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हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में बड़ा बदलाव, अब एडवांस रुपये जमा किए बिना मिलेगा इलाज, जानें कैसे

Cashless Treatment, अब पॉलिसीधारकों को नेटवर्क से बाहर के अस्पतालों में भी बिना एडवांस पेमेंट किए ही इलाज की अनुमति है.

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 10 hours ago

Cashless treatment will be available in non-network hospitals as well
नॉन नेटवर्क अस्पताल में भी होगा कैशलेस इलाज (file photo-ANI)

हैदराबाद : हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में किए गए अपडेट के बाद कैशलेस ट्रीटमेंट की पहुंच बढ़ गई है. इसमें अब पॉलिसीधारक को नेटवर्क से बाहर के हास्पिटल में भी एडवांस पेमेंट को जमा किए बिना ही इलाज की परमिशन है.

अपनी पॉलिसी के बारे में समझें
आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में किए गए नए बदलावों को अपडेट किया गया है या नहीं. इस बारे में सबसे पहले पता करें. हालांकि कुछ पॉलिसियों में कैशलेस इलाज की सुविधा मुहैया कराने के लिए नॉन नेटवर्क हास्पिटल में इसे अपग्रेड की जरूरत हो सकती है. इस बारे में पॉलिस में शामिल नहीं होने वाली चीजों के साथ ही उसकी लिमिट की भी जानकारी हासिल कर लें.
प्री-अप्रूवल की प्रक्रिया
अब आप कैशलेस इलाज नॉन नेटवर्क हास्पिटल में भी करा सकते हैं, लेकिन इसके लिए भी प्री-ऑथराइजेशन किए जाने की जरूरत होती है. रुपये खर्च से बचने के लिए यह आवश्यक है. वहीं हास्पिटल में भर्ती होने से पहले या तुरंत बाद आपको या हास्पिटल को संबंधित बीमा कंपनी को सूचित किया जाना चाहिए, जो इलाज के प्लान और अनुमानित लागत की समीक्षा करेगी.
प्री-ऑथराइजेशन के लिए क्या करें
सबसे पहले हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड के अलावा वैध पहचान पत्र, मेडिकल रिपोर्ट और अस्पताल में इलाज का अनुमानित खर्च बीमा कंपनी को भेजें. फिर इसकी मंजूरी का इंतजार करें. प्राय : बीमा कंपनियां इस बारे में एक घंटे के अंदर अपना जवाब दे देती हैं.
जरूरी दस्तावेज
प्री-ऑथराइजेशन प्रक्रिया और क्लेम को सही तरीके से आगे बढ़ाने के लिए ये कई दस्तावेजों की जरूरत होती है. इनमें हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड या पॉलिसी का विवरण, वैध पहचान पत्र ( पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि), मेडिकल रिपोर्ट के अंतर्गत डॉक्टर के पर्चा के अलावा सभी टेस्ट के रिपोर्ट शामिल होनी चाहिए. साथ ही हास्पिटल के द्वारा ट्रीटमेंट असेसमेंट भी शामिल होना चाहिए.
इमरजेंसी स्थिति
आपातकालीन मामले में कुछ बीमा कंपनियां ट्रीटमेंट के बाद ऑथराइजेशन प्रदान करती हैं. इससे फौरन इलाज कराने के साथ ही बाद में मंजूरी लेने की सुविधा प्रदान की जाती है. इसके लिए भी हास्पिटल में भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को सूचित कर देना चाहिए.
अस्पताल की टीपीए डेस्क मददगार
अमूमन अधिकांश हास्पिटल में थर्ड-पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर डेस्क या टीपीए डेस्क होती है. यह डेस्क आपके, हास्पिटल और बीमा कंपनी के बीच मध्यस्थ का काम करती है. इतना ही नहीं टीपीए डेस्क आपकी हेल्थ पॉलिसी के आधार पर इलाज दिलवाने के साथ ही बीमा क्लेम प्रक्रिया करने की फ्री-सर्विस प्रदान करती है. यहां से आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि क्लेम में कौन-कौन से खर्च शामिल होंगे और आपको कितने रुपये खर्च करने पड़ेंगे.

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