नई दिल्ली:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो रही है. पड़ोसी देश की वर्तमान स्थिति ने कूटनीतिक रूप से भारत को एक अजीब स्थिति में डाल दिया है, खासकर संबंधों को संतुलित करने और रणनीतिक निर्णयों के सवाल को लेकर.
नई बांग्लादेशी सरकार ने इच्छा व्यक्त की है कि नई दिल्ली-ढाका संबंधों को और अधिक जन-केंद्रित बनाया जाना चाहिए क्योंकि पूर्व पीएम शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान वे सरकार-से-सरकार संबंधों तक ही सीमित थे.
ईटीवी भारत की संवाददाता चंद्रकला चौधरी ने विदेश नीति, रणनीति और सुरक्षा मामलों के कमेंटेटर और इंटिग्रेटिड नेशनल सिक्योरिटी फॉरम के महासचिव डॉ. शेषाद्रि चारी से भारत-बांग्लादेश संबंधों की जटिलताओं और आगे के रास्ते पर चर्चा की.
ईटीवी ने जब उनसे पूछा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मानना है कि भारत-बांग्लादेश संबंधों को और अधिक लोगों के बीच केंद्रित किया जाना चाहिए क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान ये केवल कुछ व्यक्तियों (सरकार-से-सरकार) तक ही सीमित थे. आप इसे कैसे देखती हैं?
इस पर डॉ. शेषाद्रि चारी ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंध 1971 से ही हमेशा लोगों के बीच केंद्रित रहे हैं. सीमा के दोनों ओर के लोगों के बीच आपसी सामाजिक-सांस्कृतिक संबंध 1971 से बहुत आगे तक जाते हैं जब देश अस्तित्व में आया था. नई दिल्ली ने हमेशा ढाका में सरकारों के साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं, चाहे पार्टी या नेता किसी भी सरकार का नेतृत्व कर रहे हों. हमने देशों की उनकी घरेलू राजनीति में शामिल न होने का सख्त शिष्टाचार बनाए रखा है. कहने की जरूरत नहीं है कि हमने समय-समय पर ढाका के साथ भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों को प्रभावित करने वाले चिंता के मुद्दे उठाए हैं. यह स्वीकार करना होगा कि शेख हसीना हमेशा नई दिल्ली द्वारा उठाए गए सभी चिंताओं के प्रति उत्तरदायी थीं.
जब उनसे सवाल किया गया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों की वर्तमान स्थिति पर आपका क्या कहना है और शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद आगे क्या होगा?
इस पर डॉ शेषाद्रि चारी ने कहा कि नई दिल्ली वेट एंड वॉच करना चाहेगी. हम चाहते हैं कि स्थिति शांत हो जाए, बदले की भावना से की जाने वाली राजनीतिक और धार्मिक दोनों तरह की हरकतें तुरंत बंद होनी चाहिए. यह ढाका में सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए.