जब खूंखार आतंकी को ब्लैक बेल्टर अनुराग बसु ने दबोचा (ETV Bharat) गया : साल 2008 में आतंकियों ने अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट किया था. आतंकियों के इस धमाके से पूरा देश दहल उठा था. हमले में 56 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं सैकड़ों लोग घायल हुए थे. अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का मुख्य मास्टरमाइंड तौसीफ पठान 9 वर्ष बाद बिहार के गया से पकड़ा गया था. उसे एक बहादुर युवक ने पकड़ा था, जिसका नाम अनुराग बसु है. अनुराग बसु थाईलैंड से कराटे के ब्लैक बेल्टर हैं. फिलहाल वो अभी अमरूद की खेती कर रहे हैं.
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का आतंकी था तौसीफ : दरअसल, तौसीफ पठान अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के बाद गया में छिप कर रह रहा था. वह एक स्कूल में टीचर की आड़ में अपनी पहचान छुपा कर 9 साल से रह रहा था, लेकिन गया में रहकर भी वह देश में आतंकी नेटवर्क और पाकिस्तान से संपर्क में था. इस बीच बड़े ही नाटकीय ढंग से अनुराग बसु ने इस खूंखार आतंकी को पकड़ा था. अनुराग की बहादुरी आतंकी को पकड़ने के बाद सामने आई थी.
बच्चों को कराटे सिखाते अनुराग बसु (ETV Bharat) 7 साल पहले गया से पकड़ाया : 2017 में अनुराग बसु ने आतंकी तौसीफ पठान समेत दो को पकड़ा था. आतंकी तौसीफ पठान के पकड़ने की भी बड़ी कहानी है. अनुराग के साहस से ही वह पकड़ा गया था. तब अनुराग बसु गया शहर के राजेंद्र आश्रम में रहकर कैफे का संचालन करते थे. वहीं इसी में से समय निकालकर कराटे के ब्लैक बेल्टर अनुराग बसु लड़के-लड़कियों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी देते थे.
कैफे में हुआ शक: तब तक सब कुछ सामान्य चल रहा था. इस बीच कैफे में लोगों का आना-जाना लगा रहता था. कैफे में एक व्यक्ति आता था और काफी सावधानी से वह यहां से मेल करता था. इस बीच अनुराग बसु को उसे लेकर कुछ शक हुआ एक दिन वह व्यक्ति मेल करने के बाद चला गया, तो उसके बाद उसने नेट पर खंगाला उसका चेहरा तौसीफ पठान से मिलता जुलता लगा.
अमरूद की खेती करते अनुराग (ETV Bharat) 13 सितंबर 2017 को फिर पहुंचा कैफे: वर्ष 2017 की 13 सितंबर की तारीख थी. इस बीच अपराह्न में उक्त व्यक्ति जो संदिग्ध सा दिख रहा था. वह फिर कैफे में ईमेल करने आया. वह पाकिस्तान वाले झंडे जैसे किसी पते पर मेल करता था. उसके कैफे में आते ही अनुराग बसु ने नेट से जो प्रिंट आउट आतंकियों का निकला था, उसका मिलान किया. मिलान करने पर ठीक बिल्कुल तौसीफ जैसा ही था.
आतंकी से मिल रहा था तौसीफ का चेहरा : यह कंफर्म हो गया कि वह आतंकी तौसीफ पठान है. इसके बाद अनुराग बसु ने पुलिस को फोन करना चाहा, लेकिन इस बीच काफी शातिर रहे तौसीफ पठान को शक हो गया और वह कैफे निकल कर भागने लगा. उसके कैफे से निकलकर भागते ही अनुराग बसु ने उससे उसका पीछा करना शुरू किया. इस बीच तौसीफ पठान और उसका एक सहयोगी दौड़कर भागने लगे और एक रिक्शा वाले के पास जा पहुंचे.
सीएम नीतीश द्वारा सम्मानित होते अनुराग बसु (ETV Bharat) दौड़ाकर तौसीफ और उसके साथी को दबोचा : इससे पहले की तौसीफ पठान और उसकी सहयोगी वहां से निकल पाते. इस बीच अनुराग ने भी बहादुरी दिखाई और वह भी रिक्शे के समीप पहुंच गया. रिक्शे के पास पहुंचकर अनुराग ने कहा, तुम तौसीफ पठान हो? इसके बाद वह सकपका गया. वह भाग पाता, उससे पहले ही अनुराग ने अपने कराटे के कौशल की बदौलत तौसीफ और उसके सहयोगी को अपने शिकंजे में कर लिया.
शिकंजे में अहमदाबाद ब्लास्ट का मास्टरमाइंड: शिकंजे में रखते हुए उसने स्थानीय सिविल लाइन थाना की पुलिस को सूचना दी. इसके बाद सिविल लाइन थाना के पुलिस पहुंची और दोनों को लेकर थाने गई. यहां आश्चर्य की बात यह भी रही, कि पुलिस भी इस बात को समझने में काफी देर लगा रही थी, कि वह आतंकी तौसीफ पठान है. लेकिन अनुराग द्वारा पकड़ा गया आतंकी तौसीफ पठान ही था.
ब्लैक बेल्ट अनुराग बसु (ETV Bharat) पाकिस्तान से सीधे संपर्क में था तौसीफ : अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के आरोपित तौसीफ के 9 साल बाद गया से पकड़े जाने के बाद सभी एजेंसियां हरकत में आ गई. एनआईए, गुजरात एटीएस, बिहार एटीएस और पुलिस की टीम काफी सक्रिय हुई. गया से आतंकी तौसीफ पठान के अलावा दो और को पकड़ा गया था. इसके बाद गया में आतंकी नेटवर्क का बड़ा खुलासा होता चला गया.
हर बार बच निकलता था तौसीफ : कई बार एटीएस की टीम ने गया में छापेमारी की और आतंकियों को पकड़ा. आतंकी तौसीफ पठान शिक्षक होने की आड़ में गया में छुप कर रह रहा था. उसकी गिरफ्तारी के बाद गुजरात एटीएस को दर्जनों आतंकियों के खिलाफ बड़े सुराग मिले और देेश भर लगातार आतंकियों की गिरफ्तारियां होती चली गई. इस तरह अनुराग बसु के साहस के कारण आतंकी नेटवर्क का बड़ा खुलासा हुआ और तौसीफ पठान जैसे खूंखार आतंकवादी गिरफ्त में आए.
कराटे सिखाते अनुराग बसु (ETV Bharat) नाटकीय ढंग से पकड़ाया खूंखार आतंकी : इंडियन मुजाहिदीन समेत अन्य आतंकी संगठनों के लिए तौसीफ पठान काम करता था और पाकिस्तान से सीधा संपर्क में था. तौसीफ गया में 13 सितंबर 2017 को पकड़ा गया था. उसके गिरफ्त में आने के बाद खुलासा हुआ था, कि वह विष्णुपद, सीआरपीएफ कैंप समेत कई महत्वपूर्ण ठिकाने पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की पूरी योजना तैयार कर चुका था. वहीं, देश के कई हिस्सों में भी आतंकी घटना की प्लानिंग उसने आतंकी नेटवर्क से तैयार कर ली थी और इसी से जुड़े प्लानिंग को लेकर वह पाकिस्तान ईमेल करता था.
अनुराग को मिले कई सम्मान: तौसीफ पठान जैसे खूंखार आतंकी को पकड़ने वाले अनुराग के बहादुरी की खूब चर्चा हुई. कई सम्मान उन्हें मिले. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सम्मानित किया, लेकिन उन्हें पुरस्कार राशि के रूप में सिर्फ 35 सौ मिले. हालांकि आतंकी तौसीफ पठान को पकड़ने के बाद उन्हें कई तरह की धमकियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन अनुराग बसु विचलित नहीं हुए और अपने कैफे को संचालित रखा और लड़के-लड़कियों को ट्रेनिंग देनी जारी रखी. अब तक 1000 से अधिक लड़के लड़कियों को हुए ट्रेनिंग दे चुके हैं.
अमरूद की खेती करते अनुराग (ETV Bharat) कोरोना काल में सब कुछ बंद हुआ तो लौटे गांव : कोरोना कल में जब लॉकडाउन लगा और सब कुछ बंद होने लगा तो अनुराग बसु ने कैफे को बंद कर दिया. गया शहर में बच्चों को दी जाने वाली कराटे की ट्रेनिंग की बंद कर दी. इसके बाद अपने गांव को लौट गए गांव लौटकर खेती शुरू कर दी. फिलहाल में अभी गांव में वह अमरूद की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा अन्य फसलों की भी खेती करने में जुटे हैं.
''मैने ढाई एकड़ में अमरूद की खेती लगाई है. इसके अलावा अन्य फसलों की भी खेती कर रहा हूं. यहां मैं इलाहाबादी अमरूद की खेती कर रहा हूं, जिनकी डिमांड देश भर में है. इलाहाबादी अमरूद की खपत काफी है.''- अनुराग बसु, कराटे किंग
छोटी उम्र से सीखा कराटे: अनुराग बसु बताते हैं कि 11 वर्ष की उम्र से उन्होंने कराटे सीखना शुरू किया था. कराटा सीखने के लिए कोलकाता पहुंचे थे और वहीं से काफी कुछ सीखा. इसके बाद मास्टर की डिग्री थाईलैंड से हुई. वह 4 डिग्री ब्लैक बेल्टर है. अनुराग ने बताया कि उन्हें बचपन से ही लगता था, कि कराटा सिखाना जरूरी है. बचपन में ही लगता था कि कमजोर बच्चों को सताया जाता है, तो क्यों ना मैं मजबूत बनकर रहूं. देश में आतंकी घटनाओं को लेकर इसे रोकने के मकसद से बच्चों को ट्रेनिंग देना शुरू किया था.
'शक हुआ तो भागने लगा': अनुराग बसु बताते हैं कि 13 सितंबर 2017 को तौसीफ कैफे में आया था. उसने कंप्यूटर मांगा. मैंने उससे आधार कार्ड पहचान पत्र मांगा, लेकिन वह नहीं दिया. मोबाइल नंबर भी एंट्री नहीं कराई. मुझे शक हो गया था. नेट से सर्च किया तो आतंकी चेहरे से मिलन हुआ.
''मेरा संदेह विश्वास में बदल गया था. इस बीच उसने कंप्यूटर ओपन किया. दो ब्राउज़र खोले. एक ईमेल आईडी और एक फेसबुक. वह पाकिस्तान मेल कर रहा था. मैंने सिविल लाइन थाना की पुलिस की सूचना दी, लेकिन वह विलंब कर रही थी. मैंने खुद पीछा कर उसे अपने शिकंजे में रखा और और फिर पुलिस के आने के बाद सौपा.''- अनुराग बसु, कराटे किंग
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