नई दिल्ली: नए साल के पहले दिन केंद्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक में किसानों को लेकर कई अहम फैसले लिए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 2021-22 से 2025-26 तक 69,515.71 करोड़ रुपये के समग्र परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने को मंजूरी दे दी.
पीएम फसल बीमा योजना पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "किसानों को 1,350 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बैग पर डीएपी मिलता रहेगा, जिसकी कीमत अन्य देशों में 3,000 रुपये से अधिक है. इस पैकेज पर लगभग 3,850 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 2014 से, पीएम मोदी ने सुनिश्चित किया है कि किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव का खामियाजा न उठाना पड़े. 2014-24 तक फर्टिलाइजर सब्सिडी 11.9 लाख करोड़ रुपये थी जो 2004-14 से दी गई सब्सिडी से दोगुनी से भी अधिक है..."
पीएम फसल बीमा योजना पर, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "तेज़ मूल्यांकन, तेज़ दावा निपटान और कम विवादों के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी के लिए 800 करोड़ रुपये का कोष बनाया गया है. कवरेज बढ़ाने और नामांकन को आसान बनाने के लिए, पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का फैसला किया है. पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए फंडिंग पैटर्न 90:10 है, और अन्य राज्यों के लिए 50:50 है. प्रीमियम हिस्सेदारी बीमित मूल्य के 1.5 फीसदी से 5 प्रतिशत पर पूर्वनिर्धारित की गई है. 88 फीसदी बीमित किसान सीमांत पृष्ठभूमि से हैं और 57 फीसदी बीमित किसान ओबीसी, एससी और एसटी हैं."
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “इस निर्णय से 2025-26 तक देश भर के किसानों के लिए गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक आपदाओं से फसलों के जोखिम कवरेज में मदद मिलेगी. इसके अलावा, योजना के क्रियान्वयन में बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी के उपयोग से पारदर्शिता और दावा गणना एवं निपटान में वृद्धि होगी. इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 824.77 करोड़ रुपये की राशि के साथ नवाचार एवं प्रौद्योगिकी कोष (एफआईएटी) के निर्माण को भी मंजूरी दी है.
वैष्णव ने बताया कि, इस कोष का उपयोग योजना, यस-टेक और विंड्स के तहत तकनीकी पहलों के वित्तपोषण के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास अध्ययनों के लिए किया जाएगा। प्रौद्योगिकी का उपयोग कर उपज अनुमान प्रणाली (यस-टेक) प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमानों को न्यूनतम 30 प्रतिशत महत्व देते हुए उपज अनुमान के लिए रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है.