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غیرملکی 'ڈریگن پھل' کی کاشت سب سے منفرد کیوں ہے؟

ویسے تو آپ نے بہت سارے پھلوں کے بارے میں سنا ہوگا اور ان کا ذائقہ  بھی چکھا ہوگا لیکن ان دنوں پرلکوٹ ضلع میں ایک غیر ملکی پھل بحث کا موضوع بنا ہوا ہے۔

غیرملکی 'ڈریگن پھل' کی کاشت سب سے منفرد کیوں ہے؟
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Published : Aug 27, 2019, 3:23 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 11:33 AM IST

ریاست چھتیس گڑھ کے ضلع گملہ کے پرلکوٹ میں ایک کسان نے تھائی لینڈ میں پائے جانے والے ڈریگن پھلوں کی کاشت شروع کی ہے، پالکوٹ کے ہی 122 ڈسمل میں ودھت منڈل نامی کسان نے تقریباً 2 سال قبل ڈریگن پھل کاشت شروع کی تھی، جس کے اب پھل آنے شروع ہو گئے ہیں۔

غیرملکی 'ڈریگن پھل' کی کاشت سب سے منفرد کیوں ہے؟

دراصل اس پھل کی قیمت بازار میں 600 سے 800 روپے کلو تک کی ہے، ہم نے اس پھل کے سلسلے میں معلوم کرنے کی کوشش کی کہ یہ غیر ملکی پھل کی کاشتکاری کیسے کی گئی اور اس سے متعلق کسان کو اس پھل کے بارے میں کب ذہن میں آیا۔کسان ودھت منڈل نے بتایا کہ وہ دو برس قبل بنگلہ دیش اپنے رشتہ دار کے یہاں گئے تھے، جہاں ان کی نظر تھائی لینڈ میں پائے جانے والے ڈریگن پھل پر پڑی۔

جس کے بعد اس نے اس سلسلے میں معلومات حاصل کی اور اپنے علاقے میں اس کی کاشت کرنے کے بارے میں سوچا اور واپس آنے کے بعد اس نے اپنی 30 ڈسملز زمین پر اس کی کاشت شروع کی۔ جس کا پہلا فصل آنے میں تقریباً دو برس لگتا ہے۔

وہیں کاشت کاری کے دو برس مکمل ہونے کے بعد کسان کافی خوش ہے۔

اس کاشت کی مزید معلومات کے لیے ہم نے زرعی سائنس داں جیون لال ناگ سے بات کی۔

انہوں نے بتایا کہ یہ کیکٹس کی طرح کانٹےدار ہوتی ہے۔اور اس کی کاشت کاری کسی بھی زمین پر کی جاسکتی ہے۔ اور 50 فیصد بارش اس فصل کے لیے کافی ہے۔

ریاست چھتیس گڑھ کے ضلع گملہ کے پرلکوٹ میں ایک کسان نے تھائی لینڈ میں پائے جانے والے ڈریگن پھلوں کی کاشت شروع کی ہے، پالکوٹ کے ہی 122 ڈسمل میں ودھت منڈل نامی کسان نے تقریباً 2 سال قبل ڈریگن پھل کاشت شروع کی تھی، جس کے اب پھل آنے شروع ہو گئے ہیں۔

غیرملکی 'ڈریگن پھل' کی کاشت سب سے منفرد کیوں ہے؟

دراصل اس پھل کی قیمت بازار میں 600 سے 800 روپے کلو تک کی ہے، ہم نے اس پھل کے سلسلے میں معلوم کرنے کی کوشش کی کہ یہ غیر ملکی پھل کی کاشتکاری کیسے کی گئی اور اس سے متعلق کسان کو اس پھل کے بارے میں کب ذہن میں آیا۔کسان ودھت منڈل نے بتایا کہ وہ دو برس قبل بنگلہ دیش اپنے رشتہ دار کے یہاں گئے تھے، جہاں ان کی نظر تھائی لینڈ میں پائے جانے والے ڈریگن پھل پر پڑی۔

جس کے بعد اس نے اس سلسلے میں معلومات حاصل کی اور اپنے علاقے میں اس کی کاشت کرنے کے بارے میں سوچا اور واپس آنے کے بعد اس نے اپنی 30 ڈسملز زمین پر اس کی کاشت شروع کی۔ جس کا پہلا فصل آنے میں تقریباً دو برس لگتا ہے۔

وہیں کاشت کاری کے دو برس مکمل ہونے کے بعد کسان کافی خوش ہے۔

اس کاشت کی مزید معلومات کے لیے ہم نے زرعی سائنس داں جیون لال ناگ سے بات کی۔

انہوں نے بتایا کہ یہ کیکٹس کی طرح کانٹےدار ہوتی ہے۔اور اس کی کاشت کاری کسی بھی زمین پر کی جاسکتی ہے۔ اور 50 فیصد بارش اس فصل کے لیے کافی ہے۔

Intro:कांकेर- वैसे तो आपने कई फल के बारे में सुना होगा और स्वाद भी चखा होगा लेकिन इन दिनों जिले के परलकोट में एक विदेशी फल चर्चा का विषय बना हुआ है , हम बात कर रहे है ड्रैगन फ्रूट की । परलकोट क्षेत्र के एक किसान ने थाईलैंड में मूल रूप से पाए जाने वाले ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है , परलकोट के पी व्ही 122 में किसान विधुत मण्डल ने ड्रेगन फ्रूट की खेती लगभग 2 साल पहले की थी जिसके फल आने शुरू हो गए है, बता दे कि इस फल की कीमत बाज़ार में 600 से 800 रुपये किलो तक है। Body:जिले के परलकोट ने आखिर ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे पहुची इसके बारे में हमने पड़ताल की , किसान विधुत मण्डल लगभग 2 साल पहले अपने किसी परिचित से मिलने बांग्लादेश गए हुए थे , जहां उनकी नज़र थाईलैंड से आयात होने वाले ड्रैगन फ्रूट पर पड़ी, जिसके बाद उन्होंने इसके बारे में जानकारी जुटाई और अपने क्षेत्र में इसकी खेती के बारे में सोचा , वापस लौटने के बाद उन्होंने अपनी 30 डिसमिल जमीन पर इसकी खेती शुरू की , जिसका पहला फसल आने में लगभग 2 साल का समय लगा, अब इसमें फल आने शुरू हो गए है ,जिससे किसान विधुत मण्डल काफी खुश है ,इस फल की फसल आने में समय जरूर ज्यादा लगता है लेकिन यह कम मेहनत और कम लागत में तैयार हो जाती है , इसके बारे में हमने कृषि वैज्ञानिक जीवन लाल नाग से भी बात जिन्होंने इसके फायदे और इसकी फसल तैयार करने के बारे ने विस्तार से बताया
उन्होने बताया कि यह कैक्टस की तरह कांटेदार इसकी पोलकी होती है ,इसकी पौष्टिकता अन्य फलों से बहुत ज्यादा होती है , इसकी खेती किसी भी जलवायु में आसानी से की जा सकती है , 50 प्रतिशत बारिश इसके फ़सल के लिए पर्याप्त होती है ,उन्होंने बताया कि इसमें आयरन , कार्बोहाइड्रेट ज्यादा पाया जाता है वसा की मात्रा होती है , इसे सुगर के मरीज़ों , खून की कमी , कुपोषित बच्चो के लिए अच्छा होता है । इसके फसल के लिए 20 से 30 तापमान होना चाहिए । इसकी पहली फसल में लगभग 2 साल का समय लग जाता है।

आम और अमरूद से ज्यादा लाभ दायक
जीवन लाल नाग ने कहा कि हमारे यहां लोग आम और अमरूद जैसे फलो को ज्यादा पंसद करते है लेकिन ड्रैगन फ्रूट ज्यादा लाभ दायक है , उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में कुछ जगहों पर ही किसान इसकी खेती कर रहे है जिसमे जिले का परलकोट भी शामिल है जिसमे एक या दो किसान ही इसकी खेती कर रहे है । इसकी बाज़ार मूल्य जो कि 600 से 800 रुपये किलो तक है यह किसानों की आर्थिक स्तिथि मजबूत कर सकता है ।Conclusion:एक एकड़ में 10 लाख तक कि कमाई
किसान विधुत मण्डल बताते है इस ड्रैगन फ्रूट की फसल एक एकड़ में लगाने से 10 लाख तक की कमाई हो सकती है , और इसमें खर्च मात्र 2 लाख तक आता है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अभी 30 डिसमिल में इसकी खेती की है , और 600 रुपये किलो में इसके फल बेच रहे हैं ।


बाइट- विधुत मण्डल किसान

जीवन लाल नाग कृषि वैज्ञानिक
Last Updated : Sep 28, 2019, 11:33 AM IST

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