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ہینڈلوم میں پانی پت چین کو بھی مات دے رہا ہے

پانی پت کے صنعت کاروں نے پانی کے تحفظ، آلوگی کو کم کرنے اور ملک کی معیشت کو مستحکم کرنے کی جانب ایک بڑا قدم اٹھایا ہے۔

ہینڈلوم میں پانی پت
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Published : Jun 27, 2019, 2:09 PM IST

پانی پت کے صنعت کاروں نے پہلی مرتبہ ریسائیکلنگ کے ذریعے بھارت میں چینی کمبل کی مانگ کو بالکل کم کردیا ہے اور اب تو یہ کہ پانی پت کے کمبل چین بھی درآمد کرنے لگا ہے۔

ہینڈلوم میں پانی پت

پانی پت کے صنعت کار اور انڈین چیمبر آف کانفرنس کے سابق سربراہ پریتم سچدیو کا کہنا ہے کہ 'پانی پت کی ریسائیکلنگ صنعت اول نمبر پر ہے۔

ان کا کہنا ہے کہ اس کی شروعات یوروپی ممالک سے ہوتی ہے جہاں ایک بار کپڑا پہننے کے بعد ڈرائی کلین کرانا بہت مہنگا پڑتا ہے اس لیے رد کیا گیا کپڑا گجرات کے کانڈلا بندرگاہ پرلایا جاتا ہے اور وہاں سے اس کی چھٹائی کی جاتی ہے۔ اور پھر وہاں سے مختلف ری سائیکلنگ کمپنیاں اس کا الگ الگ استعمال کرتی ہیں۔

پانی پت کے صنعت کاروں نے پہلی مرتبہ ریسائیکلنگ کے ذریعے بھارت میں چینی کمبل کی مانگ کو بالکل کم کردیا ہے اور اب تو یہ کہ پانی پت کے کمبل چین بھی درآمد کرنے لگا ہے۔

ہینڈلوم میں پانی پت

پانی پت کے صنعت کار اور انڈین چیمبر آف کانفرنس کے سابق سربراہ پریتم سچدیو کا کہنا ہے کہ 'پانی پت کی ریسائیکلنگ صنعت اول نمبر پر ہے۔

ان کا کہنا ہے کہ اس کی شروعات یوروپی ممالک سے ہوتی ہے جہاں ایک بار کپڑا پہننے کے بعد ڈرائی کلین کرانا بہت مہنگا پڑتا ہے اس لیے رد کیا گیا کپڑا گجرات کے کانڈلا بندرگاہ پرلایا جاتا ہے اور وہاں سے اس کی چھٹائی کی جاتی ہے۔ اور پھر وہاں سے مختلف ری سائیکلنگ کمپنیاں اس کا الگ الگ استعمال کرتی ہیں۔

Intro:
--पूरे विश्व में हैंडलूम की इंडस्ट्री के नाम से हैं प्रसिद्ध,अब रीसायकल इंडस्ट्रीज में विश्व में नंबर वन

रीसाइक्लिंग से पानीपत के उद्योगपतियों ने चाइना के कंबल को पूर्ण रूप से किया धराशाही बलिक अब पानीपत से जाने लगा हैं कंबल चाइना में

रीसायकल से अलग-अलग रंग के निकल रहे हैं धागे , बनते हैं नेचुरल रंग के धागे और होता हैं पानी ,पर्यावरण व् आर्थिक बचत का बचाव

नेचुरल रंग के धागे बनने से नहीं होता हैं डाई केमिकल का प्रयोग

रीसायकल से बनने वाले धागे से बनते हैं बाथमेट , दरिया , परदे , कारपेट व् चदरे, इनसे निकलने वाली वेस्टेज का भी हो रहा हैं रीसायकल ,बन रहे हैं टेंट हाउस में प्रयोग होने वाले गुद्ऱ ,इनका भी होता हैं रीसायकल और बनते हैं कम्बल व जुट की रस्सी

पानीपत में पूर्ण रूप से रिसाइकल कर धागा बना रही हैं लगभग 60 उद्योगिक इकाइयां , लगभग 6 से 7000 करोड़ का हो रहा हैं रीसायकल

यूरोप के सभी देशो से जैसे की जर्मनी ,बेल्जिम ,स्पेन ,यूनाइटेड किंगडम ,फ़्रांस ,नीदरलैंड व् तुर्की से आ रही हैं वेस्टेज

दूसरे देशो में रीसायकल इंडस्ट्री को सरकार दे रही हैं सहयता भारत सरकार नहीं


एंकर -पानीपत जहां पूरे विश्व में हैंडलूम की इंडस्ट्री के नाम से प्रसिद्ध हैं लेकिन अब पानीपत की तस्वीर और तकदीर बदल रही है जिसका श्रेय पानीपत के उद्योगपतियों को जाता हैं। अब पानीपत रीसायकल इंडस्ट्रीज में विश्व में नंबर वन बन चुका हैं। पानीपत के उद्योगपतियों ने रीसायकल से न केवल लोगों के घरों के ड्राइंग रूम को सजाया है वही पानी ,प्रदूषण व् आर्थिक बचत को भी बचाया हैं। पानीपत के उद्योगपति ने रीसायकल इंडस्ट्रीज से भारत की अर्थवयवस्था को मजबूत किया हैं। पानीपत रीसायकल में विश्व में नंबर वन बनने से बड़े खुश नजर आ रहे हैं। रीसाइक्लिंग से पहली बार पानीपत के उद्योगपतियों ने भारत में चाइना के कंबल को पूर्ण रूप से धराशाही कर दिया हैं बलिक अब पानीपत से कंबल चाइना में जाने लगा हैं।

Body:वीओ -पानीपत रीसायकल इंडस्ट्रीज में विश्व में नंबर वन बन चुका हैं। पानीपत के प्रसिद्ध उद्योगपति व पूर्व प्रधान इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स प्रीतम सचदेवा ने बताया कि आज पानीपत की इंडस्ट्रीज रीसायकल में नंबर वन हैं। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत यूरोप के देशों से होती है जहां एक बार कपड़ा पहनने के बाद ड्राई क्लीन करवाना बहुत महंगा होता हैं। इसलिए वेस्टेज कपड़ा गुजरात के कांधला पोर्ट पर लाया जाता है और वहां कपड़ों की छटाई होती हैं। उसमें से रीसायकल करने वाले कपड़े को कटिंग कर पानीपत की इंडस्ट्रीज में भेज दिया जाता हैं। इस वेस्टेज कपडे को रीसायकल कर अलग-अलग रंग के धागे बनते हैं। इससे पानी की भी काफी बचत होती हैं।उन्होंने बताया कि 1 किलो धागे में 200 लीटर पानी का प्रयोग होता है लेकिन इस रीसायकल से अलग-अलग कलर के धागे निकल रहे हैं जिससे नेचुरल कलर के धागे बनते हैं इससे पानी व् पर्यावरण का बचाव हो रहा है

वीओ -उन्होंने बताया कि रीसायकल से बनने वाले धागे से बाथमेट , दरिया , परदे व् कारपेट बनते हैं। इन सब से भी निकलने वाली वेस्टेज से गुदर बनता है जो कि टेंट हाउस को प्रयोग में लाते हैं और बाद में इसी गुद्ऱ को रीसायकल कर कमबल बनाया जाता हैं जोकि पहले चीन से यही कंबल 350 रूपये में आता था अब हम 150 रूपये में बनाकर चीन भेज रहे हैं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि हैं।

वीओ -उन्होंने बताया कि पानीपत में पूर्ण रूप से लगभग 60 उद्योगिक इकाइयां रिसाइकल कर धागा बना रही हैं। पानीपत में लगभग 6 से 7000 करोड़ का रीसायकल हो रहा हैं। उन्होंने बताया की यूरोप के सभी देशो से जैसे की जर्मनी ,बेल्जिम ,स्पेन ,यूनाइटेड किंगडम ,फ़्रांस ,नीदरलैंड व् तुर्की से वेस्टेज आ रही हैं। लेकिन दूसरे देशो में रीसायकल इंडस्ट्री को सरकार सहयता करती हैं लेकिन भारत की सरकार ने अभी हमे कोई भी सहयता नहीं दी हैं
वीओ - उद्योगपति मुकेश ने बताया कि रीसायकल से डाई केमिकल का प्रयोग में नहीं होता है और पर्यावरण के साथ साथ आर्थिक बचत को भी बचाया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि अलग-अलग कलर के वेस्टीज को छांट कर अलग अलग रंग के धागे बनते हैं।
वीओ -उद्योगपति धनराज बंसल ने कहा कि पिछले 15 सालों से उद्योगपति वेस्टेज कपडे को रीसायकल कर धागा बना रहे हैं और इस धागे की सहायता से एक्सपोर्ट कर रहे हैं और अब तो लोकल बाजारों में भी प्रयोग होने लग गया हैं। उन्होंने कहा कि करनाल बाईपास में जो नेपकिनबिकते हैं इसी रीसायकल धागे से बनते हैं।
वीओ -उधर 45 सालों से निर्यात कर रहे व्यापारी पुरुषोत्तम शर्मा कहना है कि हमने कभी नहीं सोचा था कि रीसायकल से धागा बनेगा लेकिन पानीपत के उद्योगपतियों ने कर दिखाया और आज पूरे विश्व में पानीपत रीसायकल इंडस्ट्री में नंबर 1 बन चूका हैं।

Conclusion:बाइट - प्रीतम सचदेवा उद्योगपति पूर्व प्रधान इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स पानीपत
बाइट - मुकेश उद्योगपति
बाइट - धनराज बंसल उद्योगपति
बाइट - पुरषोतम शर्मा एक्सपोर्टर
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