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آر ٹی آئی بل میں تبدیلی کے خلاف احتجاج

قومی دار الحکومت دہلی میں واقع جنتر منتر پر آج آر ٹی آئی قانون میں تبدیلی کے خلاف آر ٹی آئی کارکنان نے احتجاج کیا۔

آر ٹی آئی بل میں تبدیلی کے خلاف احتجاج
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Published : Jul 25, 2019, 9:10 PM IST

کارکنان کا الزام ہے کہ اس بل میں حکومت کی جانب سے معلومات کمیشن کے حقوق کم کرنے کی کوشش کی جا رہی ہے۔

آر ٹی آئی بل میں تبدیلی کے خلاف احتجاج

ان کا الزام ہے کہ حکومت اس بل کے ذریعے آر ٹی آئی قانون کو پوری طرح سے کمزور کرنا چاہتی ہے۔ احتجاج کرنے والوں کا کہنا تھا کہ حکومت کی جانب سے پیش کیے گئے اس بل میں تبدیلی سے اس کی شفافیت میں فرق آئے گا۔

آر ٹی آئی کارکن لوکیش بترا نے ای ٹی بھارت کو بتایا کہ حکومت کا کہنا ہے کہ معلومات کمیشن ایک قانونی ادارہ ہے۔ جبکہ الکشن کمیشن ایک آئینی ادارہ ہے۔ اس لیے دونوں کو برابری کا درجہ نہیں دیا جا سکتا ہے۔

انہوں نے کہا کہ سنہ 2014 میں اس ایکٹ میں تبدیلی کی شروعات حکومت کی جانب سے جلد بازی میں لیا گیا فیصلہ تھا۔

خیال رہے کہ تمام مخالفت کے بعد آر ٹی آئی تبدیلی بل لوک سبھا میں پاس ہو چکا ہے۔ اب اسے راجیہ سبھا میں پاس ہونا ہے۔

کارکنان کا الزام ہے کہ اس بل میں حکومت کی جانب سے معلومات کمیشن کے حقوق کم کرنے کی کوشش کی جا رہی ہے۔

آر ٹی آئی بل میں تبدیلی کے خلاف احتجاج

ان کا الزام ہے کہ حکومت اس بل کے ذریعے آر ٹی آئی قانون کو پوری طرح سے کمزور کرنا چاہتی ہے۔ احتجاج کرنے والوں کا کہنا تھا کہ حکومت کی جانب سے پیش کیے گئے اس بل میں تبدیلی سے اس کی شفافیت میں فرق آئے گا۔

آر ٹی آئی کارکن لوکیش بترا نے ای ٹی بھارت کو بتایا کہ حکومت کا کہنا ہے کہ معلومات کمیشن ایک قانونی ادارہ ہے۔ جبکہ الکشن کمیشن ایک آئینی ادارہ ہے۔ اس لیے دونوں کو برابری کا درجہ نہیں دیا جا سکتا ہے۔

انہوں نے کہا کہ سنہ 2014 میں اس ایکٹ میں تبدیلی کی شروعات حکومت کی جانب سے جلد بازی میں لیا گیا فیصلہ تھا۔

خیال رہے کہ تمام مخالفت کے بعد آر ٹی آئی تبدیلی بل لوک سبھا میں پاس ہو چکا ہے۔ اب اسے راجیہ سبھا میں پاس ہونا ہے۔

Intro:नई दिल्ली. सूचना का अधिकार कानून में बदलाव करने जा रहे केंद्र सरकार से एक बड़ा तबका खासे नाराज है. उनका मानना है कि आरटीआई एक्ट में संशोधन से लोगों को बड़ी मुश्किल से मिला सूचना का अधिकार कमजोर हो जाएगा.


Body:आरटीआई कानून में बदलाव के विरोध में आज जंतर मंतर पर काफी कार्यकर्ता पहुंचे और सरकार द्वारा की जा रही इस कोशिश के खिलाफ प्रदर्शन किया. उनका आरोप है कि इस विधेयक में सूचना आयोगों का अधिकार कम करने का प्रयास किया गया है. सरकार इस संशोधन के माध्यम से आरटीआई कानून को पूरी तरह से कमजोर करना चाहती है. विरोध प्रदर्शन करने वालों का कहना था कि सरकार द्वारा सूचना का अधिकार कानून में प्रस्तावित संशोधन से इस पारदर्शिता पैनल की स्वायत्तता से समझौता होगा. क्योंकि उसे कार्यपालिका का अधिनस्थ बना देगा.

ईटीवी भारत से बातचीत में आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर (सेवानिवृत्त) लोकेश बत्रा ने कहा की सरकार का कहना है कि सूचना आयोग एक कानूनी संस्था है. जबकि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. अतः दोनों को बराबर का दर्जा नहीं दिया जा सकता. वर्ष 2014 में इस एक्ट में संशोधन की शुरुआत सरकार द्वारा जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था.

लेकिन कुछ वर्ष पहले एक संसदीय समिति जिसमें वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शामिल थे, उन्होंने सूचना आयोग को बहुत विचार-विमर्श के बाद चुनाव आयोग के बराबर का दर्जा देने की पेशकश की थी. सरकार इस मामले में पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है. अगर इस कानून में संशोधन कर दिया जाता है तो फिर वही होगा कि जिसकी लाठी उसकी भैंस. लोगों को सूचना नहीं मिलेगी. इस कानून को लागू हुए 14 साल हो गए हैं और आज तक ना किसी कहीं इसका विरोध हुआ है न ही सरकार के पास संशोधन को लेकर कोई प्रतिनिधि मिला.

अचानक संशोधन किए जाने से सूचना आयोग की निष्पक्षता एवं स्वतंत्रता कमजोर हो जाएगी. आरटीआई आम जनता के हाथ में अहम अधिकार है. इस बिल में संशोधन लाने से पहले सरकार ने संवैधानिक रूप से कोई सुझाव नहीं लिया. सूचना आयोग पूरी तरह से निष्पक्ष और राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रहना चाहिए. देश के नागरिकों का कर्तव्य है कि इस संशोधन के खिलाफ आंदोलन कर सूचना आयोग की स्वतंत्रता को नष्ट होने से बचाएं.


Conclusion:बता दें कि तमाम विरोध और प्रदर्शन के बावजूद आरटीआई संशोधन बिल लोकसभा में पास हो चुका है और अब राज्यसभा में से पास होना है. जिसका विरोध जताने के लिए ही लोग जंतर-मंतर पर आज आए हैं.

समाप्त, आशुतोष झा
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