बेंगलुरु: हाई कोर्ट ने सौतेले पिता द्वारा बेटी के यौन शोषण के मामले और इस संबंध में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को रद्द करने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति एम.नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिला के तीसरे पति के खिलाफ पहले पति द्वारा दायर मामले को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की. परिवार में असमंजस की स्थिति के कारण माता-पिता अपने ही बच्चों पर यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करा रहे हैं. हालांकि, ऐसे मामलों का बच्चे पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. अदालत ने कहा कि इसलिए ऐसे आरोप लगाने से पहले माता-पिता को सोचना और आत्ममंथन करना चाहिए.
अदालत ने आगे कहा कि अगर ऐसे आरोप सच हैं तो कानून अपना कर्तव्य निभाएगा. हालांकि, वर्तमान मामले में बच्चे की कस्टडी न देने के उद्देश्य से झूठी शिकायत दर्ज करने से बड़ा कोई पाप नहीं है. यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता से विवाह करने के लिए महिला को उत्तेजित करने के लिए कानून का दुरुपयोग किया गया है. अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि POCSO अधिनियम, जिसका उद्देश्य बच्चों को हिंसा से बचाना है, का भी दुरुपयोग किया गया है.