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'بچن بابا برسوں سے مسجد کے متولی کا کردار ادا کررہے ہیں - 60 برسوں سے متولی کا اہم کردار ادا کر رہے بچن بابا

گذشتہ 60 برسوں سے وارانسی کی انار والی مسجد میں متولی کا کردار ادا کر کے معاشرے میں بھائی چارے کا مثال پیش کر رہے ہیں بچن بابا۔

'بچن بابا برسوں سے مسجد کے متولی کا کردار ادا کررہے ہیں
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Published : Nov 10, 2019, 5:32 PM IST


ریاست اتر پردیش میں وارانسی ضلع کے چوکھمبا علاقے میں گوپال مندر سے متصل انار والی مسجد کی تقریبا 60 برسوں سے متولی کا اہم کردار ادا کر رہے بچن بابا ملک میں بھائی چارے کا ایک مثال ہیں۔

'بچن بابا برسوں سے مسجد کے متولی کا کردار ادا کررہے ہیں۔ویڈیو

ہندو اکثریت سے گھرا چوکھمبا علاقہ گوپال مندر کے لئے جانا جاتا ہے، لیکن انار والی مسجد گوپال مندر کی دیوار سے متصل ہے، حالانکہ اس مسجد کی تاریخ بھی بہت پرانی ہے،مسجد کے اندر چار درویشوں کے مزارات موجود ہیں، جن میں سید تارا شاہ بابا، میرا شاہ بابا ، انار شہید بابا، چوکھمبا بابا، کے ساتھ جنات بھی یہاں بڑی تعداد میں موجود ہیں ۔ اس مقام کا جتنا احترام مسلم برادری کرتا ہے، اتنا ہی ہندو برادری کے لوگ بھی کرتے ہیں ۔

بیچن بابا مسجد میں چاند کی تاریخ کا بھی خاص خیال رکھتے ہیں اور دیگر اہم ذمہ داری بھی بخوبی ادا کرتے ہیں ۔

اب والد کو ضعیف ہوتے دیکھ بیچن بابا کا بیٹا بھی اپنے والد کے نقش قدم پر چل پڑا ہے وہ بھی مسجد کی دیکھ بھال پوری پابندی سے کرتا ہے ۔


ریاست اتر پردیش میں وارانسی ضلع کے چوکھمبا علاقے میں گوپال مندر سے متصل انار والی مسجد کی تقریبا 60 برسوں سے متولی کا اہم کردار ادا کر رہے بچن بابا ملک میں بھائی چارے کا ایک مثال ہیں۔

'بچن بابا برسوں سے مسجد کے متولی کا کردار ادا کررہے ہیں۔ویڈیو

ہندو اکثریت سے گھرا چوکھمبا علاقہ گوپال مندر کے لئے جانا جاتا ہے، لیکن انار والی مسجد گوپال مندر کی دیوار سے متصل ہے، حالانکہ اس مسجد کی تاریخ بھی بہت پرانی ہے،مسجد کے اندر چار درویشوں کے مزارات موجود ہیں، جن میں سید تارا شاہ بابا، میرا شاہ بابا ، انار شہید بابا، چوکھمبا بابا، کے ساتھ جنات بھی یہاں بڑی تعداد میں موجود ہیں ۔ اس مقام کا جتنا احترام مسلم برادری کرتا ہے، اتنا ہی ہندو برادری کے لوگ بھی کرتے ہیں ۔

بیچن بابا مسجد میں چاند کی تاریخ کا بھی خاص خیال رکھتے ہیں اور دیگر اہم ذمہ داری بھی بخوبی ادا کرتے ہیں ۔

اب والد کو ضعیف ہوتے دیکھ بیچن بابا کا بیٹا بھی اپنے والد کے نقش قدم پر چل پڑا ہے وہ بھی مسجد کی دیکھ بھال پوری پابندی سے کرتا ہے ۔

Intro:नोट विशेष: इस स्टोरी की पैकेजिंग अगर हेड ऑफिस में होगी तो और भी बेहतर होगा।

स्पेशल स्टोरी:

वाराणसी: अयोध्या में विवादित स्थल को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द आने वाला है लेकिन फैसले से पहले देश भर में एक अजब सी बेचैनी है बेचैनी इस बात की यह फैसला किसके पक्ष या विपक्ष में आएगा उसके बाद क्या होगा. इसे लेकर सरकार पूरी तरह से अलर्ट मोड में है और दोनों समुदाय के लोगों को भाईचारे का संदेश देने के लिए हर कोई अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है, लेकिन इन सबके बीच हम आज उस असली तस्वीर को दिखाने जा रहे हैं जो धर्म नगरी वाराणसी की है यह तस्वीर है तो एक मस्जिद की लेकिन यहां पर हिंदू मुस्लिम एकता की एक ऐसी मिसाल है जो शायद देश में कहीं ना देखने को मिले. ऐसा इसलिए इस मस्जिद मैं मितौली की भूमिका में कोई मुस्लिम समुदाय का शख्स नहीं बल्कि एक हिंदू समुदाय का व्यक्ति बीते 60 सालों से मस्जिद की देखरेख और सारे कार्यक्रमों को पूरा कर रहे हैं क्या है इस मस्जिद से जुड़ी हिंदू मुस्लिम एकता की अद्भुत मिसाल जानिए इस खास खबर में.


Body:वीओ-01 वाराणसी की घनी आबादी वाला इलाका चौखंभा जिसे बीजेपी का गढ़ भी कहा जाता है. अग्रवाल, रस्तोगी, गुजराती समेत अन्य अलग-अलग हिंदू समुदाय के लोगों से घिरा यह इलाका यहां मौजूद गोपाल मंदिर के लिए जाना जाता है, लेकिन गोपाल मंदिर की दीवार से सटी है अनार वाली मस्जिद. इस मस्जिद का इतिहास भी काफी पुराना है मस्जिद के अंदर चार दुर्वेश है, जिनमें सैयद तारा शाह बाबा, मीरा शाह बाबा, अनार शहीद बाबा, चौखंबा बाबा के साथ 24 जिन्नात और 41 कुतुब के अलावा जिन्नातों का खेड़ा भी यहां मौजूद है. इस पवित्र स्थान पर जितनी शिद्दत से मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत करते हैं, उतना ही हिंदुओं का भी जुड़ाव यहां से है, लेकिन इन सबसे अलग सबसे चौंकाने वाली बात है इस मस्जिद की देखरेख किसी मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू के हाथों में हैं. मस्जिद के मुख्य द्वार पर ही प्लास्टिक लगाकर टीन शेड में अपना जीवन बिताने वाले बेचन बाबा 60 सालों से इस मस्जिद में हिंदू होने के बाद भी मुतवल्ली की भूमिका में हैं. यदुवंशी समाज में जन्मे बेचन बाबा ने पिता को देखकर इस मस्जिद में देखरेख का काम शुरू किया और घर द्वार छोड़कर मस्जिद के मेन गेट पर ही अपना जीवन बिताना शुरू कर दिया. मस्जिद से कुछ दूर पर उनके दो बेटे चाय की दुकान चलाते हैं और वह भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चल कर हिंदू होने के बाद भी मस्जिद की पूरी तरह से देखरेख करते हैं. तीन पीढ़ियों से बेचन बाबा यहां सेवा दे रहे हैं यहां होने वाले और चांद की तारीख और अन्य मुख्य आयोजनों की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधे पर होती है जिसे यह बखूबी निभाते हैं.

बाईट- बेचन बाबा, मस्जिद के मुतवल्ली
बाईट- अब्दुल कलाम, अकीदतमंद
बाईट- निजामुद्दीन, मस्जिद में आजान देने वाले
बाईट- बंटी यादव, बेचन बाबा का बेटा


Conclusion:वीओ-02 घनी आबादी वाली हिंदू बस्ती में इस मस्जिद का होना और मस्जिद में बतौर मुतवल्ली किसी मुस्लिम की जगह हिंदू का सेवा देना निश्चित तौर पर हर किसी को चौंका देगा, लेकिन 60 वर्षों से बेचन बाबा इस भूमिका को बखूबी निभा रहे हैं और मुस्लिम समुदाय के लोग भी यहां आने के बाद उनकी बातों को मानते हैं. इनका कहना है कि यह सब सिर्फ कही सुनी बातें हैं कि हिंदू मुस्लिम में एकता नहीं है बनारस का यह पवित्र स्थान इतना बड़ा संदेश दे रहा है कि सब एक हैं और फैसला अयोध्या को लेकर जो भी आए लेकिन बस यही संदेश है कि चाहे मंदिर बने या मस्जिद है दोनों इबादत का स्थान, इसलिए फैसले का स्वागत सभी को करना चाहिए ताकि देश में अमन चैन कायम रहे.

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