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नक्सलियों के खात्मे के लिए आज ही तैयार हुआ था स्पेशल फोर्स, ग्रेहाउंड की तर्ज पर हुई थी झारखंड जगुआर की स्थापना - JHARKHAND JAGUAR

झारखंड जगुआर 17 सालों का हो गया है. नक्सलियों के खात्मे में झारखंड जगुआर की सबसे अहम भूमिका है.

Jharkhand Jaguar
झारखंड जगुआर (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 21, 2025, 12:52 PM IST

रांची:झारखंड में नक्सलियों के बीच खौफ का दूसरा नाम झारखंड जगुआर 21 फरवरी को 17 साल का हो गया. झारखंड से नक्सलियों के सफाए का टारगेट पूरा करने में जुटे झारखंड जगुआर ने शुक्रवार को अपना स्थापना दिवस बेहद भव्य तरीके से मनाया.

2008 में हुई थी स्थापना

नक्सलियों के खिलाफ झारखंड की अपनी स्पेशल फोर्स ने अपना 17वां स्थापना दिवस मनाया. जगुआर के 17वें स्थापना दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि डीजीपी अनुराग गुप्ता शामिल हुए. 2008 में स्थापना के बाद से झारखंड जगुआर के खाते में अनगिनत उपलब्धियां हैं. जगुआर के जवानों को संबोधित करते हुए डीजीपी ने कहा कि आपके खून-पसीने से नक्सलवाद पर काबू पाया गया, आपकी बदौलत झारखंड से 95 फीसदी नक्सलियों का खात्मा हो चुका है. 17 सालों में जगुआर ने नक्सल आउटफिट्स के खिलाफ अच्छा काम किया है.

स्थापना दिवस के दौरान झारखंड जगुआर के जवान (ईटीवी भारत)

डीजीपी ने कहा कि जगुआर के जवानों ने जिला पुलिस के साथ कदम से कदम मिलाकर काम किया है. बल को सर्वश्रेष्ठ बनाने में बेहतर प्रशिक्षण की अहम भूमिका है. नए लड़के बेहतर काम कर रहे हैं. वर्तमान सरकार ने पुलिस की चुनौतियों को ठीक करने की दिशा में काम किया है, जिससे पुलिस का मनोबल बढ़ा है. जगुआर नक्सलियों के खिलाफ बेहतर काम कर रहा है. 17 साल में 350 से ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, वहीं 34 को मार गिराया गया है.

जगुआर की बीडीएस टीम सबसे खास

डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि झारखंड जगुआर के जवान न सिर्फ नक्सलियों के खिलाफ सबसे बेहतर हैं, बल्कि जगुआर की बीडीएस टीम (बम निरोधक दस्ता) भी बेहतरीन है. बीडीएस टीम ने नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी और लैंड माइंस को निष्क्रिय कर नक्सलियों को भारी नुकसान पहुंचाया और जंगल के रास्तों को अपने बल और ग्रामीणों के लिए सुरक्षित बनाया है.

चाईबासा पर फोकस करेगा जगुआर

डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि झारखंड में अब नक्सल समस्या खत्म होने की कगार पर है, चाईबासा ही एकमात्र ऐसा इलाका बचा है, जहां नक्सलवाद अभी भी जिंदा है. ऐसे में अब झारखंड जगुआर हर स्थान से हटकर केवल चाईबासा पर ही अपनी ताकत लगाएगा. चाईबासा में बड़ा प्रहार करके नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करना है. इसके लिए जगुआर को अपनी खुफिया जानकारी को भी मजबूत करना होगा.

परेड निरीक्षण करते डीजीपी (ईटीवी भारत)

ग्रेहाउंड की तर्ज पर बना झारखंड जगुआर

साल 2000 से 2007 तक झारखंड में नक्सलवाद अपने चरम पर था. झारखंड पुलिस सीआरपीएफ की मदद से नक्सलवाद के खिलाफ बेहद खूनी लड़ाई लड़ रही थी, जिसमें अक्सर नक्सली जंगलों और पहाड़ों में पुलिस पार्टी पर भारी पड़ते थे. उस समय झारखंड पुलिस अभियान के लिए पूरी तरह से केंद्रीय बलों पर निर्भर थी. जबकि आंध्र प्रदेश पुलिस का अपना नक्सल एक्सपर्ट फोर्स ग्रेहाउंड नक्सलियों के खिलाफ काफी मारक साबित हो रहा था.

इसके बाद झारखंड पुलिस ने भी नक्सलियों के खिलाफ अपना फोर्स तैयार किया, जिसका नाम झारखंड जगुआर रखा गया. आंध्र प्रदेश के ग्रेहाउंड की तर्ज पर नक्सल अभियान में झारखंड जगुआर की भूमिका काफी कारगर है. अपने गठन के 17 सालों में जगुआर ने माओवादियों समेत तमाम उग्रवादी संगठनों पर लगाम लगाई है.

डेमो दिखाते झारखंड जगुआर के जवान (ईटीवी भारत)

डेमो के जरिए दिखाया नक्सली मुठभेड़ का लाइव नजारा

कार्यक्रम के दौरान जगुआर के जवानों ने डेमो के जरिए नक्सली ऑपरेशन के दौरान एनकाउंटर जैसा लाइव नजारा दिखाया. डेमो में जवानों ने बताया कि किस तरह से जंगल और पहाड़ों में माओवादी ग्रामीणों को उकसाते हैं, जिसके बाद पुलिस बलों की घेराबंदी के लिए जगह-जगह आईईडी लगा दिए जाते हैं. जगुआर के जवानों ने दिखाया कि जवानों के लिए आईईडी की चुनौती से निपटना और बीहड़ों में माओवादियों से लड़ना कितना मुश्किल होता है.

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