नई दिल्ली : दिल्ली की सत्ता में 27 साल बाद पूर्ण बहुमत से वापसी के बाद नई भाजपा सरकार के गठन की तैयारियां चल रही हैं. अगले सप्ताह मुख्यमंत्री और मंत्रियों के शपथ लेने के साथ सरकार का गठन हो जाएगा. जिसके बाद नई सरकार के सामने चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती से पहले नए वित्त वर्ष के लिए विधानसभा में दिल्ली सरकार का बजट पेश करना होगा.
मुख्य सचिव को 100 दिनों का एजेंडा तैयार करने के आदेश : चुनाव नतीजे 8 फरवरी को आने के बाद भाजपा को पूर्ण बहुमत मिली है, नई सरकार के गठन और कामकाज संभालने से पहले ही दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार ने सभी विभागों के अधिकारियों को 100 दिनों के कामकाज का एजेंडा तैयार करने के आदेश दिए हैं. वहीं वित्त विभाग के सामने नई सरकार के मनमाफिक बजट तैयार करने की चुनौती है.
![दस साल में दिल्ली का बजट ढाई गुना से ज्यादा बढ़ा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-02-2025/del-ndl-01-delhi-new-govt-budget-vis-7201354_15022025134218_1502f_1739607138_255.jpg)
पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल ने दी जानकारी : दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल बताते हैं कि कोई भी नई सरकार जब काम संभालती है तो सबसे पहले सरकारी खजाने को ही देखा जाता है. दिल्ली में पहले विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर में होते थे. तब उसके बाद नई सरकार को नए वित्त वर्ष के लिए बजट तैयार करने का समय मिल जाता था. मगर वर्ष 2014 में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा था. जिसके बाद से विधानसभा चुनाव फरवरी में होने लगे. नई सरकार के गठन होने के तुरंत बाद विधानसभा में बजट भी पेश करना है ये एक बड़ा काम होता है, चूंकि चुनी हुई सरकार जो चुनावी वादे करती है, उसको भी लागू करना एजेंडे में सबसे ऊपर रहता है, और यह निश्चित तौर पर भाजपा की नई सरकार के सामने एक चुनौती होगी.
वित्त विभाग बजट की तैयारियों मेंं जुटा : दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि वित्त विभाग एक तरफ तो नई सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले पहले बजट की तैयारियों मेंं जुटा है, वहीं दूसरी तरफ एक इंटरनल रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है, जिसके माध्यम से सरकार को दिल्ली की वित्तीय स्थिति से जुड़े हर पहलू से अवगत कराया जाएगा. वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अभी केवल दिल्ली की वित्तीय स्थिति पर एक आंतरिक रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जो नई सरकार के समक्ष पेश की जाएगी.
![मुख्य सचिव को 100 दिनों का एजेंडा तैयार करने के आदेश](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-02-2025/del-ndl-01-delhi-new-govt-budget-vis-7201354_15022025134218_1502f_1739607138_263.jpg)
विभाग का फोकस अगले वित्त वर्ष की तैयारियों पर भी : अधिकारी बताते हैं कि जब भी नई सरकार बनती है, तो वित्त विभाग की यह जिम्मेदारी होती है कि वह सरकार को राज्य की वित्तीय स्थिति की वास्तविकता से अवगत कराए, ताकि उसके आधार पर सरकार आगे अपनी योजनाओं के क्रियान्वयन पर विचार कर सके. उसी को ध्यान में रखते हुए यह पहल की जा रही है. सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री यह तय करेंगे कि बजट कब पेश होगा. इस साल तो जितने भी काम होने थे, उनके लिए पहले ही बजट आवंटित किया जा चुका है. चालू वित्त वर्ष में वैसे भी अब बहुत कम समय रह गया है, ऐसे में अब वित्त विभाग का फोकस अगले वित्त वर्ष की तैयारियों पर है.
दस साल में दिल्ली का बजट ढाई गुना से ज्यादा बढ़ा : शुक्रवार को दिल्ली के बजट को लेकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा था कि इससे पहले 2009-10 में दिल्ली का बजट 25 हजार करोड़ रुपए था, और पांच साल में बढ़कर 2014-15 तक यह 31 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचा था. यानी पांच साल में दिल्ली के बजट में 6 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि हुई. 2014-15 में 31 हजार करोड़ रुपए से लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार ने 2024-25 में 77 हजार करोड़ रुपए का बजट दिल्ली विधानसभा में पेश किया. यानी दस साल में सरकार ने दिल्ली के बजट में 46 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की. दस साल में दिल्ली का बजट और आर्थिक विकास ढाई गुना से ज्यादा हो गया.
दिल्ली देश का एकमात्र रेवेन्यू सरप्लस राज्य : आतिशी ने कहा कि कैग की 2022 की रिपोर्ट ने यह साफ-साफ कहा था कि दिल्ली देश का एकमात्र राजस्व अधिशेष (रेवेन्यू सरप्लस) राज्य है. आप सरकार भाजपा को दिल्ली की आर्थिक विकास बेहतर करके सौंप रही है. भाजपा ने दिल्ली के लोगों को जो वादे किए हैं, आतिशी ने कहा भाजपा वित्तीय बहाने बनाए बिना और झूठ बोले बिना इन वादों को पूरा करेगी. खासतौर से उन्होंने दिल्ली की महिलाओं को हर महीने 2500 रुपए देने का जो वादा किया है, जिसे कैबिनेट की पहली बैठक में पास कराकर 8 मार्च तक महिलाओं के खाते में पहली राशि भेजनी है.
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