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सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर 31 लोगों से 55 लाख की ठगी, शिक्षा विभाग के भी लोग गिरोह में शामिल - Fraud in name of government job

Fraud in name of government job. नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. इस बार शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी हुई है. इस कांड में गिरिडीह से लेकर रांची तक के जालसाज शामिल हैं.

Fraud in name of government job
गिरिडीह समाहरणालय (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 9, 2024, 10:54 AM IST

गिरिडीह : शिक्षा विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर 31 लोगों से 55 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है. यह ठगी एक संगठित गिरोह ने की है. इस गिरोह में शिक्षा विभाग से जुड़े एक बीपीएम, एक सरकारी स्कूल के आईसीटी (इनफार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी) प्रशिक्षक के अलावा अब तक आठ लोगों के नाम प्रकाश में आए हैं.

पुलिस की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, मामले में आईसीटी ट्रेनर को गिरफ्तार कर लिया गया है. गिरफ्तार ट्रेनर लोगों से पैसे ऐंठकर रांची भेजता था. गिरफ्तार ट्रेनर मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अकदोनी कला निवासी मनीष कुमार करण (पिता मनोज कुमार) है. मनीष को मुफस्सिल थाना कांड संख्या 155/24 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गादी श्रीरामपुर निवासी पवन कुमार ने पुलिस से पूरे मामले की शिकायत की. एफआईआर में उसने बताया कि इंस्टाग्राम के जरिए मनीष कुमार करण नामक युवक से उसकी दोस्ती हुई. दोस्ती के बाद मनीष ने उससे कहा कि वह उसे सरकारी नौकरी दिला सकता है. उसने बताया कि झारखंड एजुकेशन प्रोजेक्ट काउंसिल में ई-कल्याण और डाटा मैनेजमेंट ऑपरेटर का बड़ा काम आया है.

उसने बताया कि सेटिंग से सारा काम हो जाएगा और नौकरी भी मिलेगी. एक व्यक्ति को नौकरी दिलाने के लिए पांच लाख मांगे गए. पवन ने बताया कि तत्काल उससे ढाई लाख ले लिए गए. पवन के बाद कोलडीहा के दो दोस्तों पुरुषोत्तम कुमार पटवा और कैलाश जायसवाल से भी पैसे दिलवाए गए. कुल रकम 10.50 लाख हो गई.

आरोपी मनीष (ईटीवी भारत)

इसी बीच मनीष ने पवन के व्हाट्सएप पर पत्र भेजकर कहा कि 12 अप्रैल तक कागजातों का सत्यापन हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसके बाद उसने कहा कि 21 अप्रैल को इंटरव्यू होगा. इंटरव्यू तो नहीं हुआ, लेकिन मेरिट लिस्ट जरूर दे दी गई.

समाहरणालय बुलाया, साथी से मिलवाया

एफआईआर में पवन ने कहा है कि उसे 29 अप्रैल से तीन मई तक डीसी कार्यालय गिरिडीह में ज्वाइन करने को कहा गया. 3 मई को जब वे डीसी ऑफिस पहुंचे तो उन्हें अविनाश नामक व्यक्ति से मिलवाया गया, जिसने कहा कि बीआरसी में बायोमेट्रिक होगा और फिर आईडी कार्ड दिया जाएगा.

पवन ने बताया कि जब उसे शक हुआ तो उन्होंने पैसे वापस करने को कहा. दबाव बनाने पर मनीष ने अशोक पात्रा के नाम से चेक दिया और कहा कि अगर नौकरी नहीं लगी तो पैसे वापस ले लेना. हालांकि, दोनों चेक बाउंस हो गए.

पुलिस हुई सक्रिय, धराये मनीष ने उगले साथियों के नाम

पुलिस की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, मुफ्फसिल थाना प्रभारी श्याम किशोर महतो ने एसपी दीपक कुमार शर्मा के साथ ही एसडीपीओ बिनोद रवानी को पूरे मामले की जानकारी दी. वरीय अधिकारी के निर्देश पर मामला दर्ज कर जांच की जिम्मेदारी सब इंस्पेक्टर सतेंद्र कुमार पाल को सौंपी गई. एफआईआर के दूसरे दिन एसआई पाल ने मनीष को गिरफ्तार कर लिया.

मनीष ने बताई ठगी की पूरी कहानी

पुलिस ने मनीष से पूछताछ की. पूछताछ में मनीष ने अपने आठ साथियों के नाम बताए. उसने बताया कि इस गिरोह में बिहार के अलावा रांची के लोग भी शामिल हैं. इतना ही नहीं, शिक्षा विभाग के लोग भी इसमें शामिल हैं. उसने यह भी बताया कि उसके द्वारा दिए गए नियुक्ति पत्र पर अधिकारी के हस्ताक्षर की कॉपी भी है. मनीष ने अब तक 31 लोगों से ठगी करने की बात स्वीकार की है.

"नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के मामले में एक युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. गिरफ्तार व्यक्ति ने अपने आठ साथियों के नाम बताए हैं, जिसमें शिक्षा विभाग और श्रम विभाग के लोग भी शामिल हैं. इनकी संलिप्तता की जांच चल रही है". - श्याम किशोर महतो, मुफस्सिल थाना प्रभारी

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