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शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण में शादी करने के लिए अनुमति जरूरी, विरोध में उतरे हक हकूकधारी - Wedding in Uttarakhand

Wedding in Triyuginarayan शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाता है. पीएम मोदी के 'वेड इन इंडिया' आह्वान के बाद तो उत्तराखंड में 'वेडिंग डेस्टिनेशन' को लेकर लोगों का क्रेज बढ़ा है. खास कर त्रियुगीनारायण में शादी को लेकर लोग आगे आ रहे हैं, लेकिन अब यहां शादी करने के लिए बीकेटीसी की अनुमति जरूरी होगी. अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी. जिसका हक हकूकधारी विरोध में उतर आए हैं. जानिए क्यों होने लगा विरोध...

Triyuginarayan Temple
त्रियुगीनारायण में शादी

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 22, 2024, 8:41 PM IST

Updated : Jan 22, 2024, 8:46 PM IST

रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): शिव पार्वती के विवाह स्थल से प्रसिद्ध त्रियुगीनारायण मंदिर को शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किए जाने की तैयारियां चल रही है. यहां शादी के लिए अब बदरी केदार मंदिर समिति की अनुमति जरूरी होगी. इतना ही नहीं इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया जल्द शुरू होने जा रही है, जिसको लेकर बीकेटीसी के अधिकारी नियमावली तैयार करने में जुट गए हैं. उधर, तीर्थ पुरोहित समिति त्रियुगीनारायण से जुड़े हक हकूक धारियों ने विरोध शुरू कर दिया है.

भगवान शिव और पार्वती का हुआ था विवाह, 3 युग से जल रही अखंड ज्योति: बता दें कि रुद्रप्रयाग गौरीकुंड हाईवे पर सोनप्रयाग से 13 किमी की दूरी पर भगवान शिव पार्वती की विवाह स्थली त्रियुगीनारायण मंदिर है. त्रियुगीनारायण मंदिर में देव विवाह के साक्षात प्रमाण मौजूद हैं, जिसमें तीन युगों से अनवरत जल रही अखंड ज्योति और वो पत्थर है, जिसमें पर्वतराज हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का कन्यादान किया था. साथ ही अन्य कई प्रमाण भी हैं. इस विवाह में भगवान विष्णु ने मां पार्वती के भाई के रूप में अपनी भूमिका निभाई थी.

त्रियुगीनारायण मंदिर

त्रियुगीनारायण में शादी करने के लिए करना होगा आवेदन, देने होंगे ये दस्तावेज: त्रियुगीनारायण मंदिर बदरी केदार मंदिर समिति के अधीन हैं. अब बीकेटीसी इस देव विवाह स्थली को शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की तैयारियों में जुट गई है. यहां विवाह आयोजन के लिए इच्छुक लोगों को बीकेटीसी की अनुमति लेनी होगी. अनुमति के लिए उन्हें आवेदन करना होगा, जिसमें विवाह का कार्ड, आधार कार्ड, फोटो पहचान पत्र समेत अन्य दस्तावेज भी देने होंगे.

इसके बाद बीकेटीसी आवेदन पत्र के आधार पर सभी दस्तावेजों की जांच कर स्वीकृति प्रदान करेगी. बीकटीसी के सीईओ योगेंद्र सिंह ने बताया कि विवाह आयोजन को लेकर बीकेटीसी के कार्याधिकारी और त्रियुगीनारायण मंदिर के प्रबंधक को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जल्द ही नियमावली तैयार हो जाएगी. साथ ही आवेदन की प्रक्रिया भी ऑनलाइन की जाएगी, जिसके लिए जरूरी कार्रवाई की जा रही है.

त्रियुगीनारायण में महिलाएं
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नियमावली बनाने में जुटी बीकेटीसी:बदरी केदार मंदिर समिति विवाह आयोजन को लेकर नियमावली बनाने में जुट गई है. साथ ही आवेदन प्रक्रिया को भी ऑनलाइन करने के लिए वेबसाइट और ईमेल आईडी तैयार की जा रही है. हालांकि, अभी इच्छुक विवाह के लिए यहां ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं, जिसके लिए समिति ने केदारनाथ मंदिर के कार्याधिकारी को नोडल और त्रियुगीनारायण मंदिर के प्रबंधक को सहायक नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया है.

वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित ने की थी पहल: बीते साल बीकेटीसी की देहरादून में हुई बोर्ड बैठक में केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थपुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने त्रियुगीनारायण में विवाह आयोजन के लिए नियमावली बनाने, विवाह करने वालों की संपूर्ण जानकारी रखने समेत अन्य बिंदुओं को लेकर प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए समिति ने हरिद्वार स्थित शांतिकुंज की तर्ज पर त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने पर सहमति जताई थी.

तीर्थ पुरोहितों का विरोध

अभी होंगे ऑफलाइन आवेदन:बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि त्रियुगीनारायण मंदिर को शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की कार्ययोजना बीकेटीसी ने बनाई है. इसकी नियमावली बनाई जा रही है. जब तक यह औपचारिकताएं पूरी होती हैं, लोग अपने आवेदन ऑफलाइन दे सकते हैं.

बीकेटीसी अध्यक्ष और सीईओ के बयान का विरोध: यहां शादी करने को लेकर बीकेटीसी की अनुमति लिए जाने की खबरों के बाद त्रियुगीनारायण मंदिर के हक हकूकधारियों में आक्रोश बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि मंदिर समिति की यह मंशा स्थानीय हक हकूक धारियों के हक और परंपरा पर डाका डालने की कोशिश है. मंदिर समिति स्थानीय हक हकूक धारियों की मेहनत और सफलता का श्रेय लेने के लिए मीडिया में भ्रामक जानकारी परोस रही है. स्थानीय हक हकूकधारी बीकेटीसी की इस कोशिश का विरोध करेंगे.
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तीर्थ पुरोहित समिति त्रियुगीनारायण के अध्यक्ष सच्चिदानंद पंचपुरी कहा कि अनादि काल से त्रियुगीनारायण सनातन परंपरा में पाणिग्रहण संस्कार में बंधने के लिए पसंदीदा स्थान रहा है. स्थानीय तीर्थ पुरोहितों की समिति पिछले 2 सालों से इन शादियों का लेखा जोखा दर्ज करती है. इन दो सालों में स्थानीय लोगों और तीर्थ पुरोहित समिति त्रियुगीनारायण के सहयोग से 800 शादियां हो चुकी हैं.

मंदिर समिति त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने का प्रपंच फैला रही है, जबकि सच्चाई ये है कि शादी के मुहूर्त के दिनों में त्रियुगीनारायण में 30 शादियां रोजाना हो रही हैं. मंदिर समिति अगर कुछ करना ही चाहती है तो त्रियुगीनारायण में हो रही शादियों की तर्ज पर समिति के अंतर्गत अन्य मठ मंदिरों को भी शामिल करें.

वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित कर दिखाएं अपनी सामर्थ्य: सच्चिदानंद पंचपुरी का कहना है कि परंपरागत अधिकारों के अलावा त्रियुगीनारायण के तीर्थ पुरोहित समिति ने यहां हो रही शादियों को वैधानिक रूप देने के लिए नियमावली बना दी है तो अब अब मंदिर समिति किस नियमावली को बनाने की बात कर रही है. समिति में सभी सदस्य त्रियुगीनारायण मंदिर के हक हकूक धारी हैं और त्रियुगीनारायण मंदिर में विवाह कराने का अधिकार भी सिर्फ उन्हें ही प्राप्त है.

सबसे महत्वपूर्ण यहां हवन कुंड में प्रज्वलित हो रही अग्नि के लिए लकड़ियों की व्यवस्था समेत अन्य सभी आयोजनों का अधिकार भी समिति के पास है. त्रियुगीनारायण में सनातन परंपरा की सप्तपदी शादियों को शास्त्रोक्त परंपरा से संपन्न करवाने के बाद तीर्थ पुरोहितों की रजिस्टर्ड समिति उन्हें वैधानिक प्रयोगों को लेकर विवाह का प्रमाण पत्र भी जारी करती है.

सच्चिदानंद पंचपुरी ने कहा कि इस प्रमाण पत्र का प्रयोग कर सनातन धर्म वाले नव दंपति, हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत अपनी शादियों का विधिवत रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. जिसका श्रेय भी तीर्थ पुरोहित समिति समेत स्थानीय लोगों को जाता है. अब मंदिर समिति इसके बाद किस नियमावली को बनाने की बात कर रही है. त्रियुगीनारायण तीर्थ पुरोहित समिति बीकेटीसी के अध्यक्ष और सीईओ के समाचार पत्र में दिए गए बयान का विरोध करती है. भविष्य में इस तरह की भ्रमित करने वाली बातों के लिए उग्र आंदोलन की चेतावनी देती है.
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Last Updated : Jan 22, 2024, 8:46 PM IST

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