पटना: रुपौली विधानसभा उपचुनाव का रिजल्ट एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन के लिए एक झटका साबित हुआ है. दोनों गठबंधन के बड़े दलों को एक निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव में शिकस्त दिया है. बिहार की विधानसभा सीटों पर बहुत जल्द उपचुनाव होना है. रुपौली कुछ चुनाव के रिजल्ट के बाद अब एक बार फिर से क्या लगने लगा है कि क्या फिर से इन चार सीटों पर कोई चौंकाने वाले परिणाम तो नहीं होंगे.
किन सीटों पर होना है चुनाव: बिहार की चार विधानसभा सीटों तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज में उपचुनाव होना है. इन चारों सीट के विधायकों सुदामा प्रसाद सुधाकर सिंह सुरेंद्र यादव और जीतन राम मांझी ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की, जिसके कारण उपचुनाव होना है. सूत्रों की मानें तो चार सीटों में से बीजेपी तरारी एवं रामगढ़, जेडीयू बेलागंज और हम इमामगंज सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. चारों सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा.
तरारी विधानसभाउपचुनाव: तरारी विधानसभा सीट भोजपुर जिला में आता है. पिछले दो विधानसभा चुनाव से इस सीट पर सीपीआईएमएल के कब्जे में है. 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में सुदामा प्रसाद ने यहां से जीत दर्ज की थी. 2015 में सुदामा प्रसाद भाकपा (माले) के टिकट पर यहां से जीते थे. उनके और LJP उम्मीदवार गीता पांडे को मात्र 272 वोटों के अंतर से हराया था.
चुनाव लड़ने की तैयारी में सपीआईएम कैंडिडेट : 2020 विधानसभा चुनाव में सुदामा प्रसाद में निर्दलीय प्रत्याशी सुनील पांडे को 11015 मतों से पराजित किया था. वहां से भाजपा प्रत्याशी कौशल किशोर विद्यार्थी तीसरे नंबर पर रहे थे. उन्हें मात्र 13833 वोट ही मिला था. बिहार विधानसभा के उपचुनाव में इस सीट पर फिर से बीजेपी की दावेदारी है. यहां पर सीपीआईएमएल के कैंडिडेट भी चुनाव लड़ेंगे. लेकिन यहां का चुनाव इसलिए दिलचस्प होने की संभावना है क्योंकि एक बार फिर से बाहुबली सुनील पांडे चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
रुपौली जैसा हो सकता है रिजल्ट: पिछले दो विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर उन्हीं का प्रत्याशी रहा था. 2015 में उनकी पत्नी गीता पांडे चुनाव लड़ी थी तो 2020 में वह खुद विधानसभा का चुनाव लड़े थे. यदि सुनील पांडे उपचुनाव में फिर से खड़े होते हैं तो यहां रुपौली जैसा परिणाम देखने को मिल सकता है. इसका कारण यह है कि सुनील पांडे पीरो विधानसभा क्षेत्र से इस क्षेत्र से कई बार विधायक रह चुके हैं. 2008 के परिसीमन में यह क्षेत्र तरारी विधानसभा बना था.
रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव: कैमूर जिला का रामगढ़ सीट जगदानंद सिंह की परंपरागत सीट रही है. 2020 विधानसभा चुनाव में राजद ने जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह को यहां से आरजेडी का प्रत्याशी बनाया. 2020 विधानसभा चुनाव में रामगढ़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में आरजेडी प्रत्याशी सुधाकर सिंह को जीत मिली थी. राजद उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी और बसपा नेता अंबिका यादव को कुल 189 वोटों से हराया था. वहीं तीसरे नंबर पर भाजपा प्रत्याशी रहे थे. बीजेपी के उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह को 55 हजार 750 मत प्राप्त हुआ था.
जगदानंद सिंह अपने दूसरे बेटे को उम्मीदवार बनाएंगे : 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में रामगढ़ सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर सेंध लगाई थी. 2015 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अशोक कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी. इस बार के चुनाव में फिर से अशोक कुमार सिंह बीजेपी के तरफ से दावेदारी पेश कर रहे हैं. तो उनके खिलाफ राजद ने जगदानंद सिंह के दूसरे पुत्र अजीत कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाने का मन बना लिया है. इस उपचुनाव में एक बार फिर से रामगढ़ सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है.
बेलागंज विधानसभा उपचुनाव : बेलागंज विधानसभा क्षेत्र के बारे में कहा जाता है कि यह आरजेडी का सबसे सेफ सीट है. बेलागंज सीट पर लालू प्रसाद यादव के करीबी सुरेंद्र प्रसाद यादव ने 2020 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. सुरेंद्र यादव की बेलागंज से यह लगातार 7वीं जीत थी. 2020 विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र प्रसाद यादव ने जेडीयू के अभय कुमार सिन्हा को 23963 वोट से हराया था. इस उप चुनाव में आरजेडी के टिकट पर सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव ने अपने दावेदारी पेश की है. उम्मीद है कि राजद सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव को टिकट देगी.
इमामगंज विधानसभा उपचुनाव: गया के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. जीतनराम मांझी ने राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी को 16000 से ज्यादा मतों से पराजित किया था. इस बार हम (से) से जीतनराम मांझी के दूसरे पुत्र प्रवीण मांझी को उतराने की तैयारी है. उनका मुकाबला फिर से राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी से होने की संभावना है.