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धर्मांतरण पर रोक नहीं लगी तो देश की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी: HC - allahabad high court - ALLAHABAD HIGH COURT

Allahabad High Court: धर्मांतरण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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allahabad high court. (photo credit: etv archive)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 2, 2024, 6:47 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि जिस प्रकार से धर्मान्तरण किया जा रहा अगर यह जारी रहा तो देश की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी. कोर्ट ने कहा पूरे उत्तर प्रदेश में एससी /एसटी और आर्थिक रूप से गरीब व्यक्तियों का ईसाई धर्म में अवैध धर्मांतरण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने धर्मान्तरण कराने के आरोपी कैलाश की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

हमीरपुर के थाना मौदहा में याची कैलाश पर अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. शिकायतकर्ता रामकली प्रजापति के भाई रामफल को कैलाश हमीरपुर से दिल्ली में सामाजिक समारोह और कल्याण समारोह में भाग लेने के लिए ले गया था. एफआईआर के अनुसार उक्त गांव के कई लोगों को समारोह में ले जाया गया और उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया. शिकायतकर्ता का भाई मानसिक बीमारी से पीड़ित भी था.

याची अधिवक्ता ने कहा कि याची ने शिकायतकर्ता के भाई का धर्मांतरण नहीं किया था. सोनू पास्टर ही ऐसी सभा कर रहा था और उसे पहले ही जमानत पर रिहा किया जा चुका है. वहीं, राज्य की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता पी के गिरी ने कहा कि ऐसी सभा आयोजित कर बड़ी संख्या में लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है. कैलाश लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए गांव से ले जा रहा था और इस कार्य के लिए उसे बहुत सारा पैसा दिया जा रहा था.

कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 25 “अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार” का प्रावधान करता है, लेकिन एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण का प्रावधान नहीं करता है. कोर्ट ने कहा कि "प्रचार" शब्द का अर्थ बढ़ावा देना है, लेकिन इसका अर्थ किसी व्यक्ति को उसके धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करना नहीं है. " न्यायालय ने प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि आवेदक जमानत का हकदार नहीं है इसलिए जमानत याचिका खारिज कर दी.

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