बटुकेश्वर दत्त की बेटी भारती बागची से बातचीत (Video Credit: ETV Bharat) पटना:20 जुलाई को पुण्यतिथि के मौके पर क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त को पूरा देश नमन कर रहा है. उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा. उनकी बेटी भारती बागची ने अपने पिता बटुकेश्वर दत्त के संघर्षों की कहानी ईटीवी भारत के साथ साझा की है. उन्होंने कहा कि भगत सिंह और मेरे पिता बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे. जब भगत सिंह को फांसी की सजा मिली तो मेरे पिता का मन व्यथित हो गया था कि उनको फांसी की सजा क्यों नहीं दी गई.
अपने आखिरी समय में बटुकेश्वर (Photo Credit: ETV Bharat) बटुकेश्वर दत्त की पुण्यतिथि आज: भारती बागची से ईटीवी संवाददाता रंजीत कुमार ने फोन पर बातचीत की. भारती बागची ने कहा कि बटुकेश्वर दत्त क्रांति के नायक थे और भगत सिंह की मां उन्हें अपने बेटे की तरह मानती थी. बटुकेश्वर दत्त पर पुस्तक के रचना करने वाले भैरव लाल दास बताते हैं कि एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए जब भगत सिंह की माता को खबर मिली कि बटुकेश्वर दत्त जीवित हैं, तब वह उनसे मिलने पटना चली आई थीं.
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त थे अच्छे मित्र (Photo Credit: ETV Bharat) कैंसर से पीड़ित दत्त का दिल्ली में निधन: जब बटुकेश्वर बीमार पड़े थे तब, 6 महीने तक एम्स में रहकर उनका इलाज कराया गया था. अंतिम दिनों में वह कैंसर से पीड़ित हो गए थे. भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त को बटु बोलते थे. भगत सिंह ने शहीद होने से पहले अपनी माता को कहा था कि मैं बट्टू को आपके साथ छोड़ जा रहा हूं वही आपका बेटा है.
बटुकेश्वर दत्त की बहन को भगत सिंह द्वारा लिखा पत्र (Photo Credit: ETV Bharat) 'सादगी से भरा था मेरे पिता का जीवन':बटुकेश्वर दत्त की इकलौती पुत्री भारती बागची बटुकेश्वर दत्त के पुण्यतिथि पर पंजाब पहुंची हैं और वहां वह भगत सिंह के समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित करने जा रही हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान भारती बागची ने कहा कि बटुकेश्वर दत्त बड़े ही सादगी से जीवन जीते थे. उन्होंने 114 दिन के भूख हड़ताल किया और 13 साल तक जेल में रहे.
बटुकेश्वर दत्त की पुण्यतिथि पर विशेष (Photo Credit: ETV Bharat) "सन 1945 में आसनसोल में अंजलि दत्त से उनकी शादी हुई. उसके बाद उन्हें नजर बंद कर दिया गया था और वह बिहार बंगाल उड़ीसा से बाहर नहीं जा सकते थे. मेरी मां सरकारी स्कूल में शिक्षिका थीं और उसी से हमारा परिवार चलता था. मेरे पिताजी ने कई व्यवसाय करने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हुए, उनका मिजाज कुछ अलग था."- भारती बागची, बटुकेश्वर दत्त की बेटी
'आखिरी समय में भगत सिंह की मां ने दिया साथ': भारती बागची ने कहा कि भगत सिंह और मेरे पिताजी के बीच बहुत अच्छे संबंध थे. दोनों का एक दूसरे पर विश्वास था. आजादी मिलने के बाद भी दिक्कत में हमारा परिवार रहा. अंतिम समय में मेरे पिता कैंसर से पीड़ित हो गए लेकिन भगत सिंह की माता जी ने उनका खूब ख्याल रखा. जब उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया तब दिल्ली के लोगों को पता चला कि बटुकेश्वर दत्त जिंदा हैं.
भारती बागची पहुंचीं पंजाब: भारती बागची बताती हैं कि तत्कालीन गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा ने उनके इलाज की पूरी व्यवस्था की. भगत सिंह की माता जी बटुकेश्वर दत्त को बेटे की तरह मानती थी. बटुकेश्वर दत्त की इच्छा के अनुसार उनका समाधि स्थल पंजाब के हुसैनी वाला में बना, जहां भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का समाधि स्थल है. अब भारती अपने पिता की पुण्यतिथि के मौके पर पंजाब पहुंची हैं, जहां उन्होंने पिता के साथ ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की समाधि पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त थे अच्छे मित्र: 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली के केंद्रीय विधानसभा में भगत सिंह के साथ ब्रिटिश तानाशाही का विरोध करने वालों में बटुकेश्वर दत्त का नाम भी था. पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट बिल ब्रिटिश सरकार की ओर से लाया गया था, जिसका भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और बटुकेश्वर दत्त ने विरोध किया. संसद भवन में बम फेंका था. घटना के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को गिरफ्तार कर लिया गया था. दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई.
बटुकेश्वर दत्त को मिली काला पानी की सजा: वहीं, सजा सुनाने के बाद दोनों क्रांतिकारी को लाहौर के फोर्ट जेल भेज दिया गया. भगत सिंह पर लाहौर षड्यंत्र मामले में केस चलाया गया. इस मामले में भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई दी गई, लेकिन बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास की सजा मिली. दत्त को काला पानी जेल भेज दिया गया. बटुकेश्वर दत्त की इच्छा थी कि उन्हें भी फांसी की सजा सुनाई जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
वहीं लेखक भैरव लाल दास ने कहा कि बटुकेश्वर दत्त, भगत सिंह के सबसे अच्छे दोस्त थे. बटुकेश्वर दत्त को दो केस में आजीवन कारावास और काला पानी की सजा मिली था. 1963 में वे विधान परिषद के सदस्य बने. कुछ दिन के बाद 20 जुलाई 1965 को उनकी मृत्यु हो गई. उनकी पत्नी शिक्षिका थीं. मीठापुर में उनका घर था. पटना में उन्होंने अपना शेष जीवन बिताया. बिना शोर शराबे के गुमनामी की जिंदगी काटी
बटुकेश्वर दत्त पर पुस्तक लिखने वाले भैरव लाल दास से खास बातचीत (Video Credit: ETV Bharat) "उनको आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा. पीएमसीएच में उनका इलाज चला, फिर कैंसर का पता चला. बटुकेश्वर दिल्ली इलाज कराने चले गए. भगत सिंह की मां विद्यावती जी ने 6 महीने तक दत्त जी की सेवा की. उनके बेड के नीचे भगत सिंह की मां चादर बिछाकर सोती थी. अंग्रेजी सरकार ने उन्हें इतनी यातनाएं दी थी कि उनका शरीर कोई काम के लायक नहीं रह गया था. कहा जाता है कि उन्होंने पटना के एक बिस्कुट फैक्ट्री में भी काम किया था." -भैरव लाल दास, बटुकेश्वर दत्त पर पुस्तक लिखने वाले
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