कूलों के पाठ्यक्रम में धर्म और रिलीजन को शामिल किया जाए.