वाराणसी :दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को स्लोवाकिया-ईराक और भारत के कलाकारों ने समां बांध दिया. पहले दिन कोलंबिया, श्रीलंका और भारत के कलाकारों की प्रस्तुति ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया था. शुक्रवार को ईराक के कलाकारों का परंपरागत और सांस्कृतिक नृत्य देखकर हर कोई तालियां बजाने के लिए मजबूर हो गया. वहीं स्लोवाकिया के कलाकारों के परंपरागत नृत्य ने सभी का ध्यान खींचा.
शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन ईराक और स्लोवाकिया के लोकनृत्यों का हर किसी ने आनंद लिया. इन दोनों ही देशों के नृत्य के दौरान गाए जाने वाले गीतों के बोल भले लोगों को समझ नहीं आ रहे थे, लेकिन डांस स्टेप्स ने लोगों को कलाकारों की भावनाओं को समझा दिया. ईराक के सुलेमानिया नेशनल आर्ट ग्रुप के कलाकारों ने तीन नृत्य प्रस्तुतियां दीं. इनमें परचाकार लाडा, कुराच और शीरीन तीसी दृसी लोकनृत्य शामिल रहे.
तीनों ही प्रस्तुतियां एक घेरे में की गईं. एक साथ कदम बढ़ाते, छलांग लगाते दौड़ते, उछलते-कूदते कलाकार नृत्य के दौरान वृत्ताकार और सर्पीली आकृतियां बनाते रहे. इस दल में जैफर जौहर, स्थानद पार्क, मोहम्मद जलाल, सोमाद पारसल, लाओग हास, सुनोर उमर, सोलीन दपात, रैबन यूसेफ, होगीनूरी, ओसा महमूद शामिल रहें.
वहीं, स्लोवाकिया के कलाकारों ने ओडज़ेमोक, चोरोवोद, कोलेसो नाम के लोकनृत्यों को पेश किया. नृत्य के अलावा उन्होंने विचोदाना और बैले लुनिकिका लोकगीत की प्रस्तुतियां भी दीं. इन लोकनृत्यों में स्लोवाकिया की लोक परंपराओं की झलक देखने को मिली. शुरुआत चोरोवोद नृत्य से हुई. इसमें लड़कियों के ग्रुप में डांस दिखा.