पटना: बिहार में हो रहे चार विधानसभा उपचुनाव के परिणाम का सरकार बनने या बिगड़ने जैसी कोई बात नहीं है. लेकिन होने वाला उपचुनाव एनडीए, इंडिया गठबंधन और जन सुराज तीनों के लिए लिटमस टेस्ट है. यह उपचुनाव ये संकेत जरूर देगा कि लालू यादव का MY और NDA का आधार वोट कितना अब भी एक जुट है?. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में गठबंधन दलों के दावे में MY और नीतीश कुमार के लवकुश समीकरण भी कई लोकसभा क्षेत्रों में दरकता दिखा.
बिहार में विधानसभा उपचुनाव: बिहार में जिन चार विधान सभा क्षेत्रों में 13 नवंबर को वोटिंग होनी है, उनमें बेलागंज, इमामगंज, रामगढ़ और तरारी सीट शामिल है। दरअसल, यहां उपचुनाव इसलिए होने जा रहा है क्योंकि बेलागंज के विधायक सुरेंद्र यादव, इमामगंज के विधायक जीतन राम मांझी, रामगढ़ के विधायक सुधाकर सिंह और तरारी के विधायक सुदामा प्रसाद जहानाबाद, गया, बक्सर और आरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुन लिए गए है.
उपचुनाव INDIA के लिए लिटमस टेस्ट: बिहार विधानसभा की दिन चार सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. उसमें तीन सीटों पर अभी इंडिया गठबंधन का कब्जा है. तरारी से सीपीआईएमएल, रामगढ़ और बेलागंज सीट पर आरजेडी का कब्जा था. इस उप चुनाव में इंडिया गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. अपने सीटिंग सीट को बचाना, लगातार तेजस्वी यादव इन तीनों सीटों पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
पहली बार एनडीए का इतना व्यापक गठबंधन:विधानसभा के चुनाव में पहली बार एनडीए का इतना व्यापक गठबंधन बना है. 2020 विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़े थे. जिसका नुकसान एनडीए खासकर जदयू को उठाना पड़ा था. एनडीए में बीजेपी, जेडीयू, लोजपा के अलावा जीतनराम मांझी की पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. वैसे 2024 लोकसभा चुनाव में इसी गठबंधन ने बिहार में 40 में से 30 सीट पर जीत हासिल की थी.
जगदानंद और शुधाकर सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर:दरअसल,रामगढ़ सीट पर जगदानंद सिंह और बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह की भी प्रतिष्ठा दाव लगी हुई है. क्योंकि इस सीट पर जगदानंद सिंह के छोटे बेटे और सुधाकर सिंह के छोटे भाई अजीत सिंह राजद के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बेलागंज सीट आरजेडी का सबसे मजबूत सीट माना जाता है. 1995 से अब तक लगातार इस सीट पर सुरेंद्र यादव का कब्जा रहा है और इस बार उनके पुत्र यहां से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि तरारी सीट पर पिछले दो चुनाव से सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद जीते रहे हैं. इसीलिए इन सीटों पर फिर से जीत हासिल करना इंडिया गठबंधन के लिए किसी लिटमस टेस्ट से काम नहीं होगा.
उपचुनाव प्रशांत किशोर के लिए लिटमस टेस्ट:पिछले दो वर्षों से बिहार में पदयात्रा करने वाले प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर को पार्टी का गठन किया. जन सुराज के गठन के दिन ही प्रशांत किशोर ने घोषणा कर दी थी कि आगामी बिहार विधानसभा के उपचुनाव में उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अपनी घोषणा के अनुसार प्रशांत किशोर ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. पार्टी के गठन के दिन ही प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि विधान सभा के उपचुनाव में ही बिहार के सभी बड़े दलों को वह सलटा देंगें. जिस तरीके से उन्होंने दावे और वादे किए थे उसे पर यदि भरोसा किया जाए तो उनके लिए भी यह उपचुनाव लिटमस टेस्ट से काम नहीं है.
4 सीटों पर हो रहा है उपचुनाव:2024 लोकसभा चुनाव में बिहार विधानसभा के चार सदस्य लोकसभा के चुनाव में जीत हासिल की थी. रामगढ़ के राजद विधायक सुधाकर सिंह बक्सर से सांसद बने थे. इमामगंज के हम विधायक जीतनराम मांझी गया से सांसद चुने गए थे. बेलागंज के राजद विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव जहानाबाद से सांसद चुने गए थे और तरारी के सीपीआईएमएल विधायक सुदामा प्रसाद आरा से सांसद चुने गए थे. सांसद चुने जाने के कारण इन चारों सीटों से इस्तीफा दे दिया था. बिहार में होने वाले उपचुनाव में इन राजनीतिक दलों की एंट्री के बाद चुनाव अब दिलचस्प हो गया है.
उपचुनाव को लेकर बीजेपी का दावा:चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी का दावा है कि चारों सीटों पर एनडीए की जीत सुनिश्चित है. इसके पीछे उनका तर्क है कि बिहार में जो भी विकास के काम हुए हैं चाहे वह केंद्र सरकार की योजना से हुआ हो या बिहार सरकार की योजना से हुआ है. इसके अलावा उनका तर्क है कि बीजेपी का बिहार की सभी वर्गों में पहुंच है जनता दल यू का एक मजबूत जनाधार है.
एनडीए से मुकाबला होगा कठिन:उन्होंने कहा कि इसके अलावा चिराग पासवान और जीतनराम मांझी का भी मजबूत जन आधार. विपक्षी गठबंधन पर तंज करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में कांग्रेस के कार्यकर्ता किसी गांव में नहीं मिल रहे हैं बिहार के कुछ इलाकों में वामपंथी दलों का वजूद है. राजद के सहयोगी दल कितने कमजोर है. यही कारण है कि एनडीए के सामने यह लोग कहीं टिक नहीं पा रहे हैं.