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جئے پور میں کسانوں کا منفرد ستیہ گرہ

ریاست راجستھان میں کسان اپنی زمین بچانے کے لیے سردی کی سرد راتوں میں 'زمین سمادھی ستیہ گرہ' شروع کیا ہے۔ کسان زیر زمین سینے تک دفن ہوکر اپنا احتجاج کر رہے ہیں۔

Unique farmers protest in Jaipur
جئے پور میں کسانوں کا منفرد ستیہ گرہ
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Published : Jan 8, 2020, 12:58 PM IST

جئے پور کے چومو علاقے میں نیندڑ آواسی یوجنا کو لے کر کسانوں نے احتجاج شروع کیا ہے۔ رات گئے تک، مزید چار کسانوں نے زمین پر گڈھا کھود کر سمادھی لی ہے۔ نیز گاؤں کی خواتین بھی سمادھی کے مقام پر بیٹھ کر اپنا احتجاج درج کرا رہی ہیں۔

جے پور میں 2 سال بعد نیندڑ گاؤں کے کسانوں نے اپنی زمین کو بچانے کے لئے زمین کی سمادھی لینی شروع کی ہے۔ منگل کی صبح کسانوں نے احتجاج کے طور پر یہ سمادھی ستیہ گرہ شروع کیا ہے۔

یہ مظاہرہ ناگیندر سنگھ شیکھاوت کی سربراہی میں کیا جارہا ہے۔ جہاں ناگیندر سنگھ نے صبح کو سمادھی لی، پھر دیر رات تک مزید چار کسانوں نے زمین میں سمادھی لی ہے۔

جئے پور میں کسانوں کا منفرد ستیہ گرہ

صرف یہی نہیں گاؤں کی خواتین اور بچے بھی اس جگہ پہنچ گئے ہیں۔ اس بارے میں گاؤں کی خواتین کا کہنا ہے کہ جب تک ہماری زمین پر حکومت فیصلہ نہیں کرتی ہے پورا گاؤں اپنے حقوق کے لیے لڑے گا۔

دراصل بی جے پی حکومت کے دوران یہ تحریک کسانوں نے کی تھی اور حکومت نے یقین دہانی کرائی تھی کہ ان کی زمین کا فیصلہ کیا جائے گا جس کے بعد یہ تحریک ختم ہوگئی۔ لیکن 2 سال گزرنے کے باوجود بھی اس زمین کے بارے میں کوئی کارروائی نہیں کی گئی تو کسان ایک بار پھر احتجاج پر اتر آئے۔

جئے پور کے چومو علاقے میں نیندڑ آواسی یوجنا کو لے کر کسانوں نے احتجاج شروع کیا ہے۔ رات گئے تک، مزید چار کسانوں نے زمین پر گڈھا کھود کر سمادھی لی ہے۔ نیز گاؤں کی خواتین بھی سمادھی کے مقام پر بیٹھ کر اپنا احتجاج درج کرا رہی ہیں۔

جے پور میں 2 سال بعد نیندڑ گاؤں کے کسانوں نے اپنی زمین کو بچانے کے لئے زمین کی سمادھی لینی شروع کی ہے۔ منگل کی صبح کسانوں نے احتجاج کے طور پر یہ سمادھی ستیہ گرہ شروع کیا ہے۔

یہ مظاہرہ ناگیندر سنگھ شیکھاوت کی سربراہی میں کیا جارہا ہے۔ جہاں ناگیندر سنگھ نے صبح کو سمادھی لی، پھر دیر رات تک مزید چار کسانوں نے زمین میں سمادھی لی ہے۔

جئے پور میں کسانوں کا منفرد ستیہ گرہ

صرف یہی نہیں گاؤں کی خواتین اور بچے بھی اس جگہ پہنچ گئے ہیں۔ اس بارے میں گاؤں کی خواتین کا کہنا ہے کہ جب تک ہماری زمین پر حکومت فیصلہ نہیں کرتی ہے پورا گاؤں اپنے حقوق کے لیے لڑے گا۔

دراصل بی جے پی حکومت کے دوران یہ تحریک کسانوں نے کی تھی اور حکومت نے یقین دہانی کرائی تھی کہ ان کی زمین کا فیصلہ کیا جائے گا جس کے بعد یہ تحریک ختم ہوگئی۔ لیکن 2 سال گزرنے کے باوجود بھی اس زمین کے بارے میں کوئی کارروائی نہیں کی گئی تو کسان ایک بار پھر احتجاج پر اتر آئے۔

Intro:चौमूं
एंकर-पूरे प्रदेश में जहां कड़कड़ाती कड़ाके की ठंड में लोगो का जनजीवन प्रभवित हो रहा है।ठंड के चलते रात के समय लोगो घरों में जाकर लोग दुबक जाते है।और अलाव का सहारा लेकर ठंड से बचने की कोशिश करते हैं। वही राजधानी जयपुर के हरमाड़ा इलाके के नींदड़ गांव के किसान अपनी जमीन बचाने के लिए खुले आसमां के नीचे जमीन में गड्ढा खोदकर जमीन में गर्दन तक शरीर को दफन कर बैठे हैं।

Body:यहाँ के किसनो ने अपनी जमीन बचाने के लिए जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू कर दिया है। किसानों ने एक बार फिर जयपुर विकास प्राधिकरण की कार्रवाई के विरोध में किसानों ने जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू कर दिया है. जेडीए की भूमि अवाप्ति के खिलाफ शुरू हुए इस सत्याग्रह की अगुवाई नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के बैनर तले डॉ नगेंद्र सिंह शेखावत कर रहे हैं। उनका कहना है कि नींदड़ में अवाप्ति की जमीन पर जेडीए कॉलोनी काट रहा है लेकिन इस संबंध में किसानों से कोई बातचीत नहीं की गई। बिना बातचीत के ही जमीन पर कब्जा शुरू कर दिया गया।इसी वजह से एक बार फिर उन्हें आंदोलन की राह अपनानी पड़ी।हम आपको बता दे कुल पांच लोगों ने जमीन समाधि लगाकर विरोध शुरू किया है।वही रात को भी सेंकडो की संख्या में लोग धरने पर बैठे है।वही गांव की महिलाएं भी इस धरने में शामिल है।किसान
जमीन में गड्‌ढ़ा खोदकर गर्दन से नीचे तक का हिस्सा दफन कर अपना विरोध जता रहे हैं। इसकी शुरुआत नगेंद्र सिंह ने जमीन समाधि लेकर की है वही मंगलवार देर शाम को नगेंद्र शेखावत सहित चार लोग और जमीन समाधि सत्याग्रह पर बैठ गए हैं।समिति के संयोजक नगेन्द्र का कहना है यदि मांग नही मानी जाती है तो धीरे धीरे नींदड़ गांव के किसान पिछली बार की तरह समाधि लेंगे।गौरलतब है की वर्ष 2017 में भी नींदड़ के किसानों का ये सत्याग्रह चर्चा में रहा था।उस समय सरकार ने आश्वाशन दिया तो आंदोलन समाप्त कर दिया गया था। लेकिन किसानों को अब तक उनका हक नहीं मिला और जेडीए उनकी मांगे पूरी करने के वादे से मुकर गया। किसानों का आरोप है कि जेडीए प्रशासन ने नींदड़ आवासीय योजना का काम तो शुरू कर दिया लेकिन इसके लिए किसानों से किसी तरह की बातचीत नहीं की।आपको याद दिला दे वर्ष 2017 में किसान 44 दिन तक जमीन समाधि सत्याग्रह पर बैठे रहे और दिवाली के दीपक भी समाधि स्थल पर ही जलाए गए थे।आंदोलन कर रहे नगेन्द्र शेखावत ने कहा की दिन में जब आंदोलन शुरू हुआ था तो JDA और पुलिस के अधिकारी मौके पर आए थे लेकिन उसके बाद किसी ने सुध नही ली है।अब नींदड़ गांव के किसान अपनी जमीन बचाने के लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठें है।

बाइट नगेन्द्र सिंह शेखावत,संयोजक,समिति
जयपुर से रामकृष्ण की रिपोर्ट Conclusion:
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