नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारियों में से एक की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. इस याचिका में आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच अवधि के उल्लंघन में अर्जित उनकी संपत्ति को वापस लेने की मांग की गई थी. यह मामला जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष आया था.
याचिकाकर्ता जे दीपा का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता एम सत्य कुमार ने पीठ के समक्ष दलील दी कि जयललिता ने अपने अभिनय करियर के दौरान सोने और चांदी की वस्तुएं अर्जित की थीं. कुमार ने जोर देकर कहा कि उनकी मां द्वारा उपहार में दी गई वस्तुओं को वापस किया जाना चाहिए और साथ ही उन संपत्तियों को भी वापस किया जाना चाहिए जो जांच अवधि के बाद अर्जित की गई थीं.
'उनके खिलाफ केवल कार्यवाही समाप्त हुई है'
पीठ ने वकील से पूछा, "हमें नहीं पता आप कैसे पहचानेंगे कि कौन सी वस्तुएं जांच अवधि का उल्लंघन करके हासिल की गई थीं..." सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जयललिता की मृत्यु के कारण उसके समक्ष कार्यवाही समाप्त होने का अर्थ यह नहीं है कि उन्हें मामले में बरी कर दिया गया है. पीठ ने कहा कि उनके मामले में पिछले फैसले ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पूरी तरह से बहाल कर दिया और जयललिता की मृत्यु के कारण केवल उनके खिलाफ कार्यवाही समाप्त हुई.
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है और दीपा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट के 13 जनवरी, 2025 के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. बता दें कि जे दीपा तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री की भतीजी हैं.