नई दिल्ली : कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी बॉण्ड के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने के बाद शुक्रवार को आरोप लगाया कि ये आंकड़े किसी लाभ के बदले लाभ पहुंचाने, हफ्ता वसूली, रिश्वतखोरी और मुखौटा कंपनियों के माध्यम से धनशोधन जैसी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भ्रष्ट तरकीबों को बेनकाब करते हैं. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने मांग भी कि बॉन्ड आईडी नंबर उपलब्ध कराए जाएं ताकि चंदा देने वालों और लेने वालों का सटीक मिलान किया जा सके.
निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को चुनावी बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक किए. उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 12 मार्च को आयोग के साथ आंकड़े साझा किये थे. रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, '1,300 से अधिक कंपनियों और व्यक्तियों ने चुनावी बॉण्ड के रूप में चंदा दिया है, जिसमें 2019 के बाद से भाजपा को मिला 6,000 करोड़ से अधिक का चंदा शामिल है.'
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड के आंकड़े भाजपा की कम से कम चार भ्रष्ट तरकीबों लाभ के बदले लाभ पहुंचाने, 'हफ्ता वसूली ', 'रिश्वतखोरी ' और 'मुखौटा कंपनियों के माध्यम से धनशोधन’ को उजागर करते हैं. रमेश ने दावा किया कि ऐसी कई कंपनियों के मामले हैं जिन्होंने चुनावी बॉन्ड के रूप में चंदा दिया और इसके तुरंत बाद सरकार से भारी लाभ प्राप्त किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की हफ्ता वसूली रणनीति बिल्कुल सरल है और वह यह है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) और आयकर विभाग के जरिए किसी कंपनी पर छाप मारो और फिर उससे हफ्ता (चंदा)मांगो. कांग्रेस महासचिव ने कहा कि 30 चंदादाताओं में से कम से कम 14 के खिलाफ पहले छापे मारे गए थे. उन्होंने कहा कि आंकड़ों से यह जानकारी सामने आती है कि केंद्र सरकार से कुछ मदद मिलने के तुरंत बाद कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से एहसान चुकाया.