देहरादून:बीते रोज केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अंंतिम गांव में जाने वाले थे. इस गांव में पहुंचकर केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को वोटर्स से बातचीत करनी थी. इसके साथ ही वे यहां के ग्रामीणों के साथ कुछ समय बिताने वाले थे, मगर इससे पहले ही मौसम ने केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की राह में रोड़ा अटका दिया. इसके बाद केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी. मुख्य चुनाव आयुक्त के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग की खबरें देशभर में फैल गई. हर कोई केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के दौरे से जुड़ी जानकारी जानना चाह रहा था. आईये हम आपको केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के दौरे से लेकर उस गांव की एक एक जानकारी देते हैं, जहां वे जाने वाले थे.
रालम गांव में बिताई रात: सबसे पहले बात कर लेते हैं उस गांव की जहां पर मुख्य चुनाव आयुक्त और बाकी सभी लोग फंस गए थे. मौसम खराब होने की वजह से सीईसी राजीव कुमारको रालम गांव में ही रात बितानी पड़ी. जब उनका हेलीकॉप्टर लैंड हुआ तो ना तो गांव में कोई भी नहीं था. यह गांव खाली इसलिए हो चुका था क्योंकि सर्दियों का मौसम शुरू होते ही ग्रामीण नीचे उतर आते हैं. चुनाव आयुक्त के साथ बाकी सदस्यों ने जैसे तैसे करके एक घर को खुलवाया. जिसके बाद उसमें ही सभी ने रात बिताई. जिस जगह पर चुनाव आयुक्त रुके थे वहां पर ना तो बिजली की व्यवस्था है और ना ही इंटरनेट या टेलीफोन की कोई उपलब्धता है. सीईसी राजीव कुमारखाने-पीने का जो सामान अपने साथ ले गए थे उसे खाकर ही उन्होंने पूरी रात गुजारी.
मिलम गांव जाने वाले थे सीईसी राजीव कुमार: कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावतने कहा जैसे ही आपातकाल लैंडिंग की जानकारी मिली उसी वक्त हमने टीम को रवाना कर दिया था. इस टीम में अलग-अलग विभाग के कर्मचारी मौजूद थे. गांव तक पहुंचाने के लिए टीम के सदस्यों को पैदल जाना पड़ा. केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त मिलम गांव में जाने वाले थे.
मिलम गांव का अपना अलग इतिहास:इस गांव का अपना एक इतिहास रहा है. यह गांव ब्रिटिश काल के दौरान ही हिमालय के सबसे बड़े गांव में से एक था. पूर्वआईएएस सुरेंद्र सिंह पांगती इस गांव को लेकर बहुत कुछ बताते हैं. वे इसी गांव में पैदा हुए. इसके बाद वे उत्तर प्रदेश सरकार में कई बड़े पदों पर रहे. रेवेन्यू बोर्ड के अध्यक्ष के साथ-साथ उत्तराखंड में गढ़वाल के उत्तर प्रदेश शासन के दौरान दो बार कमिश्नर रहे. डीएम और एसडीएम पदों पर भी उनकी तैनाती रही है. देश के अंतिम गांव के बारे में बात करते हुए वह बताते हैं जिस गांव का मुख्य चुनाव आयुक्त का दौरा करने वाले थे वह कभी समृद्ध गांव हुआ करता था.