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संपत्ति के लिए बेटे ने पिता के शव को 4 दिन तक घर के बाहर रखा, जमीन मिलने पर दी मुखाग्नि - PROPERTY DISPUTE

यादगिरी का सोमवार को हैदराबाद में निधन हो गया था. उसके बेटे का कहना था कि संपत्ति के बंटवारे में उसके साथ अन्याय हुआ है.

संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद
सांकेतिक तस्वीर (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 14, 2025, 5:02 PM IST

Updated : Feb 14, 2025, 5:22 PM IST

जनगांव, (तेलंगाना): आज के दौर में जहां रिश्तों को सबसे ऊपर माना जाता है, वहीं कुछ लोग पैसे और संपत्ति के आगे मानवता को भी भूल जाते हैं. तेलंगाना के जनगांव जिले से आई एक घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है. यहां एक बेटे ने संपत्ति के लालच में अपने ही पिता के शव को पूरे चार दिनों तक घर के बाहर रख दिया, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई.

यह अमानवीय घटना कोडकांडला मंडल के एडुनुतला गांव में हुई. 60 वर्षीय वेलिकाट्टे यादगिरी का सोमवार को हैदराबाद में निधन हो गया था. यादगिरी की दो पत्नियां थीं-रेणुका और पद्मा. रेणुका से उन्हें रमेश नाम का एक बेटा था, जबकि पद्मा से उपेंद्र और शोभा नाम के बच्चे थे.

स्थानीय लोगों के अनुसार, यादगिरी के नाम पर कुल 15 एकड़ जमीन थी. उन्होंने इसमें से 5 एकड़ जमीन अपने बेटे रमेश और उपेंद्र को दे दी थी. इसके बाद अपनी बेटी शोभा का विवाह करते समय उसे 3 एकड़ जमीन दी थी, शेष 2 एकड़ जमीन उन्होंने अपनी दूसरी पत्नी पद्मा के नाम पर कर दी थी.

कुछ दिनों से बीमार चल रहे यादगिरी की मौत के बाद, उनकी दूसरी पत्नी पद्मा और बेटी शोभा उनके पार्थिव शरीर को लेकर रमेश के घर पहुंचीं. यहां से शुरू हुआ नाटक.

रमेश ने पंचायत में याचिका दायर कर मांग की कि उसकी सौतेली मां पद्मा के नाम पर जो 2 एकड़ जमीन है, उसे उसके नाम पर कर दिया जाए, तभी वह अपने पिता का अंतिम संस्कार करने देगा. रमेश का कहना था कि संपत्ति के बंटवारे में उसके साथ अन्याय हुआ है.

पंचायत में कई दिनों तक इस मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन पाई और नतीजा यह हुआ कि यादगिरी का शव पूरे चार दिनों तक उनके बेटे रमेश के घर के बाहर पड़ा रहा. यह दृश्य बेहद हृदयविदारक था, जिसने आसपास के लोगों को स्तब्ध कर दिया था.

आखिरकार, मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और राजस्व अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया. उन्होंने परिवार के सदस्यों से कई बार बातचीत की और उन्हें समझाने का प्रयास किया. अंत में, एक समझौता हुआ जिसके तहत पद्मा के नाम पर 1 एकड़ और 10 गड्ढे जमीन रमेश के नाम पर करने पर सहमति बनी. इस लिखित समझौते के बाद ही रमेश ने अपने पिता का अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी.

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Last Updated : Feb 14, 2025, 5:22 PM IST

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