सुकमा:बस्तर में सड़क और पुलिया की कमी का खामियाजा यहां के लोग भुगत रहे हैं. बारिश के दिनों में जब गांव की कच्ची सड़कें खराब हो जाती हैं. पानी और कीचड़ में डूब जाती हैं तब मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है. सुकमा में लगातार हो रही बारिश के चलते हालात बद से बदतर हो चुके हैं. सबसे ज्यादा हालात दूर दराज के गांवों में खराब है. नक्सल प्रभावित इलाके एर्राबोर में गर्भवती महिला को खटिया पर लादकर गांव वालों ने एंबुलेंस तक पहुंचाया. खराब सड़कों के चलते गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई.
हे भगवान कब बदलेगी यहां की तस्वीर, इसे खटिया नहीं बस्तर का एंबुलेंस कहिए - Call Bastar ambulance
भारी बारिश के चलते पूरा बस्तर पानी पानी है. सुकमा में बारिश के चलते गर्भवती महिला के घर तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई. लाचार परिवार वालों ने करीब तीन किमी तक खटिया पर लादकर महिला को एंबुलेंस तक पहुंचाया. बारिश के दिनों में दूर दराज के गांव में इस तरह से खटिया को एंबुलेंस बनाकर लोग मरीज को एंबुलेंस तक पहुंचाते हैं.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Jul 28, 2024, 6:25 PM IST
|Updated : Jul 28, 2024, 9:32 PM IST
खटिया नहीं इसे गांव का एंबुलेंस कहिए साहब: रविवार को एर्राबोर के लेंडरा गांव की महिला को प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल में भर्ती करना था. परिवार वालों ने एंबुलेंस को फोन किया. मौके पर गाड़ी भी गांव के लिए रवाना हो गई. पर खराब सड़क और बारिश के चलते गाड़ी गांव से करीब तीन किमी पहले ही खड़ी हो गई. परेशान परिवार वालों ने महिला को खटिया पर लादकर उसे एंबुलेंस तक पहुंचाया. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. बस्तर के दूर दराज के गांवों से अक्सर ऐसी तस्वीरें सामने आती रहती हैं.
कब सुधरेंगे हालात: कई बार किस्मत मरीज का साथ देती हैं तो मरीज सकुशल अस्पताल या एंबुलेंस तक पहुंच जाता है. कई बार खराब मौसम और सड़क के चलते मरीज को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. नक्सल प्रभावित इलाका होने के चलते कई बार एंबुलेंस के चालक भी सतर्कता बरतते हैं. इस तरह के हालात के लिए जितनी जिम्मेदार सरकार है उतनी ही जिम्मेदार नक्सली भी हैं. नक्सलियों की वजह से बस्तर के अंदरुनी इलाकों में विकास का काम प्रभावित होता है. नक्सली अगर सड़क बनने देते तो ये दिक्कते नहीं आती. सुनील कश्यप, संवाददाता, सुकमा