पलवल : कहते हैं ना कि कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हरियाणा के पलवल के एक युवा ने जिन्होंने 250 बार असफल रहने के बावजूद अपनी कोशिशें नहीं छोड़ी और फिर देश के 9 राज्यों की मिट्टी से एक शानदार कूलर तैयार कर लिया है.
मिट्टी से बनाया कूलर :अब तक आपने मिट्टी के बर्तनों को देखा होगा. मिट्टी से बने कुल्हड़ में चाय की चुस्की का लुत्फ उठाया होगा लेकिन क्या आपने कभी मिट्टी का कूलर देखा है. शायद नहीं, लेकिन ये कमाल कर दिखाया है हरियाणा के पलवल के मीरपुर कोराली गांव के रहने वाले मुकेश कुमार ने. उन्होंने मिट्टी से कूलर बना डाला है जिसे देखकर हर कोई हैरान है. मुकेश कुमार सोनीपत के दीनबंधु चौधरी छोटू राम यूनिवर्सिटी मुरथल से पीएचडी की पढ़ाई कर रहे हैं. पीएचडी की पढ़ाई के दौरान उन्होंने ग्लोबल वॉर्मिंग के ख़तरे के देखते हुई ईको-फ्रेंडली तरीके से मिट्टी के कूलर को बनाने के बारे में सोचा. इसके बाद उन्होंने अपने मैकेनिकल इंजीनियर दोस्त नितेश कुमार के साथ मिलकर मिट्टी के कूलर के डिजाइन पर काम करना शुरू कर दिया.
250 बार असफल, तब मिली कामयाबी :कई महीने लगातार काम करने के बाद वे इसकी डिजाइन को तैयार कर सके. लेकिन मिट्टी के कूलर को लंबे अरसे तक नुकसान से कैसे बचाया जा सके, इसके लिए उन्होंने कोशिशें शुरू की तो उन्हें 250 बार असफलता का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने भारत के अलग-अलग राज्य गुजरात ,राजस्थान ,हरियाणा, दिल्ली, पंजाब ,उत्तर प्रदेश, कर्नाटक से मिट्टी को जमा करना शुरू कर दिया. महावीर नाम के कुम्हार से उन्होंने बेहतर मिट्टी को परखने में मदद ली. इसके बाद वे मिट्टी से कूलर बनाने में कामयाब हो गए. उन्होंने मिट्टी के कूलर पर तेज़ गर्मी के असर का टेस्ट किया, फिर पानी के साथ भी टेस्ट किया. उनका कूलर गर्मी और बारिश सब झेल सकता है.
मार्केट में मिलने वाले कूलर से कम कीमत :मुकेश कुमार के बनाए कूलर की लाइफ 5 साल है. उनके इस कूलर को डिस्पोज करना भी बेहद आसान है. इससे वातावरण को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचेगा. 5 साल के इस्तेमाल के बाद इसे आसानी से डिस्पोज़ किया जा सकता है. मुकेश कुमार ने बताया कि उनके इस कूलर की कीमत मार्केट में मिलने वाले कूलर से काफी ज्यादा कम है. साथ ही इस कूलर से मिलने वाली हवा पूरी तरह से शुद्ध होगी और इसका शरीर पर कोई गलत असर नहीं पड़ेगा. मुकेश कुमार ने बताया कि उनके इस कूलर पर सभी तरह के ट्रायल पूरे हो चुके हैं और अगले साल वे अपनी PHD पूरी करने के बाद अपना ये उत्पाद मार्केट में लेकर आने वाले हैं. उनके इस उत्पाद को भारत सरकार से पेटेंट की मंजूरी भी मिल चुकी है.