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धारा 370, राम मंदिर के बाद अब यूसीसी की बारी, उत्तराखंड में बड़ी तैयारी, जानिये बीजेपी का एक्शन प्लान - 3 agendas of BJP

BJP Lok Sabha action plan, Uttarakhand Uniform Civil Code राम मंदिर, धारा 370 और यूनिफॉर्म सिविल कोड भाजपा को एजेंडे में शामिल थे. जिनमें से राम मंदिर, धारा 370 को बीजेपी ने पूरा कर दिया है. अब यूनिफॉर्म सिविल कोड की बारी है. जिसके लागू करने की तैयारी उत्तराखंड में की जा रही है.

Uniform Civil Code in Uttarakhand ​
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 2, 2024, 9:55 PM IST

Updated : Feb 7, 2024, 7:52 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की तैयारी की जा रही है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को उत्तराखंड विधानसभा में पारित कर दिया गया है. इसके पारित होने के बाद यूसीसी को राज्यपाल और राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. जिसके बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल कानूनी रूप ले लेगा.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

सीएए और एनआरसी के साथ उठी यूसीसी की मांग:देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग साल 2019 में तेज हुई थी. मोदी सरकार ने दिसंबर 2019 में CAA (सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट) और NRC (नेशनल रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटिजनशिप) को लोकसभा और राज्यसभा में पारित कर दिया था. साथ ही राष्ट्रपति ने कानूनी रूप दिए जाने को लेकर इस पर सिग्नेचर भी कर दिए थे, लेकिन तमाम विरोध के बीच इस देश में लागू नहीं किया गया. दोनों एक्ट लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद असम में इसका विरोध शुरू हुआ. जिसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में इसका विरोध होने लगा. उससे पहले जब केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को धारा 370 और 35 ए को निरस्त किया तब भी देश में यूसीसी लागू करने की मांग उठने लगी थी.

यूनिफॉर्म सिविल कोड में कब क्या हुआ

विधानसभा चुनाव से पहले सीएम धामी ने की घोषणा:देश की परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने यूसीसी को लागू करने की दिशा में आगे तो नहीं बढ़ी, लेकिन इसकी शुरुआत के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिए. यही वजह रहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जब साल 2021 में राज्य की कमान सौंप गई तो उन्होंने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही. इसके बाद 2022 में विधानसभा चुनाव हुआ. ऐसे में भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया. इस मुद्दे को घोषणा पत्र में शामिल किया गया.

यूनिफॉर्म सिविल कोड में कब क्या हुआ

यूसीसी के गठित की पांच सदस्यीय समिति:23 मार्च 2022 को धामी सरकार के दोबारा शपथ लेने के बाद धामी मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी. साथ ही यह निर्णय लिया गया कि प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के मद्देनजर इसका मसौदा तैयार किया जाएगा. इसके लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा. जुलाई महीने में सीएम धामी के निर्देश के बाद सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्य विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया. शुरुआती दौर में इस विशेषज्ञ समिति को 6 महीने के भीतर ड्राफ्ट तैयार करने को कहा गया.

यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुख्य बिंदु

2 फरवरी को समिति ने यूसीसी का ड्राफ्ट सौंपा:समिति 6 महीने में ड्राफ्ट तैयार नहीं कर पाई. इसके बाद समिति के अनुरोध पर सीएम धामी ने कमेटी का कार्यकाल लगातार चार बार बढ़ाया. 26 जनवरी 2024 को विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल समाप्त हो रहा था. उससे पहले ही 25 जनवरी 2024 को धामी सरकार ने समिति के कार्यकाल को चौथी बार बढ़ाया. ऐसे में कार्यकाल खत्म होने से पहले ही यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने 2 फरवरी को फाइनल ड्राफ्ट सीएम धामी को सौंपा. ड्राफ्ट मिलने के बाद ही उत्तराखंड सरकार ने आगे की कार्रवाई शुरू की. जिसके तहत 4 फरवरी की कैबिनेट बैठक में इस ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई. इसके आज इसे विधानसभा के पटल पर रखकर पारित किया गया.

विरोध के उठे सुर, विपक्ष नहीं कर पाया आवाज बुलंद:जब उत्तराखंड राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था उस दौरान विरोध के सुर भी बुलंद हुए. जैसे-जैसे यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करने की प्रक्रिया आगे बढ़ती गई उसी क्रम में विरोध भी बढ़ने लगा. विशेष समुदाय के लोगों ने जमकर इसका विरोध किया, लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस खुलकर यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध नहीं कर पाई. यूनिफॉर्म सिविल कोड का भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल होना इसकी मुख्य वजह रही.

यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुख्य बिंदु

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी लेगी माइलेज:विपक्षी दल कांग्रेस कहती रही कि यह उत्तराखंड सरकार का मुद्दा नहीं है बल्कि यह केंद्र सरकार का विषय है. ऐसे में यूनिफॉर्म सिविल कोड उत्तराखंड में लागू करने से कुछ नहीं होगा बल्कि भारत सरकार को देश में समान नागरिक संहिता लागू करना चाहिए. यही नहीं विपक्ष इस बात पर भी जोर देता रहा की उनके पास ड्राफ्ट की कोई जानकारी नहीं है. आगामी लोकसभा चुनाव में महज कुछ महीने का ही वक्त बचा है. ऐसे में धामी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. हालांकि, पहले से ही अटकलें लगाई जा रही थी कि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया जाएगा. जिससे चुनाव के दौरान इसका फायदा भाजपा को मिलेगा. ऐसा ही होता कुछ उत्तराखंड में दिख रहा है.

उत्तराखंड यूसीसी को अडॉप्ट कर सकता है केंद्र: उत्तराखंड सरकार की ओर से तैयार किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड ड्राफ्ट आने वाले समय में एक नजीर भी साबित हो सकती है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बड़ा रोल रहा है. जानकारों की माने तो केंद्र सरकार ने एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना चाहती थी. जिसके चलते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस ओर आगे बढ़े हैं. उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को देखते हुए आने वाले समय में भारत सरकार भी देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी. जानकार कहते हैं जो प्रावधान उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड ड्राफ्ट में रखे गये हैं केंद्र उन्हें अडॉप्ट कर सकती है.

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Last Updated : Feb 7, 2024, 7:52 PM IST

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