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झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए BJP का फुलप्रूफ प्लान, 28 सीटों पर चुनावी गोटी फिट करने की तैयारी - Jharkhand Assembly Election 2024 - JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION 2024

BJP Strategy For Jharkhand Assembly Election 2024: बीजेपी झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए खास तैयार कर रही है और पार्टी अपने उन आदिवासी चेहरों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है जो लोकसभा चुनाव हार चुके हैं या फिर पार्टी के बड़े पदों पर रहे हैं. भाजपा की आदिवासी वोट बैंक पर खास नजर है और झारखंड मुक्ति मोर्चा के खिलाफ इस बार बड़े और कद्दावर चेहरों को उतार सकती है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

BJP Strategy For Jharkhand Assembly Election 2024
भाजपा (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 29, 2024, 10:08 PM IST

नई दिल्ली: झारखंड विधानसभा में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 28 सीटें आरक्षित हैं. यही वजह है कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में इनमें से आधी से ज्यादा सीटों पर अपने दिग्गज आदिवासी चेहरों को उतारने की तैयारी कर रही है. दरअसल भाजपा कोल्हान क्षेत्र और संथाल परगना की सीटों को जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है क्योंकि पार्टी को लगता है कि झारखंड में चुनाव जीतने के लिए आदिवासी सीटों पर जीत सुनिश्चित करना जरूरी है.

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सूत्रों की मानें तो भाजपा जिस भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ आवाज उठा रही थी, जिस मामले में हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा था. अब यह मुद्दा भाजपा के लिए उलटा पड़ता दिख रहा है. पार्टी को फायदे की बजाय ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में ना भुगतना पड़े, इस बात को लेकर पार्टी को डर सता रहा है.

यही वजह है कि झारखंड की आरक्षित एसटी सीटों में आधे से ज्यादातर सीटों पर पार्टी के प्रमुख आदिवासी नेताओं को उतारने की योजना बना रही है, ताकि इन सीटों पर पार्टी अपनी जीत सुनिश्चित कर सके. बीजेपी का आकलन है कि अगर पार्टी के बड़े आदिवासी चेहरे एसटी आरक्षित सीटों से लड़ते हैं तो जीत की संभावना ज्यादा होगी और पार्टी इन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती है.

भाजपा के प्रमुख चेहरों में अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, सुदर्शन भगत, गीता कोड़ा, लुईस मरांडी, सीता सोरेन, सुनील सोरेन, दिनेश ओरांव और समीर ओरांव शामिल हैं, जो इन एसटी आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ते नजर आ सकते हैं.

परंपरागत रूप से झारखंड में शुरुआत से ही भाजपा शहरी क्षेत्रों की पार्टी मानी जाती रही है. पार्टी को आदिवासी बहुल सीटों पर अब तक के चुनावों में बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली है. वहीं, लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रमुख नेताओं के हारने के बाद से भाजपा को डर सता रहा है कि कहीं इसकी पुनरावृति विधानसभा चुनाव में भी ना हो जाए, इसलिए पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में अपने सभी दिग्गजों को मैदान में उतारना चाहती है.

भाजपा का प्रमुख आदिवासी चेहरों को आरक्षित सीटों से उतारने के पीछे यह भी तर्क है कि अगर ये नेता राज्य सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ स्थानीय मतदाताओं के पास जाएंगे तो इसका ज्यादा प्रभाव और विश्वास आदिवासी वोटरों पर पड़ेगा. इससे आदिवासी वोटबैंक में सेंध भी लगाई जा सकेगी. इसके अलावा चंपई सोरेन और उनके बेटे तथा लोबिन हेंब्रम भी अब बीजेपी के टिकट पर एसटी आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जो कोल्हान क्षेत्र में पार्टी की पैठ जमाने में काफी मदद करेगी.

2019 में आदिवासी बहुल सिर्फ दो सीटें जीत पाई थी भाजपा
2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने सबसे ज्यादा 19 और कांग्रेस ने 6 आदिवासी बहुल सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि बीजेपी आदिवासी मतदाताओं को लुभा नहीं पाई थी और आदिवासी प्रभाव वाली सिर्फ दो सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी. इस बार भाजपा आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए फुलप्रूफ प्लान तैयार कर रही है. सूत्रों की मानें तो चुनाव की घोषणा से पहले ही कुछ ऐसी बड़ी योजना का भी एलान हो सकता है, जिसे पार्टी गेम चेंजर की तरह इस्तेमाल कर सकती है.

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