नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत प्रदान कर दी. वह दिल्ली शराब घोटाले मामले में आरोपी हैं. 177 दिनों के बाद वह जेल से निकलेंगे. अरविंद केजरीवाल को पहले ईडी और बाद में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत प्रदान करते हुए जांच एजेंसी पर सख्त टिप्पणी की. इस मामले को लेकर विपक्ष सरकार पर काफी हमलावर है. विपक्ष के नेताओं ने क्या प्रतिक्रिया दी, इससे पहले जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को लेकर क्या कहा.
अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां सुनवाई कर रहे थे. जमानत प्रदान करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी को लेकर प्रक्रियागत खामी नहीं है. लेकिन जस्टिस भुइयां ने इसके विपरित कमेंट किया. उन्होंने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी की टाइमिंग सवाल खड़े करती है. जस्टिस ने कहा कि जब ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत प्रदान कर दी थी, उसके बाद ही सीबीआई अचानक सक्रिय क्यों हो गई. अगर उसे जांच करनी थी, तो जब ईडी ने उनकी गिरफ्तारी की थी, उस समय सीबीआई पूछताछ कर सकती थी, लेकिन एजेंसी ने ऐसा नहीं किया.
जस्टिस भुइयां ने कहा कि सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की छवि से बाहर आना होगा और उसे यह दिखाना भी होगा कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि करीब 12 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर ऐसी ही एक टिप्पणी की थी, तब इसको लेकर खूब विवाद हुआ था. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता बताया था.
जस्टिस भुइयां ने कहा कि सीबीआई हमारे देश की प्रमुख जांच एजेंसी है, इसलिए इस पर कोई भी संदेह नहीं होना चाहिए और इसके लिए जरूरी है कि सीबीआई को ऐसा दिखना भी होगा. उन्होंने कहा कि सीबीआई के विरुद्ध कोई धारणा बनती भी है, तो जांच एजेंसी को इसे दूर करना चाहिए, उसका हर कदम फिर चाहे गिरफ्तारी हो या जांच प्रक्रिया, सबकुछ निष्पक्ष दिखना चाहिए. जमानत का आदेश सुनाते हुए जस्टिस भुइयां ने कहा कि आप सबको पता है कि कुछ साल पहले सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा गया था, इसलिए सीबीआई को इस छवि से बाहर निकलना होगा.
सीबीआई पिंजरे में बंद तोता
कोयला घोटाले पर सुनवाई करते हुए 9 मई 2013 को जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था. उस समय यूपीए की सरकार थी और कोयला मंत्रालय की जिम्मेदारी अश्विनी कुमार के पास थी. सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा थे.
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि कोयला घोटाले की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में लाने के बजाए किसी और को दिखाई गई, यह तो सचमुच समझ के परे है. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई एक स्वायत्त संस्था है और इसे अपनी स्वायत्ता बनाए रखनी चाहिए, इसे किसी तोते की तरह अपने मालिक की आवाज को दोहरानी नहीं चाहिए, इस तोते को आजाद करना जरूरी है.