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چمکی بخار پر ایمس کی تحقیق، حکومت بہار پر اٹھے سوال

ریاست بہار کے ضلع مظفر پور میں گزشتہ دنوں مہلک چمکی بخار کے سبب 154 بچوں کی ناگہانی موت پورے ملک کے لیے تشویش کا موضوع بن گیا تھا ، اسی بابت ایمس کی ایک ٹیم نے اس پر تحقیق کی۔

چمکی بخار پر ایمس کی تحقیق، حکومت بہار پر اٹھا سوال
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Published : Jul 3, 2019, 3:36 PM IST

چمکی بخار سے ہوئی 154 بچوں کی موت کا واقعہ ایک المناک حادثے سے کم نہ تھا، ایمس کی تحقیق کے مطابق متاثٔر بچوں کی موت کی وجہ ٹھیک سے علاج نہ ملنا اور مقامی ہسپتال میں بہتر سہولیات کی عدم فراہمی تھی۔

چمکی بخار پر ایمس کی تحقیق

ساتھ ہی رپورٹ میں یہ بھی پایا گیا کہ مرنے والے بچوں میں اکثر بچےقلت غذائیت کے بھی شکار تھے، ایسے میں ریاستی حکومت کے لئے یہ بیحد تشویش کا موضوع ہے۔

رپورٹ کے مطابق ہسپتال انتظامیہ کی بھی کمی بتائی گئی ہے کہ جب ہسپتال میں حسب ضرورت سہولیات دستیاب نہیں تھیں تو کیوں بچوں کو علاج کے لیے داخل کرایا گیا۔
ایمس کی تحقیقی ٹیم نے مستقبل میں اس طرح کی ہونے والی بیماریوں کو لیکر ریاستی حکومت اور ہسپتال انتظامیہ کو بطور تنبیہ آگاہ کر دیا ہے کہ وہ لوگوں کو بہتر سے بہتر سہولیات فراہم کریں۔

چمکی بخار سے ہوئی 154 بچوں کی موت کا واقعہ ایک المناک حادثے سے کم نہ تھا، ایمس کی تحقیق کے مطابق متاثٔر بچوں کی موت کی وجہ ٹھیک سے علاج نہ ملنا اور مقامی ہسپتال میں بہتر سہولیات کی عدم فراہمی تھی۔

چمکی بخار پر ایمس کی تحقیق

ساتھ ہی رپورٹ میں یہ بھی پایا گیا کہ مرنے والے بچوں میں اکثر بچےقلت غذائیت کے بھی شکار تھے، ایسے میں ریاستی حکومت کے لئے یہ بیحد تشویش کا موضوع ہے۔

رپورٹ کے مطابق ہسپتال انتظامیہ کی بھی کمی بتائی گئی ہے کہ جب ہسپتال میں حسب ضرورت سہولیات دستیاب نہیں تھیں تو کیوں بچوں کو علاج کے لیے داخل کرایا گیا۔
ایمس کی تحقیقی ٹیم نے مستقبل میں اس طرح کی ہونے والی بیماریوں کو لیکر ریاستی حکومت اور ہسپتال انتظامیہ کو بطور تنبیہ آگاہ کر دیا ہے کہ وہ لوگوں کو بہتر سے بہتر سہولیات فراہم کریں۔

Intro:चमकी बुखार पर एम्स की रिसर्च, राज्य सरकार और प्रशासन की लापरवाही आई सामने

दक्षिणी दिल्ली: बिहार के मुज्जफरपुर में चमकी बुखार के चलते जहां 154 बच्चों की मौत की मामला पूरे देश के लिए चिंता का विषय बन गया था.वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली की एक टीम ने इस पर रिसर्च की.और यह रिसर्च अब सामने आ चुकी है. इस रिसर्च में डॉक्टरों का कहना है कि 154 बच्चों की मौत का जिम्मेदार ठीक तरह से उपचार ना मिलना और अस्पताल में बेहतर सुविधाएं ना होना था.


Body:आपको बता दें कि रिपोर्ट में यह कहा गया है कि एईएस के लक्षण परिजनों को रात में मालूम चले थे. लेकिन वह सुबह अस्पताल लेकर गए जिसके चलते यह बीमारी उनके शरीर में पूरी तरीके से फैल गई और वह मौत में तब्दील हुई. उन्होंने अपने रिसर्च में यह भी पाया कि जो बच्चे मौत के शिकार हुए वह कुपोषण के शिकार थे. ऐसे में राज्य के लिए यह बेहद चिंता का विषय है कि अभी लोग कुपोषण के शिकार हो रहे हैं और ठीक तरह से खाना न मिल पाने की वजह से ऐसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.

अस्पताल प्रशासन पर भी उठाए सवाल
आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल में इक्विपमेंट सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधा देने में सक्षम नहीं था. उसके बावजूद मरीजों को वहां पर भर्ती कराया गया. उन्होंने रिसर्च में यह भी पाया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों को देखा जाता है. और वहां इतने मरीजो के लायक न तो उपकरण हैं और न ही डॉक्टर.इसलिए अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते भी बच्चों और उनके परिजनों को इस दुख की घड़ी का सामना करना पड़ा.


Conclusion:फिलहाल इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आगामी दिनों में इस तरीके की स्थिति ना बने इसलिए राज्य सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चिंतित हो और उचित कदम उठाएं.
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